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ईरान का पाकिस्तान में मिसाइल हमला, ईरान का संदेश : पाकिस्तान ने दी गंभीर नतीजे की चेतावनी!

ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड कोर यानी आईआरजीसी ने हाल के वर्षों में क्षेत्रीय ताक़तों के बीच अपनी स्थिति मज़बूत की है.

आईआरजीसी खुलेआम कहता है कि मध्य पूर्व में अमेरिकी बेस, तेल अवीव और हाफ़िया में इसराइली बेस सभी उसकी मिसाइलों की ज़द में हैं.

सोमवार की रात ईरान की रिवॉल्युशनरी गार्ड ने इराक़ के अर्द्ध-स्वायत्त कुर्दिस्तान की राजधानी इरबिल में 11 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं.

कुर्दिस्तान प्रशासन का कहना है कि इन हमलों में कम से कम चार आम लोगों की मौत हुई है और छह ज़ख़्मी हुए हैं.

कुर्दिस्तान इलाक़े के प्रधानमंत्री मसरूर बरज़ानी ने इन हमलों को कुर्दिश लोगों के ख़िलाफ़ अपराध बताया है.

आईआरजीसी की क़रीबी फार्स न्यूज़ एजेंसी ने दावा किया है कि इन हमलों में इसराइल की ख़ुफ़िया सर्विस मोसाद से जुड़े तीन ठिकानों को नष्ट किया गया है.

इराक़ की कुर्दिस्तान सरकार ने अपनी ज़मीन पर विदेशी एजेंटों की मौजूदगी से इनकार किया है. हालांकि इस मामले में इसराइल ने अब तक कुछ भी नहीं कहा है.

एक साथ तीन देशों पर हमला

आईआरजीसी ने जाने-माने कुर्दिश करोड़पति कारोबारी पेश्राव डिज़ायी को उनके आवास पर हमला कर मार दिया है. ईरान ने यह दिखाया है कि वह टारगेट कर हमला करने में सफल है.

2003 में इराक़ पर अमेरिकी हमले के बाद डिज़ायी ने फाल्कन ग्रुप और एम्पायर वर्ल्ड नाम की दो कंपनियां बनाई थीं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि पेश्राव डिज़ायी कुर्दिस्तान के प्रधानमंत्री बरज़ानी परिवार के क़रीबी थे.

पेश्राव डिज़ायी के घर पर चार मिसाइलें दागी गईं. स्थानीय मीडिया की ख़बरों के अनुसार, इस हमले में डिज़ायी की 11 महीने की बेटी की भी मौत हो गई है.

फाल्कन ग्रुप का दखल सुरक्षा, कंस्ट्रक्शन, तेल और गैस सेक्टर में है. इराक़ में फाल्कन ग्रुप का सिक्योरिटी डिविज़न अमेरिकी और कई पश्चिमी प्रतिनिधियों के साथ कंपनियों को मदद पहुँचाता रहा है.

आईआरजीसी ने इन हमलों से संदेश देने की कोशिश की है कि वह न केवल नागरिक सुविधाओं को निशाना बना सकता है बल्कि इरबिल इंटरनेशनल एयरपोर्ट के क़रीब सैन्य ठिकानों को भी टारगेट कर सकता है.

इरबिल एयरपोर्ट से अमेरिकी नेतृत्व वाला गठबंधन का बेस कुछ मिल की दूरी पर है.

इराक़ में हमला क्यों?

इराक़ में अभी अमेरिका के 2500 सैनिक हैं. इनमें से कुछ सैनिक इरबिल में भी हैं. ये सैनिक इस्लामिक स्टेट ग्रुप के ख़िलाफ़ अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन के हिस्सा रहे हैं.

अमेरिका का कहना है कि उनके सैनिक स्थानीय लोगों की मदद के लिए हैं ताकि आईएस का फिर से उभार को रोका जा सके. आईएस का इन इलाक़ों में एक वक़्त में काफ़ी दबदबा था.

हालांकि इन हमलों को ईरान के घरेलू मक़सदों के आईने में भी देखा जा रहा है. सीरिया में इसराइली हमले के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.

सीरिया की राजधानी दमिश्क के बाहरी इलाक़ों में 25 दिसंबर को आईआरजीसी के एक सीनियर कमांडर को मार दिया गया था. ऐसा माना जा रहा कि ईरानी कमांडर की मौत इसराइली हमले में हुई थी.

15 जनवरी को आईआरजीसी ने उत्तर-पश्चिम सीरिया के इदलिब प्रांत में भी बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया. कहा जा रहा है कि ईरान ने इन हमलों के ज़रिए आईएस और अन्य आतंकवादी समूहों को निशाना बनाया है.

