साहित्य

उसके ससुर ने उसकी जेठानी को….ये काजल है लिपस्टिक न समझ लेना…

 

“अरी कर्मजली ! कहाँ मर गई ? सो गई क्या ? तुझे पता नहीं तेरी लल्ला के उठने का टाइम हो गया है। ढूध लेकर आ।अभी तक चाय नहीं बनी। चूल्हे ने पकड़ लिया क्या ?” चाची की आवाज़ सुनकर ग्लास में चाय डालती छवि के हाथ हल्के से कांपे चाय उसके हाथ पर गिर गई। पर उसने जल्दी से चाय उठाई और चाचा-चाची को देने चल दी।

” दो घन्टे से चाय बना रही है।अब लल्ला का ढूध भी तैयार रख उठता ही होगा और टाइम पर नज़र रखा कर।तेरे चाचाजी ने काम पर भी जाना है,नाश्ता कब बनाएगी ?कोई काम समय पर नहीं करती। ” चाची चाय पकड़ते हुए बोली। चाचा चुप चाप हमेशा की तरह फोन में बिजी था।

उसने आकर जल्दी से गैस पर एक तरफ सब्जी रखी और दूसरी तरफ रोटी बनाने लगी। नाश्ता बनाने के बाद उसने जल्दी से झाड़ू लगाया। उसका कजिन संजय उठ गया था। वो जानबुझ कर उसके आगे घूमता ताकि उसे झाड़ू लगाने में देर लगेऔर उसकी माँ से डांट पड़े।पर वो कुछ नहीं कहती थी ,कभी नाराज़ नहीं होती थी। सारा काम करके वो स्कूल के लिए तैयार हो गई। बस एक स्कूल ही था जहाँ जाने की इसे जल्दी रहती थी।वो बिहार के छोटे

वो राजस्थान के एक छोटे से शहर में रहते थे। इसके पापा ट्रक ड्राइवर थे दूसरे राज्यों में ही सफर पर रहते थे। स्कूल में वो साल भर की फीस दे जाते थे। वो महीने में एक आध बार घर आते थे और छवि के खर्चे के तौर पर चाचा को पैसे दे जाते थे। पर इसे कभी किसी ने कुछ नहीं दिया न इसने माँगा।

ये पढ़ने में अच्छी थी और स्कूल टीचर बनना चाहती थी। स्कूल में पूजा इसकी बेस्ट फ्रेंड थी उसकी मम्मी इसके लिए खाने को रोज कुछ न कुछ भेजती थी।स्कूल अच्छा लगने का एक कारण पूजा भी थी।

वक़्त बदला ये बड़ी हो गई। इसने बारहवीं के पेपर दे दिए थे। रिजल्ट आना रहता था। इसका कजिन संजय बड़े शहर में पढ़ने चला गया था। फिर एक दिन अचानक इसे होस्पिटल से फोन आया कि इसके पापा का एक्सीडेंट हो गया है। ये चाचा चाची के साथ हॉस्पिटल पहुंची तो वहाँ पापा की जगह पापा की लाश मिली। वहीं लाश के पास एक अमीर बूढ़ा खड़ा था। वो पापा के पास आकर रोने लगी जबकि चाचा चाची उस बूढ़े के साथ बातें करने लगे।

फिर चाचा उसके पास आए और बोले, “बेटा वो तुझे बुला रहे हैं। उनकी कार को बचाते हुए भैया का एक्सीडेंट हुआ है। ”
वो चाचा के साथ उनके पास गई , तो वो बोले, “मुझे माफ़ कर दो मेरी वजह से आज तुमने अपने पापा को ख़ो दिया। तुम्हें क्या चाहिए बोलो, मैं कुछ भी दे सकता हूँ ? “

” जी मुझे कुछ नहीं चाहिए। ” कहकर वो अपने चाचा के पास आ गई। उसे पता नहीं था की उसके कार में बैठने के बाद वेउसकी चाची ने उनसे पैसा ले लिया था।

फिर उसके पापा के मरने के दो महीने बाद उसके चाचा चाची उसे नोकरी लगवाने का कहकर शहर ले आए और वहाँ एक होटल में उसे एक बूढ़े आदमी को सौंपते हुए बोले, “लीजिए अब ये आपकी है। आप जो भी कहेंगे ये करेगी।”

