उत्तर प्रदेश राज्य

उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफ़िकेशन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और उसकी बिक्री पर रोक लगायी : रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को प्रदेश के भीतर हलाल सर्टिफ़िकेशन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और उसकी बिक्री पर रोक लगा दी है. हालांकि उन मामलों में छूट दी गई है जहां निर्यात होने वाले उत्पादों के लिए सर्टिफ़िकेशन की ज़रूरत होती है.

अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक ख़बर के अनुसार प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में हलाल सर्टिफ़िकेशन के ग़लत इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई थी जिसके बाद ये फ़ैसला लिया गया है.

अख़बार लिखता है कि एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक क़ानून 2006 में हलाल सर्टिफ़िकेशन का ज़िक्र नहीं है इसलिए ये ग़ैर-क़ानूनी है.

सरकार का ये फ़ैसला शुक्रवार को पुलिस में दर्ज की गई एक शिकायत के बाद आया है जिसमें आठ एजेंसियों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर “फ़र्ज़ी” और “ग़ैर-क़ानूनी” तरीक़े से हलाल सर्टिफ़िकेट बांटने का आरोप लगाया गया है. शिकायत के अनुसार इससे सामाजिक वैमनस्य बढ़ने और आम लोगों के भरोसे को तोड़ने का ख़तरा है.

यूपी पुलिस के एक अधिकारी के हवाले से अख़बार लिखता है कि शैलेन्द्र कुमार सुमन नाम के एक व्यवसायी की दी गई ये शिकायत इस तरह के हलाल सर्टिफ़िकेट के ख़िलाफ़ पहली क़ानूनी कार्रवाई है.

शिकायत में जिन एजेंसियों पर आरोप लगाए गए हैं वो हैं हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट. इन पर आपराधिक साज़िश, धोखाधड़ी और अलग-अलग समुदायों के बीच तनाव को बढ़ावा देने का आरोप है.

अख़बार लिखता है कि खाने के उत्पादों की गुणवत्ता और मानकों पर नज़र रखने वाली फूड सेफ्टी और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन मामलों की कमिश्नर अनीता सिंह ने खाद्य सुरक्षा और मानक क़ानून 2006 के तहत ये आदेश जारी किया है.

इस आदेश के तहत आम लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए उत्तर प्रदेश में अब हलाल सर्टिफ़िकेशन वाले खाद्य उत्पादों का उत्पादन, उसका भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

हलाल ट्रस्ट बोला- छवि बिगाड़ने की कोशिश

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में ही छपी एक और ख़बर के अनुसार शनिवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इन आरोपों को “बेतुका” बताया है और कहा है कि ये “उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश है.”

ट्रस्ट ने कहा कि वो इस तरह की भ्रामक जानकारियों के ख़िलाफ़ “क़ानूनी कदम उठाएगा.”

ट्रस्ट के सीईओ नियाज़ ए फ़ारूक़ी ने एक बयान जारी कर कहा, “जैसा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है सभी तरह के हलाल सर्टिफ़िकेशन के लिए एनएबीसीबी (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फ़ॉर सर्टिफ़िकेशन बॉडीज़ अंडर क्वालिटी काउंसिल ऑफ़ इंडिया) के पास पंजीकृत होना ज़रूरी है, ट्रस्ट सभी सरकारी नियमों का पालन करता है.”

नई दिल्ली के जमीयत उलेमा-ए-हिंद परिसर में मौजूद ट्रस्ट के दफ्तर ने अपने बयान में कहा, “वैश्विक बाज़ार में हलाल सर्टिफ़िटेक मिले उत्पादों की मांग है, और ये ज़रूरी है कि भारतीय कंपनियों को इस तरह सर्टिफ़िकेशन मिले. वाणिज्य मंत्रालय भी इस तथ्य को मानता है. हलाल सर्टिफ़िकेशन के तहत लगने वाला लोगो (निशान) न केवल हलाल उत्पाद लेने वाले उपभोक्ताओं की मदद करता है बल्कि सभी उपभोक्ताओं को जानकारी देता है और फ़ैसला लेने में उनकी मदद करता है.”

अख़बार के अनुसार, कथित तौर पर ट्रस्ट ने आरोप लगाया कि कुछ लोग हलाल सर्टिफ़िकेशन के ख़िलाफ़ भ्रामक बातें फैला रहा रहे हैं, ये हमारे राष्ट्रीय हितों की अवमानना है.

ट्रस्ट के बयान के अनुसार हलाल उत्पादों का बाज़ार 3.5 ट्रिलियन डॉलर का है और ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कंट्रीज़ के अपने सहयागियों और ख़ासकर दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों में इसके निर्यात और पर्यटन में इसे बढ़ावा देने से भारत को भी लाभ होता है.

ये रोक जिन खाद्य उत्पादों पर लागू होगी उनमें दुग्ध उत्पाद, चीनी, बेकरी उत्पाद, पिपरमिन्ट का तेल, नमकीन और स्नैक्स और खाने का तेल शामिल हैं. साथ ही सरकार ने फूड कमिश्नर से कहा है कि अगर हलाल सर्टिफ़िकेशन के साथ दवाओं, चिकित्सा उपकरण, कॉस्मेटिक्स की ब्रिकी हो रही हो तो उस पर ये रोक लागू की जाए.