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‘एक देश, एक चुनाव’ पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा-”यह संविधान के मूलभूत ढांचे में मौजूद संघवाद को बर्बाद करता है”, मायावती ने कहा…”हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है”

केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ पर बनाई उच्च स्तरीय कमेटी की सिफ़ारिशों को मंज़ूर कर लिया है. इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी.

कैबिनेट के इस फ़ैसले के बाद अब विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दी हैं.

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है, “मैंने लगातार एक देश, एक चुनाव का विरोध किया है क्योंकि यह समस्या की खोज में किया गया समाधान है. यह संविधान के मूलभूत ढांचे में मौजूद संघवाद को बर्बाद करता है, लोकतंत्र के साथ समझौता है.”

उन्होंने कहा है, “एक से अधिक चुनाव मोदी और शाह को छोड़कर किसी के लिए समस्या का विषय नहीं है. क्योंकि उन्हें नगर पालिका और स्थानीय निकाय के चुनावों में भी प्रचार करने की आवश्यकता होती है. इसका मतलब यह नहीं है कि हमें एक साथ चुनावों की आश्यकता है. बार-बार और समय-समय पर चुनाव होने से लोकतांत्रिक जवाबदेही में सुधार होता है.”

वहीं बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा है, “एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी है.”

कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है, “यह केवल एक प्रपंच है. उन्हें जम्मू-कश्मीर, हरियाणा में अपनी हार दिखाई दे रही है. जहां उप चुनाव हो रहे हैं उनमें भी बीजेपी को अपनी हार दिखाई दे रही है. एक बाद एक राज्यों भाजपा को अपनी हार दिखाई दे रही है उससे ध्यान हटाने के लिए इस तरीके का प्रपंच रचा गया है.”

भारत राष्ट्र समिति पार्टी के केटी रामा राव ने कहा है, “इसके बारे में हम पार्टी में बात करेंगे. क्या करना होगा, क्या करना उचित होगा. इसमें सरकार का अगला कदम क्या होगा हम यह भी देखेंगे. क्योंकि अगर एक देश एक चुनाव करना है तो अभी चुनाव हुए हैं, फिर क्या बाकी राज्यों की सरकारों को बर्खास्त करेंगे. इसके बारे में ये लोग कैसे आगे जाएंगे. अभी तो कुछ बताया नहीं है तो देखते हैं क्या होगा.”