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”कुसुम शर्मा अंतरा” की ग़ज़ल – मैं हक़ीक़त हूं या हूं अफ़साना
Kusum Sharma Antra ============= ग़ज़ल मेरे अंदर है मेरी तन्हाई ग़म का मंज़र है मेरी तन्हाई काटती जा रही है कब से मुझे एक ख़ंजर है मेरी तन्हाई हर तरफ़ से ये वार मुझ पे करे यूं सितमगर है मेरी तन्हाई अश्क़ का इक अदद हूं क़तरा मैं और समंदर है मेरी तन्हाई शोर ओ […]
क्योंकि सारा #मुद्दा पैसे का ही है ………….BY-Versha Varshney
क्योंकि सारा #मुद्दा पैसे का ही है …………. Versha Varshney ============== · ###जरूरी #नहीं कि आप मेरी बात से #सहमत हों क्योंकि सारा #मुद्दा पैसे का ही है …………. ✍️✍️आपने कभी नहीं सुना होगा कि ससुर बहू पर भड़कता है । लड़ाई हमेशा सास बहू में ही होती है क्योंकि दोनों ही एक जैसी परिस्थितियों […]
”लानत है मुझ जैसे पति पे”
Madhu Singh ============= · ये उन दिनों की बात है जब रूचि की नई नई शादी विनोद से हुई थी। रूचि और विनोद दोनों ही अपने अपने घरों में सबसे छोटे थे। रूचि के पिता थे नहीं और विनोद के माता पिता की चलती नहीं थी कुल मिला के बस सिंदूर डलवा दोनों परिवार ने […]