विशेष

”इस खूंख़ार संप्रभु शासक से छिपने का कोई स्थान नहीं है”

सुलैमान के नीतिवचनों से बुद्धि
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नीतिवचन 29:1
दपटा हुआ मनुष्य जो अपनी गर्दन को स्तंभित रखता है, सो आकस्मात मारा जाएगा, और वह भी बिना किसी उपाय के।
क्या आप विद्रोही और जिद्दी हैं? क्या आप सुधार या शिक्षा की उपेक्षा करते हैं? क्या परमेश्वर ने आपको अक्सर किसी ऐसी बात के लिए दोषी ठहराया है जिसे आपने बदला नहीं है? क्या आपके जीवन में अधिकारियों या शिक्षकों ने आपको किसी कर्तव्य या मामले को बार बार याद दिलाया है जिसे आप ठीक करने से इनकार करते आ रहे हैं?

सर्वशक्तिमान परमेश्वर धीरजवान और सहनशील है। वह कृपालु और दयालु है। लेकिन वह सदैव ऐसा ही नहीं रहेगा! जो कोई उसके ज्ञान और सुधार के कई अवसरों को ठुकरा देता है उसे वह बिना किसी चेतावनी के नाश कर देगा। ऐसे न्याय से कोई चंगाई नहीं होगी। विद्रोह और हठ परमप्रधान परमेश्वर के विरुद्ध जघन्य पाप हैं, और वह उन्हें अनदेखा नहीं करेगा।

यहाँ पवित्रशास्त्र में सबसे भयानक चेतावनियों में से एक चेतावनी है – उन लोगों के लिए जो पाप से खेलते हैं और दपट या फटकार के विरुद्ध विद्रोह करते हैं। बुद्धिमान पाठक इस गंभीर विवरण को पढ़ेंगे, उसपर विचार करेंगे और स्मरण रखेंगे कि परमेश्वर कैसे ठट्ठा करने वालों से निपटता है। यह नीतिवचन हर चर्च बुलेटिन में छपना चाहिए और हर पुलपीट से इसका प्रचार होना चाहिए, क्योंकि उपदेश और पवित्रशास्त्र को नहीं मानना बहुत गंभीर है। माता-पिता कभी-कभी कहते हैं, “मैं दोबारा नहीं बताऊंगा या बताऊंगी।” परन्तु स्वर्ग का यहोवा ऐसा ही करता है!

परमेश्वर विभिन्न माध्यमों से ताड़ना देता है – माता-पिता, मित्र, न्याई, पास्टर, विवेक, पवित्रशास्त्र, आत्मा, परिस्थितियाँ, और प्रकृति। लेकिन बहुत से लोग उसकी ताड़ना को बिलकुल ही नहीं मानने या उसे सुनकर अपने जीवनों में कोई बदलाव न लाकर अपनी गर्दन को स्तंभित रखते हैं या विद्रोह करते हैं – (2 राजा 17:14; नहेमायाह 9:16,29)। बार बार दपट या ताड़ना देने में परमेश्वर निष्पक्ष और कृपालु है। परन्तु जब मनुष्य उसकी निष्पक्षता और कृपा को तुच्छ जानता है, तब वह उसके कठोर दण्ड का पात्र बन जाता है, क्योंकि ऐसा मनुष्य अति दुष्ट हैं (नीतिवचन 5:12; 10:17; 12:1)।

ऐसे मनुष्यों का नाश करने के लिए यहोवा अपने तय समय पर आएगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अपनी सुरक्षा के लिए क्या क्या इंतज़ाम करते हैं, या अन्य लोग उन्हें कितना अधिक सम्मान देते हैं, वह उन्हें कुचल देगा और नाश कर देगा (नीतिवचन 6:12-15; 28:18; यशा 30:12-14; जक 7:11-14; 1 थिस्स 5:2-3). उनके जीवन की बर्बादी ऐसी होगी की अब उसका कोई इलाज या पुनर्स्थापना नहीं होने की। परमेश्वर हंसेगा (नीतिवचन 1:22-31)।