फिर छवि से बोले, “बेटा तुम्हें इनके घर नोकरी करनी है। अब से यही तुम्हारे सब कुछ हैं। जैसा कहें वैसा करना। ” चाची ने उनसे चेक ले कर अपने पर्स में रख लिया।

” चाचा ,आप ऐसा क्यों कर रहे हो? मुझे इनके साथ नहीं जाना । मैं सारा काम करूंगी ,चाची,मैं आपका हर कहना मानूँगी।मुझे अपने साथ ले चलो। ” छवि चाची का हाथ पकड़ कर रो पड़ी। लेकिन चाची उसे कार में धकेल उससे हाथ छुड़ा कर चली गई।

” देखिए मैंने इसकी पूरी कीमत दे दी है। इसलिए आइंदा मुझे अपनी शक्ल न दिखाना। ” कहकर वो कार की पैसेंजर सीट पर आकर बैठ गए और ड्राइवर को कार चलाने को कहा। छवि जोर जोर से चिल्ला रही थी ”
चाचा
!
चाची
!

” चुप हो जाओ। चिल्लाने का कोई फायदा नहीं है। जिन्हें तुम इतना रो रो कर बुला रही हो ,वो तुम्हें हमारे मालिक को बेच गए हैं। मैंने खुद उन्हें चेक दिया है। उन्होंने खुद माना है कि अब उन्हें तुमसे कुछ लेना देना नहीं है। ” उस बूढ़े ने कहा।

उसकी बात सुनकर छवि चुप हो गई। आखिर वो कर भी क्या सकती थी ? सफर लगभग छह घंटे का था। उन्होंने आधे रस्ते जाकर होटल में खाना खाने के लिए कार रोकी। पर वो नहीं उतरी।

” सफर बहुत लंबा है। कब तक भूखी रहोगी। ” बूढ़े ने कहा पर वो अपनी जगह से नहीं हिली तब वो दोनों बारी बारी अपना खाना खाकर ,उसके लिए खाना पैक करा लाए। पर उसने खाना तो दूर उसकी तरफ देखा भी नहीं।

वो फिर चल पड़े। वो सो गई। उसे पता ही नहीं चला कब वो अहमदाबाद पहुंचे।कार के रुकने से उसने आँखें खोली।उसने देखा की शाम हो गई है। हल्का अँधेरा भी हो गया है। उसने देखा की एक बहुत बड़े घर के बाहर कार रुकी थी। घर क्या महल था ?इसने ऐसे महल किताबों में देखे थे। वो सोचने लगी,मुझे इतना बड़ा महल साफ करना पड़ेगा? चलो जो मेरी किस्मत। वो कार से उतरी ,सर पर पल्लू किया और उस बूढ़े के साथ चल दी।

बड़ा सा शानदार दरवाज़ा खुला तो एक औरत आरती का थाल लिए आई और इसकी आरती उतारी। पर उसने मुंह चढ़ा रखा था ,मानो इससे चिढ़ती हो। औरत के पीछे वही होस्पिटल में मिला बूढ़ा खड़ा था। वो बोला, ” बेटे इसके पैर छुओ ,ये तुम्हारी जेठानी है और ये जेठ है और मेरे भी मैं तुम्हारा ससुर हूँ। ”
वो पागलों की तरह उनकी तरफ देखने लगी। ससुर, जेठ- जेठानी ? लेकिन उसने फिर भी उनके पैर छुए । फिर वो उसे अंदर ले गए। अंदर से घर और भी सुंदर था।

” शिवानी जाओ इसके कपड़े बदलवा दो।” उसके ससुर ने उसकी जेठानी को कहा ,वो उसे लेकर ऊपर एक कमरे में आई और वहाँ अलमारी से एक लाल साड़ी पहनने को दी, “इसे पहनकर नीचे आ जाना। वहाँ मेकअप का सामान है लगा लेना। ” फिर मेकअप के सामान में से काजल उठा कर बोली , “ये काजल है लिपस्टिक न समझ लेना।” छवि ने हल्के से सर हिला दिया।