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इस्राईली समाज एक बीमार समाज है, नेतनयाहू इस बीमार समाज का हिस्सा है : ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक

अकसर इस्राईली ग़ज़ा युद्ध को जारी रखने के पक्ष में हैं और उनका मानना है कि ग़ज़ा में नस्लकुशी और युद्ध अपराध सही हैं।

7 अक्तूबर को सुरक्षा में बड़ी चूक के कारण, इस्राईलियों की एक बड़ी संख्या नेतनयाहू से काफ़ी नाराज़ है। इस्राईलियों का मानना है कि नेतनयाहू, बंधकों की आज़ादी में हमास के साथ समझौता करने में नाकाम रहे हैं और वह इस्राईल में डेमोक्रेसी को कमज़ोर कर रहे हैं। लेकिन अजीब बात यह है कि यही लोग फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ नेतनयाहू की नीतियों का समर्थन भी करते हैं।
इस्राईल में सोशल मीडिया नस्लभेदी नारों और ऐसे मीम्स और वीडियोज़ से भरा पड़ा है, जिसमें लोगों को फ़िलिस्तीन के मासूम बच्चों और आम नागरिकों की मौत पर जश्न मनाते हुए देखा जा सकता है।

रवांडा नस्लकुशी को कवर करने वाले क्रिस मैकनील का कहना है कि तुत्सियों के नरसंहार और नस्लकुशी के लिए हुतुओं की ज़बान पर जो नारे थे, आज वही नारे और जुमले इस्राईलियों की ज़बान से भी सुने जा सकते हैं।


यहां यह बात उल्लेखनीय है कि इस्राईलियों की अकसरियत फ़िलिस्तीन देश के निर्माण की विरोधी है।

इस्राईलियों के अंदर हिंसा कूट-कूट कर भरी है
इस संबंध में इस्राईलियों के बारे में तीन चीज़ें ध्यान योग्य हैं। ख़ुद को मज़लूम मानना, ख़ुद को सबसे बेहतर समझना और अपने विरोधियों को इंसान नहीं समझना।
तारीख़ गवाह है कि ज़ायोनीवाद की बुनियाद, सदियों से बलि का बकरा बनने वाले यहूदियों को आज़ादी दिलाने पर रखी गई थी और इस्राईल की स्थापना इन पीड़ितों का कल्याण करने के लिए की गई थी।

मॉडर्न हिस्टरी में इस्राईली एकमात्र ऐसे उपनिवेशवादी हैं, जो ख़ुद को मज़लूम समझते हैं। इस दावे से उन्हें फ़िलिस्तीनियों से नफ़रत करने की वजह मिल जाती है।

2023 में एक सर्वे में इस सवाल के जवाब में कि पवित्र ग्रंथ में लिखा है कि यहूदी ईश्वर की चुनी हुई क़ौम है, क्या आप इसे सही मानते हैं, अकसर इस्राईलियों ने हां में जवाब दिया था।
2016 में ऐसे ही एक सर्वे में 61 फ़ीसद लोगों ने कहा था कि उनका विश्वास है कि ईश्वर ने इस्राईल की सरज़मीन को उन्हें सौंपा है।

दूसरी तरफ़ वे फ़िलिस्तीनियों की नस्लकुशी को सही ठहराने के लिए उन्हें जनवर समझते हैं, ताकि कोई यह नहीं कह सके कि क्यों इन मज़लूम इंसानों को मार रहे हो।
इसका यह मतलब है कि फ़िलिस्तीनियों को किसी तरह के मानवीय अधिकार हासिल नहीं होने चाहिए और इस्राईल उन्हें इंसान जैसे दिखने वाले जानवर समझकर मार सकता है और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा कर सकता है।

मनोवैज्ञानिक रूप से ऐसी आत्ममुग्ध विशेषताओं वाला समाज, नैतिक रूप से श्रेष्ठ महसूस करता है और नैतिक विचारों की परवाह किए बिना अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी ज़रूरी है, उसे अंजाम देने का एकाधिकार रखता है।

यह वजह है कि नेतनायहू और उनकी हत्यारी टीम आसानी से 14,000 से ज़्यादा बच्चों का नरसंहार कर देती है और उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती, जबकि दुनिया वाले हैरान रह जाते हैं।
हमें यह समझना होगा कि नेतनयाहू इस्राईली यहूदियों की अकसरियत के समर्थन से फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार कर रहे हैं और उन्हें इस अपराध पर पूरी तरह संतोष भी है।
इससे साफ़ ज़ाहिर है कि नेतनयाहू, एक बीमार समाज का हिस्सा है और वह सिर्फ़ ख़ुद ही बामार नहीं है।