एक कमज़ोर और सांसारिक मसीहत के इन दिनों में, इस तरह की चेतावनी बहरे कानों पर पड़ती है। इन तथाकथित मसीहियों ने अपने ही प्रतिरूप का एक ईश्वर बनाया है जो “दूर से देख रहा है” और उनके पापों को अनदेखा करता है (भजन 50:21)। परन्तु सच्चा और जीवित परमेश्वर क्या कहता है? “हे परमेश्‍वर को भूलनेवालो, यह बात भली भाँति समझ लो, कहीं ऐसा न हो कि मैं तुम्हें फाड़ डालूँ, और कोई छुड़ानेवाला न हो” (भजन 50:22)।

विद्रोह और हठीलापन जघन्य पाप है, दिखावटी आराधना चाहे कैसी भी हो (1 शमूएल 15:22-23)। यहोवा विद्रोह को जादू टोना तथा हठीलेपन को मूर्तिपूजा और अधर्म कहता है। सावधानीपूर्वक सुनना और आज्ञाकारिता आराधना के बलिदान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि शाऊल ने परमेश्वर की दपट को नहीं माना, अतः उसने उससे राज्य को इस तरह से छीन लिया कि फिर वह कभी खड़ा न हो सका।

जब परमेश्वर ने सृष्टि के निर्माण के 1,536 वर्षों पश्चात् मनुष्य की बड़ी दुष्टता को देखा, तो उसने नूह को 120 वर्षों तक उन्हें प्रचार करने और चेतावनी देने के लिए भेजा (उत्पत्ति 6:1-7)। जब उन्होंने उसकी नहीं सुनी, तो उसने जलप्रलय के द्वारा क्या जवान क्या बूढ़े, सब को पानी में डुबो दिया (उत्पत्ति 7:21-24)।
फिरौन पर विचार करो, उसने मूसा की दपट को सुनकर अपनी गर्दन को स्तंभित किया। यहोवा ने मिस्र को तुच्छ जाना, और उनके देश को चारों ओर से उजाड़ दिया। अचानक उनके पहिलौठे मर गए और फिरौन का समुद्र में दम घुट गया, और अगले ही पल इस्राएल मिस्र के धन को लेकर कनान की ओर चल पड़ा।

एली के पुत्रों ने अपके पाप के किए अपने पिता की दपट को तुच्छ जाना, इस कारण यहोवा ने उन दोनों को एक ही दिन में मार डाला। क्योंकि एली ने स्वयं बलपूर्वक उन्हें उनकी बुराई से नहीं रोका, इस कारण इस्राएल का महायाजक होते हुए भी महान परमेश्वर ने उसके वंश को ही पूरी तरह से मिटा दिया।

यहूदा इस्करियोती ने उस यीशु के विरुद्ध अपनी गर्दन को स्तंभित कर लिया जो फटकार लगाने में अब तक का सबसे कृपालु मनुष्य था, भले ही उसने तीन वर्षों तक उसकी सिद्ध धार्मिकता को करीब से और व्यक्तिगत रूप से देखा था। अंत में उसने एक खेत में आत्महत्या कर ली और अपने नरक के मार्ग पर चला गया।

इस्राएल के राजा अहाब ने दुष्ट ईज़ेबेल से विवाह किया, जिसने उसे बुराई करने के लिए उकसाया (1 राजा 21:25)। उन दोनों ने एलिय्याह की दपट को नकारा। अन्त में अहाब एक अनायास ही छोड़े गए एक तीर से मारा गया, यद्यपि उसने अपना भेष बदला था और कवच पहने हुए था (1 राजा 22:34-35)। धन्य परमेश्वर ने इज़ेबेल को एक ऊपरी खिड़की से फेंक दिया, एक घोड़े ने उसे रौंद दिया, और कुत्तों ने उसे खा लिया (2 राजा 9:30-37)।

परमेश्वर ने अपने लोगों इस्राएल से प्रेम किया। परन्तु जब उन्होंने उसके संदेशवाहकों का ठट्ठा किया, उसके वचनों को तुच्छ जाना, और उसके नबियों को गालियाँ दी, तो उन पर उसका कोप इतना भड़क गया कि कोई उपाय न रहा (2 इतिहास 36:15-17)। उसने नबूकदनेस्सर को बेबीलोन की सेनाओं के साथ भेजा कि वे बच्चों, बूढ़ों, या स्त्रियों की परवाह किए बिना उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दें। इन बातों पर ठीक ठीक विचार करों, पाठक!

परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर के बड़े घमण्ड और उसकी दुष्टता को देखा, इसलिए उसने दानिय्येल और उसके साथियों को उसे चेतावनी देने के लिए भेजा (दानिएल 1:17-20; 2:24-30,46-48; 3:24-30; 4:19-27)। परन्तु जब इस महान राजा ने फिर भी विद्रोह किया, तो परमेश्वर ने उसे सात वर्ष के लिए पशु बना दिया (दानिएल 4:28-33)। वह अपनी मन की शांति को और बढ़ा सकता था, लेकिन उसने अपनी गर्दन को स्तंभित करना चुना। केवल परमेश्वर की बड़ी करुणा से ही नबूकदनेस्सर ने अपने को दीन किया और उसकी पशु-तुल्य स्थिति बदल दी गई (दानिएल 4:34-37)।

अपनी करुणा में, परमेश्वर ने इस्राएल को 70 साल बाद एक और मौका दिया, जब उसने उन्हें यरूशलेम में फिर से इकट्ठा किया। परन्तु उन्होंने फिर से उसके भविष्यद्वक्ताओं, प्रेरितों, और अंत में उसके पुत्र, प्रभु यीशु मसीह को अस्वीकार कर दिया, इसलिए उसने उन्हें मिटाने के लिए रोमी सेना को उन पर भेजा कि वह भयानक रीति से उनका विनाश कर डाले। तौभी उसने दानिय्येल के द्वारा, और ऐसा करने से पहले चालीस वर्ष तक उन्हें चेतावनी दी (मत्ती 21:33-46; 22:1-7; लूका 19:41-44; प्रेरितों के काम 2:40)।

थुआतीरा की कलीसिया ने इज़ेबेल नाम की एक झूठी नबिया को सुसमाचार की शुद्धता को अशुद्ध करने दिया (प्रक 2:20)। प्रभु यीशु मसीह ने उसे “पश्चाताप करने का समय” केवल कुछ दिया, फिर उसने उसे और उसके अनुयायियों का मृत्यु से विनाश करने का इरादा किया (प्रक 2:21-23)। क्या आप के जीवन आपके किसी ऐसे पाप के लिए “पश्चाताप करने का समय” चल रहा हैं जिसके लिए आपको बार बार दपट और फटकार लगाई गई हो?

यदि आप टेढ़े हैं – ज़िद्दी या विद्रोही हैं- तो यहोवा आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करेगा। “शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता; और टेढ़े के साथ तू तिरछा बनता है” (भजन 18:26)। परमेश्वर “और जो उससे बैर रखते हैं वह उनके देखते उनसे बदला लेकर नष्‍ट कर डालता है; अपने बैरी के विषय वह विलम्ब न करेगा, उसके देखते ही उस से बदला लेगा। (व्यवस्था 7:10).

आप उपदेश को कैसे सुनते हैं (1 थिस्स 5:20)? परमेश्वर किसी मनुष्य पर अपना सत्य प्रकट करने या उसे बुद्धि देने किसी मनुष्य का ऋणी नहीं है (उत्प. 32:10)। यदि आप सुधार की उपेक्षा करते हैं या अस्वीकार करते हैं, तो वह गंभीर रूप से आपको दण्ड देगा। नीतिवचन के बुनियादी पाठों में से एक है शिक्षा को विनम्रतापूर्वक ग्रहण करना, ऐसा न हो कि आपको मूर्ख या ठट्ठा करने वाले के रूप में वर्गीकृत किया जाए और दण्ड दिया जाए (नीतिवचन 9:12; 13:1; 15:12; 21:29; 28:14)। इस नीतिवचन का सबक सीखें!

