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ईरान और सीरिया के संयुक्त बयान से इस्राईल और अमरीका की नींद हुई हराम : दोनों देशों के बीच 15 समझौतों पर हुए हस्ताक्षर : रिपोर्ट

ईरान और सीरिया की दोस्ती से इस्राईल और अमरीका क्यों चिंतित हैं?

ईरानी राष्ट्रपति रईसी के नेतृत्व में एक बड़ा आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क़ पहुंचा है। 2010 के बाद से यह किसी ईरानी राष्ट्रपति की दमिश्क़ की पहली यात्रा है।

टीकाकारों का मानना है कि ईरानी राष्ट्रपति की सीरिया यात्रा का मुख्य उद्देश्य, दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत बनाना, विनाशकारी युद्ध के बाद देश के पुनर्निर्माण में मदद करना और ज़ायोनी शासन के ख़तरे के मुक़ाबले में प्रतिरोधी मोर्चे को मज़बूती प्रदान करना है।

इस्राईली मीडिया ने भी ईरानी राष्ट्रपति की दमिश्क़ यात्रा का व्यापक कवरेज दिया है और इसकी समीक्षा करते हुए ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ इसे एक रणनीतिक क़दम, इस्लामी प्रतिरोध की जीत और ज़ायोनी शासन के लिए एक बड़ी हार क़रार दिया है।

ज़ायोनी शासन की मिलिट्री इंटेलिजेंस रिसर्च डिवीज़न के पूर्व प्रमुख जनरल अमोस गिलियड ने एक रेडियो साक्षात्कार में कहा कि इस्राईल अब कमज़ोर पड़ गया है और ईरानी इस बात को डंके की चोट पर जता भी रहे हैं।

वहीं ईरानी राष्ट्रपति ने सीरिया की अपनी यात्रा से एक दिन पहले अल-मयादीन टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा था कि उनकी दमिश्क़ यात्रा से दोनों देशों के बीच रणनीतिक और महत्वपूर्ण साझेदारी विकसित करने में मदद मिलेगी।

ईरान और सीरिया के राष्ट्रपतियों और उनकी उपस्थिति में दोनों देशों के अधिकारियों ने तेल समेत कम से कम 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस बीच, अमरीका ने तेहरान और दमिश्क़ के बीच मज़बूत होते संबंधों पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि विश्व को इन दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग पर चिंतित होना चाहिए। हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और ख़ास तौर पर अरब जगत ने अमरीका और इस्राईल की चिंताओं को ख़ारिज कर दिया है और दोनों देशों के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों और सहयोग को महत्व दिया है।

ईरानी राष्ट्रपति की सीरिया की यह यात्रा ऐसी स्थिति में हो रह है, जब मिस्र और सऊदी अरब समेत क्षेत्रीय अरब देश सीरिया के लिए अपने दरवाज़े खोल रहे हैं और उनके प्रतिनिधि दमिश्क़ की यात्राएं कर रहे हैं।

सीरिया संकट में सीरियाई सरकार का समर्थन करने वाले ईरान और सरकार विरोधी गुटों का समर्थन करने वाले सऊदी अरब ने मार्च में चीन की राजधानी बीजिंग में द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंधों की बहाली और आपसी सहयोग बढ़ाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ज़ायोनी शासन और उसकी समर्थक पश्चिमी शक्तियों ने प्रतिरोधी मोर्चे को कमज़ोर करने या नष्ट करने के लिए एक दशक से भी ज़्यादा समय तक सीरिया और क्षेत्र में ख़ून की होली खेली, लेकिन प्रतिरोधी मोर्चे ने हार नहीं मानी और दुश्मनों का डटकर मुक़ाबला किया। परिणाम स्वरूप, आज प्रतिरोधी मोर्चा पहले से भी कहीं अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली है, जबकि दुश्मन का मोर्चा कमज़ोर पड़ रहा है और बिखर रहा है।


ईरान और सीरिया के बीच 15 समझौतों पर हस्ताक्षर

ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने दमिश्क़ की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान, अपने सीरियाई समकक्ष बशार असद के साथ मुलाक़ात में दोनों मित्र देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए तेल और अन्य क्षेत्रों से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

