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इस्राईल हर प्रकार की सज़ा से पूरी तरह माफ़ है

राष्ट्रसंघ की स्वतंत्र विशेषज्ञा ने दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में फ़िलिस्तीन के समर्थन में होने वाले प्रदर्शनों और भाषणों को दबाने हेतु होने वाले दोहरे मापदंडों की कड़ी आलोचना की है।

राष्ट्रसंघ की स्वतंत्र विशेषज्ञा इर्ने ख़ान ने ज़ायोनी सरकार के अपराधों की आलोचना करते हुए कहा है कि इस्राईल हर प्रकार की सज़ा से पूरी तरह माफ़ है।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार इर्ने ख़ान ने अमेरिका और दूसरे पश्चिमी व यूरोपीय देशों में फ़िलिस्तीन के समर्थन में होने वाले प्रदर्शनों के दमन की ओर संकेत करते हुए कहा कि हालिया वर्षों के दौरान होने वाली हर जंग से अधिक ग़ज़ा जंग को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सामना रहा है और पत्रकारों को लक्ष्य बनाया गया है।

राष्ट्रसंघ की स्वतंत्र विशेषज्ञा ने कहा कि एक समय था जब सामाजिक प्लेटफ़ार्म ग़ज़ा के साथ संपर्क करने के लिए रक्षक व मुक्ति दिलाने वाले मंच की भूमिका निभा रहे थे पर इस समय हम संचार माध्यमों में ग़लत ख़बरों, झूठे दुष्प्रचारों और नफ़रत फ़ैलाने वाले बयानों में वृद्धि के साक्षी हैं।

इसी बीच राष्ट्रसंघ मंडल देशों (cis) से संबंधित एक संस्था के सैनिक विशेषज्ञ व्लादिमीर इवोसीफ़ ने पश्चिम एशिया के देशों के मुक़ाबले में पश्चिम की परस्पर विरोधी नीति की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन की अगुवाई में पश्चिमी देश इस प्रकार की नीति पर अमल कर रहे हैं और यह वह नीति है जिसमें ज़ायोनी ला᳴बी का प्रभाव व पकड़ है।

व्लादिमीर इवोसीफ़ ने कहा कि जनमत की सतह पर कुछ पश्चिमी देश दिखावटी प्रचार करते हैं और कभी वे शब्दों की सतह पर इस्राईल की निंदा भी करते हैं परंतु वास्तव में वे अपराधी ज़ायोनी सरकार के हितों के बारे में सोचते हैं और फ़िलिस्तीनी व ग़ज़ा पट्टी, सीरियाई और लेबनानी नागरिकों की हत्या के लिए ज़ायोनी सरकार को जिन हथियारों की ज़रूरत होती है वे उसकी आपूर्ति करते हैं।

पश्चिम एशिया और विश्व के दूसरे क्षेत्रों में पश्चिम की इसी नीति पर आपत्ति जताते हुए ज़ापुरजिया क्षेत्र के एक वरिष्ठ सैनिक कमांडर ने यूक्रेन द्वारा इस क्षेत्र के परमाणु विद्दुत केन्द्रों पर लगातार बमबारी किये जाने के संबंध में परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी के ज़िम्मेदारों के भाषणों और व्यवहारों की आलोचना की है।

ज़ापुरजिया क्षेत्र के एक वरिष्ठ सैनिक कमांडर उग्नी बालिस्तकी ने कहा कि परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी IAEA स्वतंत्र नहीं है और वह दूसरों के आदेशों पर अमल करके उसे व्यवहारिक बनाती है और यही कारण है कि एजेन्सी ने ज़ापुरजिया के परमाणु बिजली केन्द्र पर बमबारी के ज़िम्मेदार को अभी तक नहीं बताया है।

उन्होंने कहा कि जब परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी के कर्मचारियों व अधिकारियों का वेतन यूरोपीय अधिकारी अदा करेंगे तो एजेन्सी स्वतंत्र नहीं रह सकती।