विशेष

इस युद्ध की ग़लतियाँ और सीख : ट्रम्प न अदानी को बचाएगा, न डोभाल को, और न मोदी को…

रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India
@DefenceMinIndia
भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढाँचा ढहाने के उद्देश्य से लांच किया था। हमने उनके आम नागरिकों को कभी निशाना नहीं बनाया था। मगर पाकिस्तान ने न केवल भारत के नागरिक इलाकों को निशाना बनाया बल्कि मंदिर, गुरुद्वारा और गिरिजाघर पर भी हमले करने का प्रयास किया: रक्षा मंत्री श्री
@rajnathsingh\

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
ट्रम्प न अदानी को बचाएगा, न डोभाल को, और न मोदी को – तीनों के ख़िलाफ F.I.R. और अदालती केस जारी रहेंगे क्योंकि राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट में दखल नहीं कर सकता
✨✨✨✨✨
इसी तरह ट्रम्प बजरंग दल और विहिप को आतंकवादी लिस्ट से भी नहीं हटा सकता क्योंकि वह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है

Shyam Meera Singh
@ShyamMeeraSingh
इस युद्ध की ग़लतियाँ और सीख:
———————-
-हम बिना डिप्लोमेटिक तैयारी के गए, हमारे सपोर्ट में कोई देश नहीं था। पिछले दस सालों में एक एक करके सारे देश इंडिया से दूर हो गए

– मोदी सिर्फ़ मीडिया मैनेज करने के लिए पहले दिन अटैक किया। इसके बाद से ही हम डिफेंसिव रहे।

– अटैक हमने किया और हम ही एक हफ़्ते के अंदर सीजफ़ायर के लिए रेडी हो गए इससे हमारी छवि पर इंटरनेशनली बट्टा लगा है

– पाकिस्तान का मनोबल बहुत बढ़ा है वो इसे जीत की तरह ले रहा है। उसने हमारे सिविलियंस पर भी अटैक किया लेकिन हम जवाब देने के बजाय सीजफ़ायर के लिए राजी हो गए।
——
-एक मैच्योर सरकार जनदबाव में युद्ध नहीं छेड़ती। युद्ध का निर्णय महीनों की तैयारी के बाद लिया जाता है

– युद्ध से पहले कम से कम 6 महीने हम अपने मित्र देशों को तैयार कर लें कि क्या चीन और तुर्की जैसे खुले दुश्मनों की स्थिति में वे हमारे साथ आएंगे?

-बिना डिप्लोमेटिक और मिलिट्री प्रिपरेशन के युद्ध में ना कूदें।

– अब इस साल हम अपने डिप्लोमेटिक एफ़र्ट्स क्लियर करें। और सच कहूँ तो गुट निरीपेक्ष नीति को अब उतार फेंकें। इससे हमें आर्थक सहयोग मिलता है लेकिन मिलिट्री मामले में जोकर नज़र आते हैं। कोई हमारे साथ खुलकर नहीं आता।

– युद्ध से बचें, युद्ध की स्थिति में बड़ी सुपरपावर हमारे देश को दबाने और फ़ायदा उठाने की स्थिति में होती हैं। और हमारी भूमिका एक आज्ञाकारी बालक जैसी हो जाती है। युद्ध तब लड़ने जाएँ जब हम डिप्लोमेटिक-मिलिट्री प्रिपरेशन पूरी कर लें।

– ये सर्जिकल स्ट्राइक, और छूकर आने वाले मिलिट्री मिशन बंद हों। ये छुटमुट फोटो कार्रवाइयां बंद हों। जब आप किसी सीमा में घुसें तो वो फाइनल दिन हो। भारत में हेडलाइन बनाने और गोदी मीडिया में वाहवाही के लिए “एक दिवसीय युद्ध” ना लड़े । युद्ध कभी “एक दिवसीय” नहीं होता, अगर युद्ध छिड़ता है तो लास्ट तक जाता है। अगर एक हफ़्ते के भीतर ही बिना कुछ बड़ा किए सीजफ़ायर कर लेना है तो ये छुटमुट कार्रवाइयां छोड़ दें।

