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तौहीद और शिर्क : सूरए साफ़्फ़ात आयतें 62-68 : पार्ट-33
सूरए साफ़्फ़ात आयतें 62-68 أَذَلِكَ خَيْرٌ نُزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ (62) إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِلظَّالِمِينَ (63) यह (स्वर्ग) आतिथ्य के लिए अच्छा है या ज़क़्क़ूम का पेड़? (37:62) निश्चय ही हमने उस (पेड़) को ज़ालिमों के लिए दंड व यातना बना दिया है। (37:63) पिछली आयतों में स्वर्ग वालों को मिलने वाली अनुकंपाओं और ऐश्वर्य […]
अल्लाह ज़ालिम और उससे बदला लेगा जो मज़लूम की मदद न करे : आठ चुनिन्दा हदीसें
पार्सटुडे- पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं” मज़लूम की बद्दुआ से डरो यद्यपि वह काफ़िर ही क्यों न हो, क्योंकि मज़लूम की बद्दुआ के सामने कोई रुकावट नहीं है। ज़ुल्म का अर्थ अत्याचार है यानी अपने आप पर या दूसरे के अधिकारों पर ज़ुल्म करना। जो बुरा व ग़लत काम करता है वह अपने आप पर ज़ुल्म […]
पवित्र क़ुरआन पार्ट-5 : पवित्र क़ुरआन चमकता हुआ सूर्य है जो अपने प्रकाशमयी मार्गदर्शन से अज्ञानता और अंधकार से मुक्ति दिलाता है!
पवित्र क़ुरआन के एक सूरे का नाम निसा है जिसका अर्थ होता है महिलाएं। पवित्र क़ुरआन के एक सूरे का नाम निसा है जिसका अर्थ होता है महिलाएं। इस सूरे के इस नामंकन का एक कारण यह है कि इसमें महिलाओं के अधिकारों और उनसे संबंधित मामलों का उल्लेख किया गया है। यह मदीने का […]