साहित्य

उलझा हुआ इंसान…..जो वो कर रहा है वो बदमाशी है, ग़लत है!

Tajinder Singh
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उलझा हुआ इंसान…..
एक छोटा बच्चा रसोई में घुस आटा बिखेर रहा था। माँ कहीँ व्यस्त थी। अचानक माँ ने देखा तो दूर से ही डांट लगाई।
बच्चा हड़बड़ा गया और वहां से भाग निकला।

एक छोटे बच्चे को भी धीरे धीरे सही गलत का ज्ञान हो जाता है। वो जानता है कि जो वो कर रहा है वो बदमाशी है, गलत है।

इस बच्चे ने किसी किताब में नही पढा ये सब। अभी तो उसने पढ़ना सीखा ही नही। मां की भाव भंगिमा और अपने सहज ज्ञान से वो गलत और सही को पहचानने लगता है। यही बच्चा बड़ा होता है। उसका सामाजिक ज्ञान बढ़ता है और सही गलत की समझ भी। इस ज्ञान के लिए अभी तक उसने किसी पुस्तक का सहारा नही लिया।

अब ये बच्चा जवान हो चुका है। उसके शरीर की कुछ जरूरतें हैं जिनको पूरा करने के लिए समाज उसकी शादी कर देता है। शादी के बाद के कार्य के लिए भी वो कोई किताब नही पढ़ता। और बखूबी उस काम को अंजाम देता है। यहां तक कि उसकी पत्नी को जो बच्चा होता है उसके लिए भी पुरानी दाइयां कोई किताब नही पढ़ती थी।

अब बच्चे का लालन पालन शुरू होता है। इसके लिए भी माता पिता कोई किताब नही पढ़ते। बल्कि अपने अनुभव से अर्जित अपना सहज ज्ञान और संस्कार बच्चे को देते हैं।

हजारों सालों तक दुनिया बिना धर्म और किताबो के यूं ही आगे बढ़ती रही। प्रकृति ने एक छोटे से बीज में एक पूरे वृक्ष, उसके फल, लम्बाई चौड़ाई, पत्तियों की आकृति को प्रोग्राम किया है। कोई जानवर अपने गुणों या वृक्ष इसके लिए कोई किताब नही पढ़ता। वैसे ही डिम्ब और शुक्राणुओं से निर्मित इंसान का डीएनए है। अपने अनुभवों से समृद्ध हुआ मनुष्य अपने ज्ञान को डीएनए के माध्यम से अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाता है।

जब धर्म और उसकी किताबें नही थी तो भी दुनिया आगे बढ़ रही थी। और शायद थोड़ा बेहतर बढ़ रही थी। लेकिन फिर किताबें आ गयीं। लोगो को बताया गया कि सही क्या है और गलत क्या। कुछ के लिए जो सही था वो ग़लत हो गया और कुछ के लिए गलत सही हो गया। ये किताबें आपस मे इतना विरोधाभासी हैं कि एक का गलत, दूसरे का सही हो जाता है। इसने मनुष्य को और उलझा दिया।

अब जहां इंसान और इंसानियत के रूप में केवल एक बात सही होनी चाहिए थी। वहां अलग अलग किताबो ने अलग अलग बातों को सही बताया। सारा झमेला यही से शुरू हुआ। अपने सहज ज्ञान का उपयोग करने वाला मनुष्य इन किताबों के चक्कर मे बंट गया। या यूं कहिए कि बांट दिया गया। अब दुनिया मे ढेरों धर्म और उनकी किताबें हैं और इनमें उलझा हुआ इंसान है।