देश

उनकी पत्नी हाईकोर्ट के बाहर बैठकर टाइपिस्ट का काम करती थीं…उन्हें पकड़ने के लिए एटीएस ने तड़के छापा मारा…फिर

नक्सल कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तार पति कृपाशंकर सिंह अधिवक्ता और पत्नी बिंदा सोना उर्फ मंजू उर्फ सोना टाइपिस्ट का काम करती थी। उन्हें पकड़ने के लिए आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने धूमनगंज के जयंतीपुर मोहल्ले में तड़के छापा मारा। उधर, दोनों के नक्सल कनेक्शन में गिरफ्तारी की जानकारी पर आसपास के लोग स्तब्ध रह गए।

सूत्रों का कहना है कि दंपती तीन-चार सालों से जयंतीपुर में रहते थे। कृपाशंकर सिंह खुद को आपराधिक मामलों के वकील बताते थे। जबकि उनकी पत्नी हाईकोर्ट के बाहर बैठकर टाइपिस्ट का काम करती थीं। पति-पत्नी दोनों सुबह साथ में घर से निकलते थे और शाम को साथ लौटते थे। मोहल्ले के लोगों से उनका बहुत मिलना-जुलना नहीं था।

 

सूत्रों का कहना है कि एटीएस मंगलवार सुबह छह बजे के करीब धूमनगंज थाने पहुंची। थाने से सीधे वह जयंतीपुर स्थित दंपती के घर पहुंची। वहां पहुंचकर एटीएस में शामिल अफसरों ने दंपती से कुछ देर बातचीत की। थोड़ी देर बाद उन्हें लेकर रवाना हो गई। सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तारी करने वाली टीम में एटीएस लखनऊ के साथ ही एटीएस स्थानीय इकाई के जवान भी शामिल थे।

 

 

खबर मिलने पर आसपास के लोग स्तब्ध
दंपती की गिरफ्तारी तड़के हुई, ऐसे में मोहल्ले के बहुत से लोगों को कुछ भनक नहीं लगी। दोपहर होते-होते यह बात फैली कि कुछ लोग दंपती को उठाकर ले गए हैं। शाम को जब गिरफ्तारी की खबर वायरल हुई तो लोग स्तब्ध रह गए। दंपती पर लगे नक्सल कनेक्शन के आरोपों को लेकर लोग चर्चा करते रहे।

एनआईए ने भी की थी पूछताछ
दंपती से पिछले साल अर्बन नक्सल मूवमेंट को फिर से खड़ा करने की कोशिशों के आरोप में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी पूछताछ की थी। पांच सितंबर को रसूलाबाद में सीमा आजाद और विश्वविजय के घर के साथ एनआईए कृपाशंकर के घर भी पहुंची थी। साथ ही दंपती से घंटों पूछताछ की गई थी।

 

 

सुमन नाम बताती थी मंजू
सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार की गई मंजू मोहल्ले में अपना नाम सुमन बताती थी। आसपास के लोग उसे इसी नाम से जानते थे। यही वजह है कि जब मंजू नाम से गिरफ्तारी की खबर फैली तो लोग चौंक गए।

 

 

‘फर्जी केस में फंसाए गए लोगों की मदद पर गिरफ्तारी’
इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और पीयूसीएल की संगठन सचिव सीमा आजाद का आरोप है कि नक्सल कनेक्शन के मामले में फर्जी फंसाए गए लोगों की मदद करने के कारण कृपाशंकर सिंह व उनकी पत्नी को गिरफ्तार किया गया। उनका दावा है कि कृपाशंकर ने एटीएस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की थी। इसके अलावा वह कई लोगों के मामलों की पैरवी कर रह रहे हैं। इसीलिए उन पर झूठे आरोप लगाकर कार्रवाई की गई।

नक्सली गतिविधियों में संलिप्त दंपती गिरफ्तार
आपको बता दें कि नक्सली गतिविधियों में संलिप्त दंपती को यूपी एटीएस ने मंगलवार को प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया। दोनों पर देश के विभिन्न प्रांतों में नक्सली घटनाओं को अंजाम देने की साजिश में शामिल होने का आरोप है। एटीएस ने वर्ष 2019 में इस मामले की एफआईआर दर्ज की थी। इसमें सात लोगों को आरोपी बनाने के साथ दो आरोपियों मनीष श्रीवास्तव व अमिता श्रीवास्तव को जेल भेजा गया था।
एटीएस ने विवेचना के दौरान आरोपियों के मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा था। वर्ष 2023 में एफएसएल की रिपोर्ट मिलने पर दो अन्य नामजद आरोपियों बृजेश कुशवाहा व प्रभा को गिरफ्तार किया था। वहीं, नामजद आरोपी बिंदा सोना और उसके पति कृपाशंकर के बारे में हाल ही में एफएसएल रिपोर्ट में पुख्ता साक्ष्य मिले थे। इनकी जांच में सामने आया कि दोनों प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के प्रमुख सदस्य हैं। देश के विरुद्ध युद्ध की योजना बनाने की साजिश में दोनों के शामिल होने और इसके लिए किसान, मजदूर आदि लोगों को बहला-फुसला कर संगठन के लिए काम करने के लिए तैयार करने की पुष्टि हुई है।

 

एटीएस के मुताबिक कुशीनगर निवासी कृपाशंकर ने देवरिया से पॉलीटेक्निक की शिक्षा ग्रहण की है। वर्ष 2004 में वह रायपुर, छत्तीसगढ़ में बिनायक सेन व उसकी पत्नी एलीना सेन के एनजीओ ‘रूपान्तर’ से जुड़ गया था। वहां उसकी मुलाकात रायपुर निवासी बिंदा सोना उर्फ मंजू से हुई। दोनों ने शादी की और भाकपा (माओवादी) से जुड़ गए। संगठन के निर्देश पर वर्ष 2007-08 में दोनों दिल्ली आ गए। दिल्ली से वर्ष 2009-10 में देवरिया, कुशीनगर के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों, मजदूरों व छात्रों के बीच माओवादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने लगे।

एसटीएफ ने किया था गिरफ्तार
वर्ष 2010 में एसटीएफ ने कानपुर नगर में कृपाशंकर सिंह को यूएपीए एक्ट में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तार किया था। अक्तूबर 2016 में उसे जमानत मिल गई। रिहाई के बाद वह पत्नी संग दोबारा नक्सली गतिविधियों में संलिप्त हो गया। तब से दोनों यूपी और बिहार के उत्तरी क्षेत्र में भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय कमेटी व पोलित ब्यूरो के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ काम कर रहे थे। दोनों यूपी में नक्सल व अर्बन नक्सल गतिविधियों को गोपनीय रूप से प्रचारित-प्रसारित करने में जुटे थे।

पांच लाख रुपये के इनामी नक्सली से संबंध
वर्ष 2017-18 में कृपाशंकर और उसकी पत्नी ने दो दर्जन मुकदमों में वांछित पांच लाख के इनामी नक्सली क्वांथन श्रीनिवासन उर्फ अरबिन्द को महाराजगंज जिले के ग्राम करमहिया में शरण दी थी। श्रीनिवास को फर्जी नाम अरबिन्द नाम देने के बाद स्थानीय विद्यालय में शिक्षक का काम कराने लगे। दोनों श्रीनिवास से अक्सर मिलते और रात भर मीटिंग करते थे।