

Related Articles
”तुम कभी किसी को ये मत बताना कि ये स्कूटर तुमने कहाँ से और कैसे चोरी किया”
ये कहानी हमारे मित्र गुप्ता जी के लिए :: व्यवहार :: गुप्ता जी, पेशे से व्यापारी थे। कस्बे से दुकान की दूरी महज़ 9 किलोमीटर थी। एकदम वीराने में थी उनकी दुकान कस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा कदा ही मिलता था, तो अक्सर लिफ्ट मांग कर ही काम चलाना पड़ता था और […]
कुछ दोहे….कौन किसी को दे सका, पल भर को आराम, सबकी अपनी जिंदगी, सबके अपने काम!
चित्र गुप्त =============== कुछ दोहे ******** चिंता बोली चिता से, मैं जंगल तू रेह तू मुर्दे को बारती, मैं जिंदे की देह सपने डिजिटल इंडिया, के देकर सरकार कटवा देगी एक दिन इंटरनेट के तार। इक पलड़े में दुःख सभी, तह से कर दो सेट फिर भी भारी ही लगी, मोबाइल बिन नेट चित्रगुप्त कारण […]
क्या बात है सालीजी, आजकल याद ही नहीं करतीं?
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ================== जीजाजी यानी मेरी मौसेरी बहन कृष्णा के पति का फोन था, “क्या बात है सालीजी, आजकल याद ही नहीं करतीं? तुम्हारी दीदी कुछ बीमार चल रही है, बहुत याद कर रही है तुम्हें. थोड़ा समय निकालकर मिलने आ जाओगी तो उसे अच्छा लगेगा.” “क्या हो गया दीदी को? कोई सीरियस बात […]