ईरानी राष्ट्रपति रईसी के नेतृत्व में एक बड़ा आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क़ पहुंचा है। 2010 के बाद से यह किसी ईरानी राष्ट्रपति की दमिश्क़ की पहली यात्रा है।

ईरानी राष्ट्रपति के साथ सीरिया के दौरे पर जाने वाले अधिकारियों में विदेश, रक्षा, तेल, सड़क और शहरी विकास और दूरसंचार मंत्री शामिल हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में निजी क्षेत्र के कई व्यवसायी भी शामिल हैं।

ईरान और सीरिया के राष्ट्रपतियों और उनकी उपस्थिति में दोनों देशों के अधिकारियों ने तेल समेत कम से कम 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस अवसर पर ईरानी राष्ट्रपति ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में सीरिया और प्रतिरोधी मोर्चे की जीत पर ख़ुशी का इज़हार करते हुए कहाः क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घटना वाले घटनाक्रम, दोनों मित्र देशों के संबंधों को प्रभावित नहीं कर सके।

वहीं सीरियाई राष्ट्रपति का कहना था कि उनका देश, कठिन परिस्थितियों में मित्र देश ईरान के समर्थन और मोहब्बत को कभी नहीं भूलेगा।

ईरान और सीरिया के संयुक्त बयान से इस्राईल और अमरीका की नींद हुई हराम

राष्ट्रपति रईसी के सीरिया के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी अपने सीरियाई समकक्ष की ओर से दिए गये आधिकारिक निमंत्रण पर बुधवार को दो दिवसीय सीरिया दौरे पर दमिश्क़ पहुंचे और उन्होंने सीरिया के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार, महत्वपूर्ण क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय हालात तथा आपसी रुचि के अहम मुद्दों पर विचार विमर्श किया।

दोनों राष्ट्रपतियों ने गहन बातचीत की जो दोनों देशों के बीच भाईचारे और रणनीतिक संबंधों के साथ क्षेत्र और वैश्विक परिस्थितियों में नवीनतम विकास के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को विकसित और मजबूत करने के तरीकों पर केंद्रित थीं।

दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के लक्ष्यों और सिद्धांतों के अनुसार राष्ट्रीय संप्रभुता, स्वतंत्रता और दोनों देशों की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा व सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया।

तेहरान और दमिश्क़ ने राजनीतिक, आर्थिक, कूटनयिक और अन्य क्षेत्रों में सहयोग जारी रखने पर बल देते हुए दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडलों की आवाजाही जारी रखते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मज़बूत करने के महत्व पर बल दिया।

दोनों पक्षों ने संयुक्त उच्चायोग जैसे मौजूदा तंत्रों के माध्यम से दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक व आर्थिक संबंधों को विकसित करने के लिए किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने पर अपनी तत्परता और इच्छा व्यक्त की जबकि सीरिया के पुनर्निर्माण के क्षेत्र में मौजूद आपसी सहयोग पर भी ज़ोर दिया।

ईरान और सीरिया ने ने आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त सहयोग पर संतोष व्यक्त करते हुए सभी आतंकवादी गुटों के समूल सफ़ाए के लिए संयुक्त सहयोग जारी रखने पर ज़ोर दिया।

दोनों पक्षों ने सीरिया पर ज़ायोनी शासन के हमलों की कड़ी निंदा की और इसे क्षेत्र में अस्थिरता का कारक क़रार दिया जबकि दोनों पक्षों ने इन हमलों का उचित तरीक़े से जवाब देने के लिए सीरिया के क़ानूनी अधिकार पर भी बल दिया।

ईरान और सीरिया ने अतिग्रहित गोलान हाइट्स पर इस्राईल के ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़े की निंदा की और गोलान हाइट्स के विलय सहति अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन की कार्रवाइयों की भी निंदा की जो अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत और विरुद्ध है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान और सीरिया ने सीरिया की धरती पर अमरीकी सैनिकों की उपस्थिति को अतिग्रहण और ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़ा क़रार दिया और इसकी कड़े शब्दों में निंदा की और इसे तुरंत समाप्त करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया जो सीरिया की राष्ट्रीय संप्रभुता और उसकी क्षेत्रीय अखंडता का खुला उल्लंघन है।