सेहत

इस मीट में जानलेवा क़िस्म का बैक्टीरिया हो सकता है, क्या है ये बैक्टीरिया और कैसे फैलता है : रिपोर्ट

अमेरिका में एक मीट बेचने वाली कंपनी को बाज़ार से क़रीब 3000 किलो मीट वापस मंगवाना पड़ा है क्योंकि आशंका जताई जा रही थी कि इस मीट में जानलेवा क़िस्म का बैक्टीरिया हो सकता है.

अभी पिछले ही हफ़्ते, क्रिसमस के मौक़े पर ब्रिटेन की स्वास्थ्य एजेंसी ने एक कंपनी के रॉ मिल्क यानी कच्चे दूध से बनाए गए चीज़ को बाज़ार से वापस मंगवाने का आदेश दिया था.

ये क़दम उस चीज़ को खाने वालों के बीमार पड़ने के बाद उठाया गया. इस चीज़ को खाने से बीमार पड़ने के कम से कम 30 मामले दर्ज किए गए और स्कॉटलैंड में एक व्यक्ति की मौत भी हुई है.

अमेरिका और ब्रिटेन, दोनों ही जगह जिस बैक्टीरिया के कारण इन खाने की चीज़ों को मार्केट से हटाना पड़ा, उसका नाम है एशेरिकिया कोलाई, जिसे ई. कोलाई भी कहा जाता है.

ये वही बैक्टीरिया है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2017 में ‘सुपरबग’ की श्रेणी में रखा था.

सुपरबग का मतलब ऐसे घातक बैक्टीरिया से है, जिन पर एंटी-बायोटिक दवाओं का भी ख़ास असर नहीं होता. इस सूची में सबसे ऊपर ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया ई.कोलाई का नाम था.

भारत में भी मौतों के लिए ज़िम्मेदार

ई. कोलाई बैक्टीरिया भारत में मौतों का एक बड़ा कारण है. प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक शोध में बैक्टीरिया से मौतों के मामले ई. कोलाई सबसे ऊपर था.

लैंसेट पर प्रकाशित इस शोध के अनुसार, साल 2019 में ई. कोलाई संक्रमण से भारत में क़रीब 1 लाख 57 हज़ार लोगों की जान गई.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ”वैसे तो इससे कोई भी बीमार पड़ सकता है, लेकिन बच्चों, बूढ़ों और कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को ज़्यादा ख़तरा है.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ”भारत में पांच साल के कम उम्र के बच्चों की डायरिया से होने वाली मौतों के लिए ई. कोलाई भी ज़िम्मेदार है.’

क्या है और कैसे फैलता है
डॉक्टर कमल प्रीत हिमाचल प्रदेश के लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज, सुंदरनगर के डिपार्टमेंट ऑफ पैथोलॉजी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर और कार्यवाहक विभागाध्यक्ष हैं.

उन्होंने बीबीसी सहयोगी आदर्श राठौर को बताया कि वैसे तो ई. कोलाई की ज़्यादा क़िस्में हानिकारक नहीं होतीं और स्वस्थ इंसान की आंतों में भी पाई जाती हैं, लेकिन कुछ क़िस्में गंभीर बीमारियां पैदा कर सकती हैं

डॉ. कमल प्रीत कहती हैं, “ई. कोलाई इंसानों और जानवरों की आंतों और खुले वातावरण में भी पाया जाता है. आमतौर पर यह दूषित खाने, पानी और संक्रमित जानवरों और इंसानों के संपर्क में आने पर फैलता है.”

दिल्ली में डॉक्टर विनोद कुमार गोयल ने बीबीसी सहयोगी आदर्श राठौर को बताया कि आमतौर पर यह बैक्टीरिया हमारी आंतों में रहता है और कोई नुक़सान नही पहुंचाता. लेकिन कुछ मामलों में यह जानलेवा भी बन सकता है.

बैक्टीरिया से होने वाले ख़ून के गंभीर संक्रमण को सेप्टिसीमिया कहते हैं.

डॉ. कमल प्रीत ने बताया, “इसके फैलने के प्रमुख कारणों में इस बैक्टीरिया से दूषित पानी पीना, कच्चा या ढंग से न पकाया गया मीट और कच्ची सब्ज़ियां वगैरह खाना है. कच्चा दूध और उससे बनी चीज़ें खाने से भी आप ई. कोलाई से संक्रमित हो सकते हैं.”

इससे यह समझा जा सकता है कि स्वास्थ्य एजेंसियों ने अमेरिका में कच्चे मांस और ब्रिटेन में कच्चे दूध से बने चीज़ को क्यों बाज़ार से वापस मंगवाया.

डॉ. कमल प्रीत बताती हैं, “ई. कोलाई के कुछ ऐसे स्ट्रेन होते हैं जो फ़ूड पॉइज़निंग करते हैं. यानी वे खाने को ज़हरीला बना देते हैं. इस तरह का खाना खाने पर बीमार होने का ख़तरा रहता है और सही समय पर इलाज न मिले तो बीमारी जानलेवा भी हो सकती है.’

क्या हैं लक्षण और ख़तरे
कनाडा के अलबर्टा में बीते साल सितंबर में छोटे बच्चों में ई. कोलाई संक्रमण फैल गया था.

11 डेकेयर में जाने वाले 250 से ज़्यादा बच्चे बीमार पड़ गए थे. कम से कम छह बच्चों को किडनी फ़ेल होने के कारण डायलिसिस पर रखना पड़ा.

