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एक मुस्लिम देश के कारण चीन ने अमेरिका को दिया बड़ा झटका,करेगा परमाणु समझौते पर बातचीत

ईरान के शक्तिशाली बनने से सबसे ज़्यादा घबराहट अमेरिका और इज़राईल को होती है इसी कारण से अमेरिका ने ईरान से परमाणु समझौता तोड़ दिया है,जिसकी गूँज पूरी दुनिया में महसूस हुई थी,जिसके बाद से अमेरिका अपने सहयोगियों पर ईरान से सम्बंध तोड़ने का दबाव बनाया था।

लेकिन परमाणु करार विवाद के बीच अगले महीने चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भाग लेंगे। सोमवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने यह जानकारी दी।

वांग यी ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि 9 और 10 जून को हसन रूहानी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच किंरदाओ शहर में मुलाकात होगी। बता दें कि इस सम्मेल में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शिरकत करेंगे।

आपको बता दें कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने यह नहीं बताया कि एससीओ शिखर वार्ता में ईरान परमाणु समझौते पर बातचीत होगी या नहीं। बता दें कि चीन ईरान का प्रमुख व्यापारिक साझीदार है।

चीन अपने देश में खपत होने वाले तेल का आयात सबसे ज्यादा ईरान से करता है। चीन ने यह संकेत दिया है कि वह ईरान पर लगे अमरीकी प्रतिबंधों की परवाह नहीं करेगा और हमेशा उसके साथ खड़ा रहेगा और अपने व्यापारिक गतिविधियों को जारी रखेगा।

यदि अमरीका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए तो अमरीकी कंपनियों को ईरान से अपना कारोबार समटे कर वतन वापसी करना पड़ सकता है। ऐसी सूरत में चीन मौके का फायदा उठाते हुए इसकी भरपाई कर सकता है। ईरान में चीनी कंपनियां अपना व्यापार को बढ़ा सकते हैं।

आपको बता दें कि बीते 8 मई को अमरीका ने ईरान से 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था और ईरान पर नए प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी।

अमरीका का ईरान परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लेने पर विश्व के कई राष्ट्रों ने अपनी चिंता जाहिर की थी। सभी का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका असर पडेगा।

अब यदि अमरीका ईरान पर किसी तरह का आर्थिक प्रतिबंध लगाता है तो इसका असर ना केवल ईरान बल्कि यूरोपिए देशों और रूस की कई कंपनियों को भी झेलना पड़ सकता है। कंपनियों को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान होने की संभावना है।