

Related Articles
लेकर साथ बसंत गए तुम, पीछे इक बरसात छोड़ दी……©️अंकिता सिंह
Ankita Singh =================== छूट गयी है घड़ी तुम्हारी भाग-दौड़ में यहीं मेज़ पर शायद, मेज़पोश पर तुमने अपनी बीती रात छोड़ दी! नज़र घड़ी पर टिकी हुई पर, मुझे समय का ध्यान नहीं है जिसकी टिक – टिक – टिक से मेरी नयी – नयी पहचान नहीं है । लगता है फिर घहराएँगे, यादों के […]
माँ एक बार फिर से गले लगाने के लिए आ….
Dr.vijayasingh ================ मुझे अच्छा लगता है माँ तुझे देखते रहना…तुम्हारी बिखरी चीज़ों का पड़ा रहना…तुम्हारी दवाइयों का बिखरा रहना…कार में खुद बैठने से पहले आपको को बैठाना आपकी छड़ी को पकड़ना जिस वक्त तुम्हारा हाथ पकड़कर सड़क पर चलती हूँ उस वक्त बहुत गर्व महसूस होता है कि मैं अपनी माँ का हाथ पकड़ रही […]
तपते रेगिस्तान में गीदड़ को एक मरा हुआ ऊंट मिल गया, आगे क्या हुआ, जानिये!
Hukam Singh ============== प्रश्न ये था कि तपते रेगिस्तान में गीदड़ को एक मरा हुआ ऊंट मिल गया। आगे क्या हुआ? तो साहब हुआ ये कि तपते रेगिस्तान में एक गीदड़ को मरा हुआ ऊंट मिल गया। गीदड़ की बांछे खिल गई और काफ़ी सोच विचार कर उसने ऊंट को अंदर ही अंदर खाने की […]