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गाँधी जग से गये कि सब दसकन्धर जाग गये…..By-धीरज चित्रांश
धीरज श्रीवास्तव चित्रांश =============== गांधी जी की पुण्य तिथि पर एक पुराना गीत विशेष … गाँधी जग से गये कि सब दसकन्धर जाग गये। खद्दर पहन के बापू के सब बन्दर भाग गये। जब से आज़ादी आईं, ज्यादा बर्बादी लाई। चौड़ी कर डाली तुमने, धनिकों श्रमिकों की खाई। रूहें हुई इतनी काली, गंगा मैली कर […]
क्या वो उसे कभी भुला पाएगा? क्या उसकी यादें कभी खत्म होंगी?
Sksaini ================= · मैं जाम में पागल हूँ! सर्दियों की एक सुबह, “अजय” अपने शहर में एक मेट्रो जाम में फंसा हुआ था। गाड़ी में बैठे-बैठे उसका मन इधर-उधर भटक रहा था। बाहर का दृश्य, ठंडी हवा और चारों ओर लगे बर्फ के फाहे उसे कुल्लू की याद दिला रहे थे। वहाँ की सर्दियाँ, जहां […]
मैं अपनें आस पास जितने भी लोगों को देखती हूं उनमें बिलकुल शांत और ख़ुश मुझे कोई भी नहीं दिखाई पड़ता लेकिन…
मनस्वी अपर्णा =========== #थोड़ा_है_थोड़े_की_ज़रूरत_है जावेद अख़्तर साहब का एक बड़ा मशहूर शेर है उसी से अपनी बात शुरू करती हूॅं शेर कुछ यूं है..….. सबका खुशी से फासला एक क़दम है हर घर में बस एक ही कमरा कम है ये शेर और इसका मफहूम हमारी ज़मीनी हक़ीक़त है, मैं अपनें आस पास जितने भी […]