विशेष

एक याद फ़िलिस्तीनियों की एक याद फ़िलिस्तीनियों की ज़ेहनों में है और दूसरी याद आमजनमत के ज़ेहनों में : रिपोर्ट

जबसे इस्राईली सरकार की बुनियाद रखी गयी तब से फ़िलिस्तीनियों की जनसंख्या पर एक हल्की नज़र

फ़िलिस्तीन के जनसंख्या केन्द्र ने एलान किया है कि वर्ष 1948 में नकबा के समय से फ़िलिस्तीन में और फ़िलिस्तीन से बाहर रहने वाले फ़िलिस्तीनियों की जनसंख्या लगभग 10 बराबर हो गयी हो गयी है।

“नकबा” शब्द सुनकर दो बहुत बुरी घटनाओं की याद आ जाती है। इसकी एक याद फ़िलिस्तीनियों की ज़ेहनों में है और दूसरी याद आमजनमत के ज़ेहनों में। पहली बुरी घटना व याद यह है कि वर्ष 1948 में जायोनी सरकारी की अवैध बुनियाद रखी गयी और दूसरी घटना यह है कि उस समय जायोनी सरकार ने ताक़त के बल पर आठ लाख फ़िलिस्तीनियों को उनकी मातृभूमि से निकाल दिया। नकबा डे न केवल एक त्रासदी का प्रतीक है बल्कि उन सख्तियों और पीड़ाओं का परिचायक है जो कई दशकों से फिलिस्तीनी राष्ट्र पर थोपी गयी हैं।

675 से अधिक गावों और शहरों को बर्बाद कर देना, फिलिस्तीनियों के आवासीय क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लेना और उन्हें जायोनियों के आवासीय क्षेत्रों में परिवर्तित कर देना, फिलिस्तीनियों को निकाल देना, फिलिस्तीनी राष्ट्र की पहचान और उसकी एतिहासिक धरोहरों को बर्बाद कर देना और बहुत से अरबी नामों को हटा व मिटाकर हिब्रू नाम रख देना और इसी प्रकार वर्ष 1948 से लेकर अब तक फिलिस्तीनियों को उनकी मातृभूमि से निकाल देना जायोनी सरकार के कुछ जघन्य अपराध व लक्ष्य हैं।

इस्राईल का एक लक्ष्य फिलिस्तीनियों को ताकत के बल पर उनकी मातृभूमि से बाहर निकाल देना है परंतु विभिन्न संगठनों व संस्थाओं की रिपोर्टों के दृष्टिगत प्रतीत यह हो रहा है कि इस्राईल के इस लक्ष्य की दिशा में भी रुकावट व बाधा उत्पन्न हो गयी है।

इसी मध्य फ़िलिस्तीन के जनसंख्या केन्द्र ने एलान किया है कि वर्ष 1948 में फिलिस्तीनियों की जो जनसंख्या थी इस समय उसमें 10 बराबर की वृद्धि हो गयी है।

इस केन्द्र ने अपने घोषणापत्र में एलान किया है कि वर्ष 1948 में लगभग 10 लाख फिलिस्तीनियों और जून 1967 की जंग के बाद दो लाख से अधिक फिलिस्तीनियों के बेघर हो जाने के बावजूद वर्ष 2023 के अंत में फिलिस्तीनियों की जनसंख्या 14.63 मिलियन हो गयी।

इस आंकड़े के अनुसार इस संख्या में से 5.55 मिलियन फिलिस्तीनी, फिलिस्तीन के अंदर और 1.75 मिलियन फिलिस्तीनी उन क्षेत्रों में रह रहे हैं जिन पर इस्राईल ने वर्ष 1948 में अवैध ढंग से कब्ज़ा किया है।

अरब देशों में जो फिलिस्तीनी शरणार्थी का जीवन गुज़ार रहे हैं उनकी संख्या लगभग 6.56 मिलियन है। इसी प्रकार सात लाख 72 हज़ार फिलिस्तीनी दूसरे देशों में शरणार्थी का जीवन बिता रहे हैं।

फिलिस्तीन के जनसंख्या केन्द्र की रिपोर्ट में आया है कि इस आधार पर फिलिस्तीन में फिलिस्तीनियों की संख्या लगभग 7.3 मिलियन हो गयी है जबकि वर्ष 2023 के अंत में यह आंका गया कि यहूदियों की संख्या लगभग 7.2 मिलियन हो गयी। इसका अर्थ यह है कि फिलिस्तीन में फिलिस्तीनियों की संख्या यहूदियों से अधिक है।