शिक्षा को नकारना अपने ही प्राण को तुच्छ जानना है, क्योंकि तू अपने आप को जीवन की सर्वोत्तम वस्तुओं से वंचित रखता है और अपने ऊपर विनाश को ले आता है (नीतिवचन 15:32)। क्या मूर्खता है! जब आप ताड़ना और बुद्धि की शिक्षा के विरुद्ध पाप करते हैं, तो आप अपनी ही आत्मा की हानि करते हो; जब आप डाँट से घृणा करते हैं, तो आपको अवश्य ही मृत्यु से प्रेम करते हैं (नीतिवचन 8:36)। परमेश्वर आपका नाश करने आएगा। क्या मूर्खता है!

पाठक, आपके जीवन में कौन-सा पाप है जिसके लिए आप को बार-बार दपट या फटकार लगाई गई है? क्या इसके खिलाफ आपको उपदेश दिया गया है? क्या आपका विवेक आपको कचोटता है? क्या दूसरों ने आपको चेतावनी दी है? क्या आपको विभिन्न लोगों से और अन्य माध्यमों से इसका स्मरण दिलाया गया है? घड़ी की सुई चल रही है। परमेश्वर की सहनशीलता बस ख़त्म होने पर है। दण्ड आ पंहुंच रहा है। अपने प्राण के लिए भागो! पश्चाताप करो! आज ही! इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, और फिर कोई उपाय न हो!

दानिय्येल ने नबूकदनेस्सर से कहा, “इस कारण, हे राजा, मेरी यह सम्मति स्वीकार कर, कि यदि तू पाप छोड़कर धर्म करने लगे, और अधर्म छोड़कर दीन–हीनों पर दया करने लगे, तो संभव है कि ऐसा करने से तेरा चैन बना रहे।” (दान 4:27)। परन्तु राजा ने परमेश्वर की अनुग्रहपूर्ण चेतावनी को ठुकरा दिया और आप पर भयानक दण्ड को ले आया।

इस खूंखार संप्रभु शासक से छिपने का कोई स्थान नहीं है। आपके मन के सभी विचार और इरादे, और आपके गुप्त पाप उसके सामने नग्न हैं और खुले हैं (इब्रानियों 4:12-13)। ”निश्‍चय तेरा पाप तुझे ढूंढ़ लेगा” (गिनती 32:23)! “धोखे न खाओ; परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा” (गलातियों 6:7)। आज ही उसके सामने थरथराओ। पश्चाताप करो!

यीशु वही परमेश्वर यहोवा है! हो सकता है वह आपका उद्धारकर्ता हो; परन्तु वह आपका यहोवा है! न्याय के दिन हर जीभ अंगीकार करेगी कि वह प्रभु है (फिल 2:9-11)। उसके पास नरक और मृत्यु की कुंजियाँ हैं (प्रक 1:18)। जब वह खोलता है, तो उसे कोई बन्द नहीं करता; जब वह बन्द करता है, तो कोई उसे खोल नहीं सकता (प्रक 3:7)। यदि आप किसी भी पाप के बारे में उसकी चेतावनियों का विरोध कर रहे हैं, तो आप भयानक परिणामों का सामना करेंगे।

वह अपने शत्रुओं को चकनाचूर कर देता है – छोटे-छोटे टुकड़े, जैसे लोहे की छड़ मिट्टी के बर्तनों को चूर-चूर कर देती है (भज 2:9; प्रकाशितवाक्य 2:27)। और वह उन पर हंसेगा और उनका उपहास करेगा (भजन 2:4)। यदि कोई मनुष्य उसकी शिक्षाओं को सुनेगा और पश्चाताप में उस पर गिरेगा, तो वह टूट जाएगा; परन्तु यदि वह किसी बलवा करनेवाले पर गिर पड़े, तो उस मनुष्य को पीसकर चुरचुर कर डालेगा (मत्ती 21:44)। आज ही पश्चाताप करें!