– विपक्ष ने आँख बंद करके आपको सपोर्ट दिया। मुस्लिम नेताओं ने पाकिस्तान को जितना सुनाया उतना किसी ने नहीं। इसका अर्थ है कि भारत उस भिखारी मुल्क की तरह नहीं है। भारत अंदर से भी मजबूत है।

-अगर बात दूसरे मुल्क से युद्ध की हो तो पूरा देश प्रधानमंत्री के साथ है। लेकिन प्रधानमंत्री विवेक का काम लें। जनदबाव में ना आएँ। जो देश के लिए निर्णय अच्छा हो वही लें। फोटो-केंद्रित सर्जिकल स्ट्राइक के चक्कर में ना पड़ें। पूरी तैयारी करें। और जब हम पर युद्ध थोप ही दिया जाए तो ठोक दें पाकिस्तान को लाहौर-करांची तक। फिर कुछ ना देखें। POK और बलूचिस्तान की आजादी तक कुछ ना देखें।

I.P. Singh
@IPSinghSp

82 वर्ष के NSA अजित डोभाल और 75 वर्ष के बूढ़े बोगस रक्षा मंत्री को फौरन बर्खास्त किया जाय।

Aadesh Rawal
@AadeshRawal

मैं हमेशा कहता रहा हूँ,ये देश एक गुलदस्ता है।
यह कई धर्म,जाति और भाषाओं का गठजोड़ है।
कर्नल सोफिया कुरेशी,विंग कमांडर व्योमिका सिह,असदुद्दीन ओवेसी,मोहम्मद जुबैर ना जाने कितने कितने लोग देश की नींव है।आपको भी सोफिया कुरेशी के ज़रिए बताना पड़ा ना कि हम भी धर्मनिरपेक्ष है।

Image

Sprinter Observer
@SprinterObserve
British edition of the Daily Telegraph.
The Pakistan Air Force is the undisputed king of the skies.

Akhilesh Yadav
@yadavakhilesh
वर्तमान के अति संवेदनशील माहौल में ’प्रतिरक्षा-सुरक्षा’ और भी अधिक गंभीर विषय बन गया है। राजनीतिज्ञों से आग्रह है कि कृपया इसे फोटो बैकग्राउंड अथवा सेल्फी पाइंट न बनाएं। ये आत्म-प्रदर्शन के लिए अकेले खड़े होकर तस्वीरें खिंचवाने की बजाय सैन्य बलों के साथ खड़े होने का समय है।

रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India
@DefenceMinIndia
भारत में आतंकवादी घटनाएँ करने और कराने का क्या अंजाम होता है, यह पूरे विश्व ने उरी की घटना के बाद देखा जब हमारी सेना ने पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक की, पुलवामा के बाद देखा जब बालाकोट पर एयर स्ट्राइक की गईं और अब पहलगाम की घटना के बाद दुनिया देख रही है जब भारत ने पाकिस्तान के भीतर घुस कर मल्टीपल स्ट्राइक्स की हैं: रक्षा मंत्री श्री
@rajnathsingh

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
कश्मीर में मूल समस्या आतंकवाद नहीं आर्थिक गरीबी है – प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी
*****

कश्मीर इन दिनों फिर से चर्चा के केन्द्र में है।जिन लोगों ने 1989-90 से शुरू हुई तहरीक को देखा है वे जानते हैं आखिरकार कश्मीर में अशांति कैसे आई।वे यह भी जानते हैं कश्मीर की अशांति की जड़ें कहां हैं।कश्मीर पर बातें होती हैं तो सारी बहस आतंकवाद-पृथकतावाद और पाकिस्तान के रेगिस्तान में भटक जाती है।कोई कश्मीर की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक अर्थशास्त्र पर बातें नहीं करता। कश्मीर की समस्या की मूल जड़ है बहस के केन्द्र से अर्थव्यवस्था का गायब हो जाना।जितने लोग फेसबुक पर कश्मीर के सुनहरे अतीत और आतंकी वर्तमान पर लिख रहे हैं वे यदि गंभीरता से एक-एक लेख जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर भी लिख दिए होते तो बहुत बड़ा उपकार कर दिए होते।