इदलिब क़रीब 30 लाख विस्थापित सीरियाई नागरिकों का इलाक़ा है, जिन्होंने 2011 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के ख़िलाफ़ विद्रोह का समर्थन किया था.

ईरान बशर अल-असद का समर्थन करता है. ईरान शिया मुस्लिम बहुल देश है और बशर अल-असद सुन्नी बहुल सीरिया के शिया प्रधानमंत्री हैं.

ईरान का संदेश

पश्चिमी मुल्कों ने बशर अल-असद को सत्ता से हटाने की पूरी कोशिश की लेकिन ईरान और रूस की मदद से असद अब भी सत्ता में हैं.

इदलिब में इस्लामिक ग्रुप हयात तहरीर अल-शर्म की मौज़ूदगी काफ़ी मज़बूत है और साथ में आईएस के अलावा अल-क़ायदा का भी प्रभाव है.

आईआरजीसी ने कहा है कि इदलिब में मिसाइल हमला तीन जनवरी को दक्षिणी ईरान के कर्मन में आत्मघाती हमले के जवाब में था.

कर्मन में आईआरजीसी के कमांडर क़ासिम सुलेमानी को श्रद्धांजलि देने बड़ी संख्या में भीड़ जुटी थी, तभी आत्मघाती हमला हुआ था.

आईआरजीसी ने कहा है कि इदलिब में उसने हमले में कैस्टल बस्टर मिसाइल का इस्तेमाल किया है जो 1450 किलोमीटर की दूरी तक जा सकती है.

आईआरजीसी ने कहा है कि उसने मिसाइल हमला दक्षिणी ईरान के ख़ुज़ेस्तान से किया है.

हालांकि आईआरजीसी इदलिब में मिसाइल हमला पश्चिमी अज़रबैजान प्रांत से भी कर सकता है, जो इदलिब के ज़्यादा क़रीब है.

लेकिन ईरान ने जिस मिसाइल को जिस जगह से छोड़ा वो दुनिया को दिखाने की कोशिश थी कि उसकी पहुँच इसराइल के कई इलाक़ों तक है.

ईरान ने इराक़ और सीरिया के बाद पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में भी एक चरमपंथी संगठन के ठिकाने पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया है.

पाकिस्तान ने कहा है कि इस हमले में दो बच्चों की मौत हुई है और तीन ज़ख़्मी हुए हैं. पाकिस्तान ने इस हमले को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है और गंभीर नतीजे की चेतावनी दी है. ईरान इससे पहले भी पाकिस्तान में घुसकर हमला कर चुका है.

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जियार गोल
पदनाम,बीबीसी फारसी संवाददाता

 

पाकिस्तान ने दी गंभीर नतीजे की चेतावनी

पाकिस्तान ने कहा है कि मंगलवार को ईरान के हमले में दो बच्चों की मौत हुई है और तीन अन्य ज़ख़्मी हुए हैं. ईरान ने कहा है कि अतिवादी संगठन जैश अल-अद्ल से जुड़े दो ठिकानों को उसने टारगेट किया है.

ईरान की सेना से जुड़ी एक न्यूज़ एजेंसी ने इसकी जानकारी दी है. पाकिस्तान ने ईरानी कार्रवाई को अवैध बताया है और कहा है कि इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं.

ईरान ने ये हमला तब किया है, जब पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवर उल-हक़ काकड़ की मुलाक़ात दावोस में ईरानी विदेश मंत्री से हुई है.

पिछले कुछ दिनों में इराक़ और सीरिया के बाद पाकिस्तान तीसरा देश है, जहाँ ईरान ने हमल

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर ईरान को चेतावनी दी और कहा कि “बिना उकसावे के हमारे हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने और देश के भीतर हमला करने की हम निंदा करते हैं.”

मंत्रालय ने कहा कि “ये पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.”

इससे पहले ईरानी सरकारी मीडिया में ख़बरें आईं कि ईरानी रिवॉल्युश्नरी गार्ड कोर ने पाकिस्तान में चरमपंथियों के दो ठिकानों पर हमला किया है.

हालांकि पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि धमाके बलूचिस्तान प्रांत में हुए हैं.

पाकिस्तान की पूर्वी सीमा ईरान से सटती है. दोनों लगभग 900 किलोमीटर (559 मील) लंबी सीमा साझा करते हैं.

ईरान के पूर्वी सीमा में सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत है जो पाकिस्तान के पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत से जुड़ा है. सीमा के पास के इन इलाक़ों में कम ही अबादी रहती है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, पाकिस्तान की चेतावनी के बाद अब तक ईरान ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

ईरान का दावा

ईरान की सेना ने जुड़ी एक समाचार एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि ईरान ने चरमपंथी समूह जैश अल-अद्ल से जुड़े दो ठिकानों पर हमले किए हैं.

