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इसराइल पर कब हमला करेगा ईरान?

बुधवार को सऊदी अरब के जेद्दा शहर में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के सदस्य देशों की आपात बैठक हुई.

ईरान की मांग पर हुई इस बैठक में कई मुद्दों के अलावा तेहरान में हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनिया की हत्या पर भी चर्चा हुई.

ये बैठक, ईरान के लिए अपने बदले की कार्रवाई के इरादों के बारे में ओआईसी सदस्य देशों को कारण समझाने का एक मौक़ा भी था.

31 जुलाई को ईरान के तेहरान में इस्माइल हनिया की हत्या उस वक्त हो गई थी जब वो ईरान के नए राष्ट्रपति मसूह पेज़ेश्कियान के शपथग्रहण समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे.

इसके बाद ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरू अयातोल्लाह अली ख़मेनई ने हनिया की मौत का बदला लेने का ऐलान किया था.

हमास और ईरान दोनों का कहना है कि 31 जुलाई को हुई इस्माइल हनिया की हत्या के पीछे इसराइल का हाथ है, हालांकि इसराइल ने अभी तक इस पर टिप्पणी नहीं की है. लेकिन ये माना जाता है कि इसराइल ही इसके पीछे है.

ईरान की प्रतिक्रिया को लेकर क्यों है चिंता?

ईरान के कार्यवाहक विदेश मंत्री बाक़ेरी अली बाग़ेरी कानी ने कहा है कि उनके देश के पास जवाब देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.

उन्होंने कहा कि ईरान अपना जवाब ‘सही समय पर’ और ‘सही ढंग से’ देगा.

कानी ने कहा कि ईरान की संभावित प्रतिक्रिया सिर्फ़ ईरान की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ही नहीं बल्कि ‘समूचे क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा’ के लिए होगी.

ईरान के नए राष्ट्रपति के शपथग्रहण में शामिल होने के लिए तेहरान आए हमास प्रमुख इस्माइल हनिया ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प (आईआरजीसी) के एक अति सुरक्षित गेस्टहाउस में ठहरे हुए थे.

इस अति सुरक्षित ठिकाने पर हुए एक हमले इस्माइल हनिया की मौत के बाद ईरान को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है.

इस घटना के बाद से, ईरान से जुड़े हर संकेत, हर बयान, हर भाषण पर बारीक़ नज़र रखी जा रही है ताकि ये पता चल सके कि ईरान कब और किस तरह से इस हमले का जवाब देगा. साथ ही ये चिंता भी जताई जा रही है कि ईरान का जवाबी हमला समूचे क्षेत्र को एक व्यापक संघर्ष में झोंक सकता है.

हालांकि, ईरान के विदेश मंत्री ने अब तक इसका कोई संकेत नहीं दिया है. पश्चिमी देशों का कहना है कि उनके पास ईरान को लेकर सीमित ख़ुफ़िया जानकारियां हैं, ऐसे में ये अस्पष्ट है कि ईरान क्या करने की योजना बना रहा है.

इसी साल अप्रैल में, सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के एक राजनयिक परिसर पर हुए हवाई हमले में आईआरजीसी के आठ अधिकारी मारे गए थे. माना गया कि ये इसराइल का ही हमला था. ये ईरान के लिए एक और शर्मनाक झटका था.

दमिश्क में हुए हमले के बाद ईरान ने बदले के अपने इरादे ज़ाहिर किए. उसने 300 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन इसराइल पर दाग दिए. हालांकि इन्हें इसराइल और अमेरिकी गठबंधन ने रास्ते में ही मार गिराया और ईरान की इस बदले की कार्रवाई का इसराइल पर कोई ख़ास असर नहीं हुआ.

ईरान की जवाबी कार्रवाई को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
पिछले सप्ताह, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि हो सकता है कि इस बार ईरान और बड़े हमले की तैयारी कर रहे हो, ये पिछली नाकामी को ना दोहराने का प्रयास भी हो सकता है.

हाल ही में आई मीडिया रिपोर्टों में ये विवरण दिया गया है कि हनिया की मौत किसी सटीक मिसाइल हमले में नहीं बल्कि ईरान के भीतर स्थानीय मदद से हुए हमले में हुई. हनिया पर हुए हमले में किसी ईरानी नागरिक की मौत भी नहीं हुई है.

इसके साथ ही अरब और पश्चिमी देशों के राजनयिक प्रयासों की वजह से हो सकता है ईरान इस पूरे मामले पर फिर से विचार करने पर भी मजबूर हुआ हो.

पिछले सप्ताह जॉर्डन के विदेश मंत्री ने ईरान का दौरा किया. वहीं बुधवार को फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ईरानी राष्ट्रपति से बात की थी. फ़्रांसीसी दूतावास के मुताबिक़ मैक्रों ने ‘ईरान से कहा कि नए सैन्य तनाव को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं.’

इस बीच, इसराइल पर लेबनान में हिज़बुल्लाह की तरफ़ से भी लगातार हमले हो रहे हैं. हिज़बुल्लाह लेबनान में ईरान समर्थित राजनीतिक आंदोलन और मिलिशिया संगठन है.