कश्मीर की त्रासदी है कि उसके वास्तव मुद्दे केन्द्र में नहीं हैं। आज भी कश्मीर पर बात होती है तो आतंकवादी ही प्रमुख रूप से चर्चा के केन्द्र में रहता है,कायदे से हमें कश्मीर विमर्श का मूलाधार वहां की अर्थव्यवस्था की समस्याओं को बनाना चाहिए।वहां पर प्राकृतिक संतुलन के जो संभावित खतरे हैं उनको बनाना चाहिए।मैंने कश्मीर को बहुत करीब से देखने-जानने और समझने की कोशिश की है। मुझे यही लगा कश्मीर वह नहीं है जो मीडिया में नजर आता है।कश्मीर का आतंकी चेहरा मीडिया ने बनाया है.इसमें हिन्दुत्ववादी ताकतों की बहुत बड़ी भूमिका है।आश्चर्य की बात है मैं वर्षों से नियमित टीवी टॉक शो देखता रहा हूँ लेकिन एक भी चैनल याद नहीं पड़ता जिसने कश्मीर की अर्थव्यवस्था की समस्याओं पर कभी बातें की हों।

कश्मीर में आतंकियों की समस्या से ज्यादा बड़ी बेकारी की समस्या है,लाखों युवाओं के पास कोई काम नहीं है।मीडिया कवरेज की आज परिणति यह हुई है कि हर कश्मीरी को कश्मीर के बाहर संदेह की नजर से देखा जाता है,यदि कश्मीर के बाहर कोई कश्मीरी नौकरी कर रहा है तो लोग हरह आतंकी घटना का कारण उस कश्मीरी से पूछते हैं,जबकि सच्चाई यह है उसे वास्तविकता में मालूम ही नहीं है कोई आतंकी घटना क्यों और कैसे हुई।मसलन्,जिस व्यक्ति को अभी पुलिसबलों ने मारा वह आतंकवादी था,लेकिन पुलिसबलों की पकड़ से कई सालों से बाहर था।उसका कोई कवरेज नहीं मिलेगा,अचानक पता चला वो बहुत बड़ा आतंकवादी था।

मीडिया की सूचनाओं को हम इस कदर पवित्र मानकर चल रहे हैं कि संदेह तक नहीं करते।सारी खबरें वही हैं जो पुलिसबल या सेना बता रही है। मैनस्ट्रीम मीडिया के जरिए कोई भी रिपोर्टर जमीनी हकीकत बताने की कोशिश नहीं कर रहा ।

आतंकवाद पर मैनस्ट्रीम मीडिया अमूमन झूठ बोलता है कम से कम यह विकीलीक के दस्तावेजों को देखकर तो हमलोगों को समझ लेना चाहिए।दूर क्यों जाएं हाल ही में चिलकोट साहब ने इराक पर जो जांच रिपोर्ट पेश की है उससे सीख लें।

कहने का अर्थ है कश्मीर के बारे में बातें करें तो वहां के बुनियादी आर्थिक सवालों पर बातें करें।आम कश्मीरी अपने को आतंकियों से बहुत पहले दूर कर चुका है।मीडिया के कवरेज से राय न बनाएं। कश्मीर पर मीडिया बहुत घटिया काम कर रहा है वह प्रत्येक कश्मीरी को आतंकवाद समर्थक बता रहा है।कल एक आतंकी की शवयात्रा का कवरेज और उस पर आए बयान इस बात को पुष्ट करते हैं कि आम कश्मीरी और आतंकी के बीच में अंतर करना मीडिया,नेता और भोंपुओं ने बंद कर दिया है। आज कश्मीर की मूल समस्या आतंकवाद या पृथकतावाद नहीं है बल्कि उसके विकास की आर्थिक समस्याएं जिन पर बातें करने से वहा के राजनीतिकदल और मीडिया दोनों परहेज कर रहे हैं।कायदे से मीडिया-नेता रचित यह कश्मीर एजेण्डा बदलना चाहिए।

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, लेख X पर वॉयरल हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!