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”फिर उधार के पैसे से अम्मा की विदाई…न न ये नहीं हो सकता”
दो लफ्ज ============== “पापा… पापा… जल्दी चलो मम्मी आपको बुला रही हैं. सात वर्षीय रोहन ने आकर राकेश से कहा. “क्या हुआ, क्यों बुला रही हैं?” राकेश ने बेटे से पूछा. “वो दादी कुछ बोलती नही.” रोहन बोला. “क्या!” राकेश परेशान हो अम्मा के कमरे की ओर भागा. “क्या हुआ अम्मा को?” उसने अपनी पत्नी […]
….मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा!
Sukhpal Gurjar ==================== सेठ ताराचंद किराना के व्यापारी थे। छोटा सा गाँव था, और छोटी सी दुकान थी उनकी। ईमानदारी से दुकान चलाते थे और इज्जत से रहते थे। तीन बेटे थे उनके, दुलीचंद, माखन और सेवा राम। गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था, आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता था। […]
दर-दर भटक रहा हूँ!
Sksaini ================= दर-दर भटक रहा हूँ! “रविन्द्र” एक युवा कवि था, जो अपने सपनों को साकार करने की कोशिश में जुटा था। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा कवि बनेगा और उसकी कविताएँ लोगों के दिलों को छू लेंगी। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतने लगा, उसकी मेहनत का फल उसे नहीं मिल रहा था। […]