76 साल के विवादों और लड़ाइयों में शहीद होने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या के बारे में फिलिस्तीन के जनसंख्या केन्द्र की रिपोर्ट में भी आया है कि वर्ष 1948 में “नकबा डे” के समय से एक लाख 34 हज़ार से अधिक फिलिस्तीनी जायोनियों के हाथों शहीद हो चुके हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2000 में इंतेफ़ाज़ा आंदोलन के आरंभ से 30 अप्रैल 2024 तक लगभग 46 हज़ार 500 फिलिस्तीनी शहीद हुए थे और सात अक्तूबर 2023 को ग़ज़्ज़ा पट्टी से आरंभ होने वाले अलअक़्सा तूफ़ान में सात मई 2024 तक 35 हज़ार से अधिक फिलिस्तीन शहीद हो चुके थे।

फिलिस्तीन के जनसंख्या केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार ग़ज़्ज़ा पट्टी में भेंट चढ़ने वालों में 14 हज़ार 873 से अधिक बच्चे, नौ हज़ार 801 महिलायें और 141 से अधिक पत्रकार और रिपोर्टर शामिल हैं। इसी प्रकार सात हज़ार से अधिक फिलिस्तीनी लापता है जिनमें अधिकतर महिलायें और बच्चे हैं।

इस आंकड़े के अनुसार पश्चिमी किनारे के विभिन्न क्षेत्रों में भी ग़ज्ज़ा पट्टी पर इस्राईल के पाश्विक हमलों के आरंभ से अब तक 492 फिलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।

ज़ायोनी सरकार को आज विभिन्न समस्याओं का सामना है। उसे एक ओर आंतरिक स्तर पर भारी मतभेदों का सामना है और दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका वास्तविक चेहरा सामने आ गया है और यही विषय इंटरनेश्नल पैमाने पर जायोनी सरकार के विरुद्ध भारी प्रदर्शनों का कारण बना है। यही नहीं जायोनी सरकार के जघन्य अपराधों के विश्व जनमत के सामने आ जाने से ये प्रदर्शन उस देश में भी प्रदर्शन हो रहे हैं जो इस्राईल का मुख्य समर्थक है यानी अमेरिका।

कई दशकों तक जघन्य अपराधों के अंजाम देने के बाद जायोनी सरकार को आज विभिन्न चुनौतियों का सामना है। एक ओर उसे अंतरराष्ट्रीय दबावों का सामना है और दूसरी ओर फिलिस्तीन के संघर्षकर्ता गुट उसे कड़ी टक्कर दे रहे हैं। साथ ही लेबनान, यमन और इराक के प्रतिरोधक गुटों की साहसिक कार्यवाहियों का भी उसे सामना है। इन प्रतिरोधक गुटों की साहसिक कार्यवाहियों ने जायोनियों को व्यस्त व उलझा रखा है। यमनी सेना के बहादुर और शूरवीर जवान लाल सागर, अरब सागर और हिन्द महासागर में अभूतपूर्व कार्यवाहियां करके जायोनी सरकार को व्यापारिक क्षति व नुकसान पहुंचा रहे हैं। उधर लेबनान का इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह अवैध अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्रों में हमले रहा है और इन हमलों ने जायोनी सरकार को उत्तरी मोर्चे पर व्यस्त कर रखा है और इराकी प्रतिरोध भी इस्राईल के महत्वपूर्ण केन्द्रों को लक्ष्य बनाता रहता है।

76 सालों के दौरान प्रतिरोध के परिणामों के दृष्टिगत बच्चों की हत्यारी और अतिग्रहणकारी जायोनी सरकार से मुकाबले का बेतरीन रास्ता आज भी प्रतिरोध है। क्योंकि ज़ायोनी कभी भी न तो मानवाधिकार का लेहाज़ करते हैं और न ही डेमोक्रेटिक योजनाओं को समझते हैं और इस समय जो प्रतिरोध है वह हर समय से अधिक फिलिस्तीनी राष्ट्र को अपने उद्देश्यों से निकट कर सकता है। फिलिस्तीनी राष्ट्र का उद्देश्य अपनी अतिग्रहित ज़मीन को इस्राईली अतिग्रहण से आज़ाद कराना और दूसरे देशों में शरणार्थी की ज़िन्दगी बिता रहे फिलिस्तीनियों की स्वदेश वापसी सहित अपने क़ानूनी व नैतिक अधिकारों को प्राप्त करना है। MM

स्रोतः मोहम्मद ताहिरी, हमीद, 1403, फ़िलिस्तीन पर क़ब्ज़ा करने की वर्षगांठ, 76 साल निकबत और प्रतिरोध जिसने शक्ति के संतुलन को बदल दिया है। इस्ना

की वर्डसः फ़िलिस्तीन की जनसंख्या कितनी है? जंगे इस्राईल व ग़ज़्ज़ा, प्रतिरोध, नकबा दिवस या रोज़े निकबत, इस्राईल की बुनियाद रखने का दिन

عبارات کلیدی:جمعیت فلسطین چقدر است؟، جنگ اسرائیل و غزه، مقاومت، روز نکبت، روز تاسیس اسرائیل