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”एक राष्ट्र-एक चुनाव” लोकसभा में स्वीकार, विस्तृत चर्चा के लिए जेपीसी के पास भेजा गया, तेजस्वी ने कहा- ‘ये लोग RSS के एजेंडा को लागू करना चाहते हैं, ये लोग संविधान विरोधी हैं!

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया। संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 जिसे एक राष्ट्र-एक चुनाव विधेयक के रूप में जाना जाता है, इसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने पेश किया। इसके साथ ही राज्यसभा में ‘संविधान पर चर्चा’ हुई।

तेजस्वी बोले- बिहार में एक चरण में चुनाव नहीं करा सकते, वो देश में एक चुनाव क्या कराएंगे
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘ये लोग RSS के एजेंडा को लागू करना चाहते हैं इसलिए हम लोग कहते हैं कि ये लोग संविधान विरोधी हैं। अभी ये कह रहे हैं कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’, आगे कहेंगे ‘एक राष्ट्र एक पार्टी, फिर कहेंगे कि ‘एक राष्ट्र एक नेता’ क्या मतलब हुआ, बाद में पता चलेगा कि विधानसभा चुनाव की जरूरत ही नहीं है। ये बीजेपी के लोग वास्तविक मुद्दे पर बात नहीं करते हैं। कहते हैं कि इससे खर्चा बचेगा। तो पीएम मोदी कितना विज्ञापन में खर्चा करते हैं? वह चुनाव से ज्यादा विज्ञापन पर खर्चा करते हैं। वह 11 साल में विज्ञापन पर कितना खर्चा किए ये बता दें? जो बिहार में एक फेज में चुनाव नहीं करा सकता उससे क्या उम्मीद की जाए कि वह ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ कराए।

लोकसभा में स्वीकार हुआ एक देश एक चुनाव विधेयक
लोकसभा में एक देश एक चुनाव विधेयक स्वीकार कर लिया गया है। इसके लिए मतदान हुआ, जिसमें 269 वोट विधेयक के पक्ष में पड़े और 198 सांसदों ने विधेयक का विरोध किया। विधेयक को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। मतदान के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक स्थगित कर दी गई।

विधेयक को जेपीसी में भेजने की मांग
सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से भी विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की मांग की गई है। वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने विधेयक का समर्थन किया।

ओवैसी बोले- ये विधेयक क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म कर देगा
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के आधारभूत ढांचे के खिलाफ है। यह विधेयक क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म कर देगा और इससे सिर्फ राष्ट्रीय पार्टियों को फायदा होगा।

भाजपा ने राज्यसभा सांसदों को जारी की व्हिप
भाजपा ने एम्स, भुवनेश्वर और अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के चुनाव के लिए मतदान करने के लिए राज्यसभा सांसदों को तीन लाइन व्हिप जारी किए हैं। चुनाव गुरुवार, 19 दिसंबर, 2024 को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक कमरा नंबर 63, संविधान सदन में होगा।

कांग्रेस ने बताया संविधान के खिलाफ
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह लोगों के वोट देने के अधिकार पर हमला है। चुनाव आयोग को इस विधेयक में बहुत ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। संविधान में चुनाव आयोग को सिर्फ चुनाव कराने की व्यवस्था करने का ही प्रावधान किया गया है, लेकिन इस विधेयक में राष्ट्रपति के चुनाव आयोग से चुनाव को लेकर सलाह लेने का प्रावधान दिया गया है, जो संविधान के खिलाफ है।

कल्याण बनर्जी बोले- चुनाव आयोग को दी जा रहीं कई शक्तियां
टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि संविधान संशोधन के तहत चुनाव आयोग को काफी शक्तियां दी जा रही हैं, जिसके बाद राज्य सरकारें चुनाव आयोग के सामने कुछ नहीं रह जाएंगी। कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के खिलाफ है।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी विधेयक का विरोध किया। वहीं एनडीए की सहयोगी तेदेपा ने विधेयक को समर्थन देने की बात कही।

लोकसभा में एक देश एक चुनाव विधेयक पेश
लोकसभा में एक देश एक चुनाव विधेयक पेश कर दिया गया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक को सदन के पटल पर रखा। विपक्ष इस विधेयक का विरोध कर रहा है। विपक्ष ने विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की।

आपातकाल को लेकर नड्डा ने कांग्रेस को दिखाया आईना
नड्डा ने कांग्रेस को आईना दिखाते हुए कहा कि जब देश में आपातकाल लगाया गया था, तब देश को कोई खतरा नहीं था बल्कि कुर्सी को खतरा था। आपातकाल के दौरान मीसा कानून के तहत हजारों लोगों को जेल में डाला गया। मीसा कानून का जिक्र कर नड्डा ने मीसा भारती का नाम रखने की वजह भी बताई। नड्डा ने विपक्ष के मीडिया का गला घोंटने के आरोपों पर कहा कि कांग्रेस सरकारों में मीडिया का किस तरह गला घोंटा गया कि इसके विरोध में अखबारों के पन्ने खाली छोड़ दिए गए थे।

अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर नड्डा ने कांग्रेस को घेरा
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान जेपी नड्डा ने कहा कि अनुच्छेद 370 के तहत धारा 35ए बिना संसद की मंजूरी के जोड़ी गई। 35ए ही यह तय करता है कि जम्मू कश्मीर का नागिरक कौन होगा। नड्डा ने कहा कि देश के कई कानून जम्मू कश्मीर में लागू ही नहीं होते थे। देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान हो गए थे।

नड्डा ने कहा कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए कई लोग इस देश में प्रधानमंत्री बने, लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसे लोग पंचायत के अध्यक्ष तक नहीं बन सकते थे। जम्मू कश्मीर में पंजाब से सफाई कर्मचारी लाए गए थे और अनुच्छेद 370 के चलते उन सफाई कर्मचारियों के बच्चे सिर्फ सफाई कर्मचारी की नौकरी कर सकते थे न वो डॉक्टर बन सकते थे और न ही इंजीनियर। आज प्रधानमंत्री मोदी की वजह से जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया है।