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इस्राईल को नसीहत, भारत से सीखो…मनमोहन सिंह ने क्या जवाब दिया था?

अमरीका के जाने माने पत्रकार और न्यूयार्क टाइम्ज़ के स्तंभकार थामस फ़्रेडमैन ने इस्राईल को नसीहत करते हुए कहा कि फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ की तरफ़ से हमले के बाद की परिस्थितियों में किस तरह बर्ताव करना चाहिए यह इस्राईल भारत से सीखे।

फ़्रेडमैन ने लिखा कि इस्राईल को अच्छी तरह से सोच लेना चाहिए कि अक्तूबर के शुरू में होने वाले हमले के इंतेक़ाम के लिए जो कार्यवाही वो करने जा रहा है उसकी उसे कितनी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है।

फ़्रेडमैन ने मुंबई के 26 नवम्बर के हमले की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने क्या जवाब दिया था? उन्होंने सैनिक जवाब नहीं दिया था बल्कि संयम का प्रदर्शन किया था।

फ़्रेडमैन के अनुसार तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री शिवशंकर मेनन ने घटना के बाद के हालात के बारे में अपनी पुस्तक में लिखा था कि सरकार ने सैनिक इंतेक़ाम के बजाए कूटनैतिक मार्ग अपनाया था। इस्राईल को भी चाहिए कि दोनों घटनाओं को सामने रखकर उनकी तुलना करे।

फ़्रेडमैन ने कहा कि इस्राईल जो कुछ कर रहा है उससे तो हमास लोगों की नज़र में हीरो बन गया है जबकि इस्राईल के नए अरब घटक अब उसके साथ अब्राहम समझौते करने से पीछे हट गए हैं।

फ़्रेडमैन ने कहा कि इस्राईल ने जंग के लिए अपने 3 लाख 60 हज़ार रिज़र्व सैनिकों को तैनात कर दिया है इसका नतीजा यह होगा कि अगर यह तैनाती एक महीना जारी रही तो इस्राईल की अर्थ व्यवस्था 10 प्रतिशत सिकुड़ जाएगी।

अमरीकी टीकाकार का कहना था कि ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने हमास को मिटा देने का लक्ष्य निर्धारित करने में बड़ी जल्दबाज़ी कर दी।