हिज़बुल्लाह ने अपने कमांडर फ़वाद शुक्र की इसराइली हमले में मौत का बदला लेने की घोषणा की है. हनिया की हत्या से कुछ ही घंटे पहले बेरूत में एक हवाई हमले में फ़वाद शुक्र की मौत हुई थी. ये हमला बेरुत के दाहिया इलाक़े में हुआ था जो हिज़बुल्लाह का गढ़ माना जाता है.

क्या हिज़बुल्लाह भी ले सकता है बड़ा एक्शन?
बीते साल 7 अक्तूबर को इसराइल पर हमास के हमले के बाद से ही हिज़बुल्लाह ने इसराइल के उत्तर में लेबनान से सटी सीमा के पास हमले शुरू कर दिए थे. तब से युद्ध के लेबनान तक फ़ैलने का ख़तरा इस समय सर्वोच्च स्तर पर है.

अभी तक इसराइल और हिज़बुल्लाह के बीच हिंसा लेबनान और इसराइल के बीच उत्तरी सीमा तक ही सीमित रही है. इसराइल और हिज़बुल्लाह दोनों ही ये संकेत देते रहे हैं कि वो व्यापक युद्ध के पक्ष में नहीं है.

अभी तक, हिज़बुल्लाह ने सिर्फ़ इसराइली सैन्य ठिकानों को ही निशाना बनाया है, लेकिन उसके हमले अब और अधिक जटिल हो गए हैं. वो इसराइल में भीतरी इलाक़ों में मौजूद ठिकानों को निशाना बना रहा है.

हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने ‘कठोर और प्रभावशाली’ बदले की कार्रवाई का वादा करते हुए बताया था कि फ़वाद शुक्र हिज़बुल्लाह का ‘रणनीतिक दिमाग़’ थे और उनकी हत्या से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने उनसे बात की थी.

पहले, शीर्ष कमांडरों की मौत के बाद हिज़बुल्लाह इसराइल पर रॉकेट हमले करके प्रतिक्रिया देता रहा है. लेकिन अब, बेरूत में अपने गढ़ में अपने शीर्ष कमांडर की हत्या के बाद हो सकता है कि हिज़बुल्लाह भी अधिक प्रतीकात्मक प्रतिक्रिया दे.

हालांकि हिज़बुल्लाह का कहना है कि ये तय है कि उसकी ये प्रतक्रिया संघर्ष के नियमों के भीतर ही होगी.

लेबनान में बहुत से लोगों को ये डर है कि उन्हें ऐसे युद्ध में खींचा जा रहा है जो लेबनान के राष्ट्रीय हित में नहीं है. लेबनान के लोगों को 2005 में इसराइल और हिज़बुल्लाह के बीच हुए संघर्ष की बर्बादी अब तक याद है.

लेकिन, एक कमज़ोर हिज़बुल्लाह ईरान के भी हित में नहीं हैं. अपनी हमलावर मिसाइलों और ड्रोन के साथ, हिज़ुबुल्लाह इसराइल के ख़िलाफ़ ईरान के प्रतिरोध का अहम हिस्सा है, जो बिलकुल इसराइल की सीमा पर बैठा है.

इसराइल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए ख़तरा मानता है. अगर ईरान के परमाणु ठिकाने कभी इसराइल के हमले का निशाना बनते हैं तो उसकी जवाबी कार्रवाई में हिज़बुल्लाह की भूमिका अहम हो सकती है.

तथाकथित एक्सिस ऑफ़ रेज़िस्टेंस, जो क्षेत्र में ईरान समर्थित गठबंधन है और जिसमें यमन के हूती विद्रोही और इराक़ के मिलिशिया भी शामिल हैं, का मुख्य समूह हिज़बुल्लाह ही है. यमन के हूती विद्रोहियों और इराक़ के लड़ाकों ने भी सात अक्तूबर के बाद से क्षेत्र में पश्चिमी हितों और इसराइल पर हमले किए हैं.

अभी ये स्पष्ट नहीं है कि ईरान और उसके समर्थक समूह प्रतिक्रिया देने में समन्वय करेंगे या नहीं, हालांकि अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों से संकेत मिला है कि हिज़बुल्लाह अकेले हमला कर सकता है और सबसे पहले हमला कर सकता है.

इसी सप्ताह, अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कूरिल्ला ने इसराइल का दौरा किया और सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की थी. ये माना जा रहा है कि इस बार भी अमेरिकी ही इसराइल के बचाव के प्रयासों का नेतृत्व करेगा.

वहीं इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि अगर इसराइल पर कहीं से भी कोई हमला हुआ तो इसकी भारी क़ीमत वसूल की जाएगी.

तनाव की आशंका और इंतज़ार के बीच, इसराइल और लेबनान आने-जाने वाली उड़ानें रद्द हो रही हैं. एयरलाइनें इन देशों के वायु क्षेत्र से बच रही हैं और दुनियाभर के देश अपने नागरिकों से इसराइल और लेबनान छोड़ने के लिए कह रहे हैं.

कुछ लोग युद्ध की तैयारियां भी कर रहे हैं. आने वाले वक्त में ये क्षेत्र दुर्घटनावश या जानबूझकर, युद्ध की तरफ में धकेला जा सकता है.

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ह्यूगो बचेगा
पदनाम,बीबीसी संवाददाता, बेरूत