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ईरान पर इराक़ का बड़ा आरोप : रिपोर्ट

इराक़ी विदेश मंत्री फ़ुवाद हुसैन ने ईरान पर उनके देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि दोनों देशों के संबंध अब चुप्पी के स्तर से निकलकर खुले स्तर पर आ गए हैं

मिस्र के टीवी चैनल अल-ग़द को इंटरव्यू देते हुए हुसैन ने कहाः आजकल तेहरान बग़दाद से नई ज़बान सुन रहा है, जो इससे पहले नहीं सुनी होगी। आज इराक़ की विदेश नीति भी किसी देश के दबाव में नहीं है, बल्कि उसका आधार राष्ट्रीय हित हैं। हम दोस्त रहेंगे और पड़ोसी भी और आपसी सहयोग भी जारी रखेंगे, लेकिन ईरान का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ऐसा लगता है कि ईरान के हस्तक्षेप को लेकर इराक़ी विदेश मंत्री का बयान, उनके देश में राजनीतिक गतिरोध को लेकर है, जो अक्तूबर से जारी है। हालांकि इराक़ के वर्तमान राजनीतिक गतिरोध को लेकर अकसर ईरान ने दो बातें कही हैं। पहली बात यह कि ईरान, इराक़ में शांति व स्थिरता चाहता है, दूसरे यह कि ईरान ने राजनीतिक गतिरोध से निकलने के लिए इराक़ के राजनीतिक दलों के बीच वार्ता पर ज़ोर दिया है। इसलिए ईरान पर इराक़ के मामलों में हस्तक्षेप का दावा ग़लत है और यह वही दावा है कि जो अकसर ज़ायोनी शासन दोहराता रहता है।

फ़ुवाद हुसैन के इस दावे के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं। इसके पीछे राजनीतिक उद्देश्य हैं और अरब भावना से प्रभावित होकर यह बयान दिया गया है। ख़ास तौर पर इसके लिए मिस्र के अरबी भाषा के चैनल का चुनाव किया गया है। दूसरे यह कि हुसैन कुर्दिस्तान डोमेक्रेटिक पार्टी के सदस्य हैं, जो कुर्दिस्तान की स्वतंत्रता पर बल देती है। उसका मानना है कि ईरान उसकी इस मांग के मुख्य विरोधियों में से एक है। 2017 में हुए जनमत संग्रह की असफलता का सेहरा भी यह पार्टी ईरान के सिर बांधती है। तीसरे यह कि यह उनके निजी विचार हो सकते हैं। क्योंकि इराक़ के कुछ नेता अपने राष्ट्रीय हितों और नीतियों से हटकर उस लाइन पर चलते हैं, जो अमरीका और उसके सहयोगी अरब देश खींचते हैं।

यहां महत्वपूर्ण बिंदू यह है कि अगर चुप्पी से निकलकर खुलकर बोलने की बात है, तो बग़दाद और इराक़ी नेताओं को इस बात का जवाब देना होगा कि कैसे अमरीका ने इराक़ी सरज़मीन पर जनरल सुलेमानी को शहीद कर दिया, जो इस देश के आधिकारिक दौरे पर थे। दूसरे इस्राईल की ख़ुफ़िया एजेंसियां, इराक़ के कुर्दिस्तान इलाक़े में किया कर रही हैं। निसंदेह, कुर्दिस्तान में इस्राईली अड्डों पर ईरान मिसाइल हमले न सिर्फ़ उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं है, बल्कि अपनी संप्रभुता की रक्षा है, जिसे कुर्दिस्तान के भीतर से चुनौती मिल रही है।