जांच करने पर पता चला कि इन बच्चों में ई. कोलाई का संक्रमण है और इन सभी का एक ही जगह से खाना आता था.

इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह बैक्टीरिया कितना ख़तरनाक है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ”ई. कोलाई का एक स्ट्रेन ‘शीगा’ नाम का टॉक्सीन (विषैला पदार्थ) बनाता है. यह गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है. इस स्ट्रेन को एसटीईसी कहा जाता है.”

वह बताती हैं कि इससे कई बार यूनिरल ट्रैक्ट इन्फ़ेक्शन (यूटीआई) यानी पेशाब के रास्ते में संक्रमण भी हो जाता है, ख़ासकर महिलाओं को.

उन्होंने कहा, “इससे बचने के लिए महिलाओं को अपना प्राइवेट पार्ट हमेशा आगे से पीछे की ओर क्लीन करना चाहिए, ताकि मल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से संक्रमण न हो.”

संक्रमित मानव या पशुओं के मल से दूषित अधपके मीट, कच्चे दूध, कच्ची सब्ज़ियों से फैलता है संक्रमण.
ज़्यादातर मामलों में बीमारी खुद ठीक हो जाती है, मगर कुछ मामलों में जानलेवा बन सकती है.
बच्चों, बूढ़ों और कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वालों को संक्रमण का ज़्यादा ख़तरा
स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन

कब हो जाएं सावधान?

अमेरिका की सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, गर्भवती महिलाएं, नवजात शिशु, बच्चे, बुज़ुर्ग, कम़ज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग, जैसे कि कैंसर, डायबिटीज़ और एचआईवी/एड्स ग्रस्त लोगों को भोजन से होने वाली बीमारियां होने का ख़तरा ज़्यादा रहता है.

ऐसे में ज़रूरी है कि संक्रमण से बचने के लिए हर संभव तरीक़ा अपनाना चाहिए और लक्षण दिखने पर सावधान हो जाना चाहिए.

लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज, हिमाचल प्रदेश में पैथोलॉजी की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर कमल प्रीत बताती हैं कि खाना पकाने और खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए. टॉयलेट जाने के बाद भी हाथों को साफ़ पानी और साबुन के साथ अच्छी तरह धोना चाहिए.

डॉ. कमल प्रीत के मुताबिक, “घर में खाना बनाते समय स्वच्छता बरतनी चाहिए और खाने को अच्छी तरह से पकाना चाहिए. दूध को उबालना चाहिए और मीट को अच्छी तरह पकाना चाहिए, क्योंकि यह बैक्टीरिया हीट के प्रति संवेदनशील होता है. इसके अलावा, अगर आप सलाद खाते हैं तो सब्ज़ियों और फलों को साफ़ पानी में धोना चाहिए क्योंकि दूषित पानी से छिड़काव के कारण भी उसमें बैक्टीरिया हो सकते हैं.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह

विश्व स्वास्थ्य संगठन ई. कोलाई और बीमारियां फैलाने वाले दूसरे कारणों से बचने के लिए पांच सलाह देता है.

सफ़ाई का ध्यान रखें
कच्चे और पके खाने को अलग रखें
खाना अच्छी तरह पकाएं
खाने को सही तापमान पर रखें
स्वच्छ पानी और साफ़ की गई कच्ची चीज़ें इस्तेमाल करें

डॉक्टर कमल प्रीत कहती हैं, “आप इतना समझिए कि आप खाने-पीने की दूषित चीज़ों से ही ज़्यादातर बीमारियां फैलती हैं. ई. कोलाई इन्फ़ेक्शन भी ऐसा ही है. इसलिए घर पर भी सावधानी बरतनी चाहिए और बाहर उन जगहों पर कुछ खाने से बचना चाहिए, जहां सफ़ाई का ख़्याल न रखा जा रहा हो.”

चूंकि, यह बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्तियों या जानवरों के मल से फैलता है, ऐसे में अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी की ओर से यह हिदायत भी दी गई है कि अगर आप जानवरों के संपर्क में अक्सर आते हैं, तो भी सावधानी बरतनी चाहिए. जानवरों को छूने के बाद हाथ अच्छी तरह धोने चाहिए. नहीं तो सैनिटाइज़र ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए.

ई. कोलाई संक्रमण के लक्षणों के बारे में बताते हुए डॉक्टर विनोद कुमार गोयल बताते हैं, “इसके संक्रमण से दस्त होने लगते हैं और उनमें ख़ून भी आने लगता है. कुछ खाने-पानी पर उल्टी आती है. तेज़ बुख़ार और डीहाइड्रेशन की भी दिक्कत हो जाती है. खड़े होने पर कमज़ोरी महसूस होती या चक्कर आने लगते हैं. यूटीआई हो जाए तो पेशाब से ख़ून आ सकता है.”

डॉ. कमल प्रीत कहती हैं, “अगर गंभीर लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए. ख़ुद से दवाइयां नहीं लेनी चाहिए. एक तो ऐसा करना सुरक्षित नहीं होता, और फिर इस बैक्टीरिया के ज़्यादातर स्ट्रेन पर कई एंटी-बायोटिक दवाएं काम नहीं करतीं. इसलिए डॉक्टर ही सही जांच के बाद सही इलाज बता सकते हैं.”