ईरान की सरकारी एजेंसी आईआरएनए के अनुसार, पाकिस्तान में हुए हमले के लिए मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था और ये हमले चरमपंथियों के दो ठिकानों पर किए गए.

सरकारी मीडिया में दावा किया गया है कि हमले में चरमपंथी गुट के मुख्यालय को निशाना बनाया गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये एक मिसाइल हमला है जो पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में बलूचिस्तान के एक गाँव पर हुआ है.

इस हिस्से में पाकिस्तान और ईरान दशकों से जैश अल-अद्ल समेत अन्य चरमपंथी गुटों से लड़ते रहे हैं.

सीएनएन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार जैश अल-अद्ल ने मंगलवार देर रात कहा है कि ईरानी रिवॉल्युशनरी गार्ड ने हमले में छह अटैक ड्रोन और कई रॉकेट का इस्तेमाल किया.

हमले में दो घर तबाह हुए हैं, जिनमें जैश अल-अद्ल के लड़ाकों के बच्चे और पत्नियां रहते थे.

सीएनएन ने कहा है कि जैश अल-अद्ल ने टेलीग्राम पर एक बयान जारी कर रहा है कि हमले में दो बच्चों की मौत हुई है तीन घायल हैं. घायलों में दो महिलाएं और एक बच्ची है. बच्ची की हालत गंभीर बताई गई है.
ईरान का कहना है कि बीते महीने सीमा के पास ईरान में रस्क शहर में एक पुलिस चौकी पर हमला हुआ था, जिसमें एक दर्जन से अधिक ईरानी पुलिस अधिकारियों की मौत हुई थी.

डॉन में छपी एक ख़बर के अनुसार जैश अल-अद्ल ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी.

एक अन्य रिपोर्ट में डॉन ने कहा कि उस वक्त ईरान के गृह मंत्री अहमद वाहिदी ने कहा था हमले के लिए जैश अल-अद्ल के चरमपंथी ज़िम्मेदार थे, जो पाकिस्तान की सीमा की तरफ़ से देश में घुसे थे.

उन्होंने पाकिस्तान से अपील की थी कि वो सीमा के पास के इलाक़ों में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ क़दम उठाए और वहाँ उनके ठिकाने न पनपने दे.

इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अपने आधिकारिक दौरे पर ईरान में हैं.

सोमवार को उन्होंने ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अब्दुल्लाहियान से मुलाक़ात की थी.

बताया जा रहा है कि मध्य-पूर्व में जारी तनाव और लाल सागर पर मालवाहक जहाज़ों पर हो रहे हूती विद्रोहियों के हमलों को लेकर चर्चा हुई.

ईरान का हमला ऐसे वक्त हुआ है जब डावोस में हो रहे वर्ल्ड इकोनॉमिस फ़ोरम में पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवार अल-हक़ काकड़ की मुलाक़ात ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान से हुई है.

दोनों के बीच किन मुद्दों पवर बातटीत हुई इस पर अब तक अधिक जानकरी साझी नहीं की गई है.

इससे पहले इसी सप्ताह होर्मूज़ की खाड़ी और फारस की खाड़ी में ईरान और पाकिस्तान की नौसेना का साझा युद्दाभ्यास भी हुआ है.

दूसरी तरफ इसी सप्ताह भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी ईरान के दौरे पर गए थे. उन्होंने वहां राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाक़ात की. साथ ही ईरानी राजनयिकों के साथ मध्यपूर्व में जारी तनाव और लाल सागर में मालवाहक जहाज़ों पर हूती विद्रोहियों के हमलों पर चर्चा की है.
पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी किया और कहा कि ईरान ने बिना उकसावे के उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है और उसकी सीमा के भीतर हमला किया है, जिससे दो मासूम लड़कों की और तीन लड़कियों की मौत हो गई है.

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ये पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है और इसे क़तई स्वीकार नहीं कया जा सकता. पाकिस्तान ने कहा है कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि “ये इसलिए और भी चिंताजनक बात है क्योंकि पाकिस्तान और ईरान के बीच बातचीत के कई चैनल मौजूद हैं लेकिन इसके बावजूद इस ग़ैर-क़ानूनी काम को अंजाम दिया गया है.”

पाकिस्तान ने कहा है कि तेहरान में मौजूद ईरानी विदेश मंत्रालय के आला अधिकारी से इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई है.

साथ ही पाकिस्तान ने देश में ईरान के राजनयिक को तलब कर अपना विरोध जताया और कहा कि “ये पाकिस्तान की संप्रभुता का खुला उल्लंघन है, इसका जो भी परिणाम होगा उसके लिए ईरान ही ज़िम्मदार होगा.”

बयान में ये भी कहा गया है कि “पाकिस्तान ने हमेशा ही ये कहा है कि आतंकवाद इलाक़े के सभी देशों के लिए एक साझा ख़तरा है, जिसके लिए साथ मिलकर कार्रवाई की ज़रूरत है. अच्छे पड़ोसी संबंधों के लिहाज़ से इस तरह के एकतरफ़ा क़दम सही नहीं हैं और इसका असर आपसी भरोसे और विश्वास पर पड़ सकता है.”

कौन है जैश अल-अद्ल?
अमेरिका के डायरेक्टर ऑफ़ नेशनल इंटेलिजेंस के अनुसार जैश अल-अद्ल नाम का समूह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में काम करने वाला “सबसे सक्रिय और प्रभावी” सुन्नी चरमपंथी संगठन है.

इस संगठन का नाम जुनदल्लाह हुआ करता था लेकिन साल 2012 में इसने अपना नाम बदल दिया. नेशनल इंटेलिजेंस की वेबसाइट के अनुसार, इसे ‘पीपल्स रेज़िस्टेन्स ऑफ़ ईरान’ भी कहा जाता है.

अब्दुल मलिक रेगी ने 2002 या 2003 में इस संगठन को बनाया था और वो कई साल तक इसके नेता रहे.

ये संगठन 2003 में उस वक़्त चर्चा में आया, जब इसने ने ईरान के सरकारी ठिकानों कई हमले किए और पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदिनेजाद की हत्या की कोशिश की.

18 अक्तूबर 2009 को इस गुट ने ईरान के पिशिन शहर में एक हमला किया था. ईरान का कहना था कि पाकिस्तान से सीमा पार कर आए एक आत्मघाती हमलावर ने ईरानी बलोच कबिलाई नेताओं की एक बैठक में धमाका किया था. इस बैठक में ईरानी रिवॉल्युशनरी गार्ड्स के वरिष्ठ कमांडर भी शामिल थे.

इस हमले में रिवॉल्युशनरी गार्ड्स के डिप्टी कमांडर नूर अली शूश्तारी की मौत हो गई थी, जिसमें देश के सुप्रीम लीडर आयतोल्लाह अली ख़ामेनेई का क़रीबी माना जाता था.

इस हमले में दोनों मुल्कों के बीच रिश्तों की दिशा बदल दी थी.

अब्दुल मलिक रेगी को ईरान ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें साल 2010 में मौत की सज़ा दी गई, जिसके बाद ये समूह कई हिस्सों में बँट गया. इनमें से जैश अल-अद्ल सबसे प्रभावी हो कर उभरा.

ये संगठन अधिकतर ईरानी सुरक्षाबलों को निशाना बनाता है, लेकिन सरकारी अधिकारियों और आम शिया मुसलमानों पर भी हमले करता रहा है. इसके हमले के तरीक़ों में गोलीबारी करना, अगवा करना, हत्या करना और आत्मघाती धमाले शामिल हैं.

इस संगठन ने सीमा पर बने चेक नाकों पर और यहाँ के होकर गुज़रने वाली गाड़ियों पर भी छोटे हथियारों और रॉकेट से हमले किए हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने चार नवंबर 2010 को जुनदल्लाह को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था. बाद में इसमें संशोधन कर 2019 में जैश अल-अद्ल का नाम इसमें शामिल किया गया.

पहले भी हुए हैं सीमा पार हमले
शिया बहुल ईरान और सुन्नी बहुल पाकिस्तान में इस सीमा के पास पहले भी हमले होते रहे हैं.

अप्रैल 2023 में पाकिस्तान की सेना ने कहा था कि बलूचिस्तान में एक चरमपंथी हमले में चार पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई थी. उसका कहना था कि ईरान से सटी सीमा की तरफ़ से आए चरमपंथियों ने इस घटना को अंजाम दिया है.

मई 2023 में सिस्तान बलूचिस्तान के ज़ाहेदान में ईरानी सीमा सुरक्षाबलों से साथ एक सशस्त्र चरमपंथी गुट की झड़प हुई थी जिसमें ईरान ने पांच सैनिक मारे गए थे.

उस पर सरकारी मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, ये एक चरमपंथी समूह से जुड़े लोग थे जो सीमा पार कर देश में घुसे थे लेकिन झड़प में उनके सदस्यों के घायल होने के बाद उन्हें भागना पड़ा.

अक्तूबर 2014 को ईरान विरोधी चरमपंथियों की तलाश में ईरानी सुरक्षाबलों के तीस सैनिकों ने सीमा पार की थी. इस घटना में पाकिस्तान फ्रंटियर कोर के एक सैनिक की मौत हुई थी