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इसराइल ने सीरिया में ग़ाज़ा से तीन गुना ज़्यादा ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया है : इसराइल गोलान हाइट्स में क्या कर रहा है?

बीते कुछ दिनों में इसराइल ने सीरिया के सैन्य ठिकानों पर सैकड़ों हवाई हमले किए हैं.

उसने गोलान हाइट्स पर ‘असैन्यीकृत बफर ज़ोन’ में भी अपने सैनिक तैनात कर दिए हैं.

इसकी वजह से इसराइली नियंत्रण के तहत आने वाले सीरियाई इलाक़े में इज़ाफ़ा हो गया है.

इसराइल का कहना है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये क़दम उठा रहा है.

लेकिन लोगों का कहना है कि इसराइल अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहा है.

इसराइल कैसे हवाई हमले कर रहा है?

ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (एसओएचआर) का कहना है कि उसने रविवार को असद शासन के पतन के बाद से इसराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) के 310 से अधिक हमले दर्ज किए हैं.

इन हमलों के निशाने पर उत्तर में अलेप्पो से लेकर दक्षिण में दमिश्क तक सीरिया के सेना के अहम ठिकाने हैं. इनमें हथियारों के गोदाम, गोला-बारूद डिपो, हवाई अड्डे, नौसैनिक अड्डे और रिसर्च सेंटर शामिल हैं.

एसओएचआर के संस्थापक रामी अब्दुल रहमान ने कहा है कि ये हमले ने “सीरियाई सेना की सभी क्षमताओं” को नष्ट कर रहे हैं. उन्होंने इसे सीरिया के अधिकारों का उल्लंघन बताया है.

इसराइल का कहना है कि वो ये कार्रवाई हथियारों को चरमपंथियों के हाथों में जाने से रोकने के लिए कर रहा है.

रासायनिक हथियारों के बारे में इसराइल की चिंताएँ क्या हैं?

इसराइल इस बात को लेकर चिंतित है कि बशर अल-असद के रासायनिक हथियारों के कथित शस्त्रागार किस गुट के कब्ज़े में जाएंगे.

यह पता नहीं है कि सीरिया के पास कहां या कितने ऐसे हथियार हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद ने ऐसे हथियारों का जखीरा तैयार करके रखा हुआ था.

सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के रासायनिक हथियारों के निगरानीकर्ता ने सीरिया में अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उनके पास जो भी ऐसे हथियार हैं उन्हें ‘सेफ़’ रखें.

सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व मुख्य हथियार निरीक्षक आके सेलस्ट्रॉम अब स्वीडन में उमिया विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं.

उनका कहना है कि इसराइल अपने हवाई हमलों से सीरिया के रासायनिक हथियार की क्षमताओं को निशाना बना रहा है.

उन्होंने बीबीसी को बताया, “इसराइल सीरिया की सैन्य क्षमता को ध्वस्त कर रहा है. इसमें सैन्य ठिकानों से लेकर सैन्य साज़ो-सामान तक शामिल है.”

माना जाता है कि बशर अल-असद के प्रति वफ़ादार सेना ने 2013 में सीरिया की राजधानी दमिश्क के एक उपनगर घोउटा पर हमले में सरीन गैस का इस्तेमाल किया था.

ऐसा माना जाता है कि उस हमले में एक हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे. असद पर हाल में भी सरीन और क्लोरीन गैस जैसे रासायनिक हथियारों के उपयोग का भी आरोप लगा था.

लेकिन डॉ. सेलस्ट्रॉम का कहना है कि विद्रोही गुटों के पास भी रासायनिक हथियार होने की संभावना है क्योंकि अतीत में वे अपने दुश्मनों के ख़िलाफ़ इनका इस्तेमाल कर चुके हैं.

डॉ. सेलस्ट्रॉम कहते हैं, “इसराइल के साथ संघर्ष में कुछ ताक़त दिखाने के लिए असद के पास ये हथियार थे लेकिन वह कभी भी इनका पहले इस्तेमाल नहीं करना चाहते थे. अब सीरिया में अलग सरकार है. अब सीरिया में जो भी रासायनिक हथियार हैं, इसराइल उन्हें नष्ट करना चाहता है.”

इसराइल गोलान हाइट्स में क्या कर रहा है?

इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने घोषणा की है कि उसके सैनिकों ने गोलान हाइट्स पर ‘बफर ज़ोन’ को अपने नियंत्रण में ले रहे हैं. गोलान हाइट्स सीरिया का इलाक़ा है, जिस पर इसराइल ने क़ब्ज़ा कर रखा है.

नेतन्याहू ने कहा कि ये उनका ‘अस्थायी रक्षात्मक’ क़दम है.

लंदन के एसओएएस विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर गिल्बर्ट अचकार कहते हैं, “इसराइल ने कहा है कि वह सीरिया की ओर से होने वाले हमास के सात अक्तूबर के हमले जैसी किसी भी घटना को रोकना चाहता है. लेकिन उसकी ताज़ा कोशिश सरहद से आगे बढ़कर अपनी स्थिति मज़बूत करने की है.”

अरब देशों ने असैन्यीकृत बफर जोन पर इसराइल के क़ब्ज़े की चौतरफ़ा निंदा की है. सोमवार को मिस्र के विदेश मंत्रालय ने ‘सीरियाई क्षेत्र पर क़ब्ज़े को 1974 के समझौते का घोर उल्लंघन’ बताया है.

सीरिया से आ रही रिपोर्टों में दावा किया गया कि इसराइली सेना बफ़र ज़ोन से कहीं आगे निकल आई है और दमिश्क से महज़ 25 किमी की दूरी पर पहुँच गई है.

लेकिन इसराइली सैन्य सूत्रों ने इसका खंडन किया.

इसराइली सेना ने पहली बार माना है कि उसके सैनिक गोलान हाइट्स में असैन्यीकृत बफर ज़ोन से आगे बढ़ गए हैं.

लेकिन सेना के प्रवक्ता नदव शोशानी ने कहा कि इसराइली सीरिया में बहुत अधिक अंदर नहीं गए हैं.

गोलान हाइट्स क्या हैं और उन पर किसका क़ब्ज़ा है?

गोलान हाइट्स दक्षिण-पश्चिम सीरिया में एक चट्टानी पठार है. इस पर आधी सदी से भी अधिक समय से इसराइल का क़ब्ज़ा है.

1967 में मध्य-पूर्व में हुए युद्ध में, सीरिया ने गोलान हाइट्स की ऊंचाई से इसराइल पर बमबारी की थी. लेकिन इसराइल ने तेज़ी से सीरियाई सेना को पीछे धकेल दिया था और लगभग 1,200 वर्ग किमी क्षेत्र पर क़ब्ज़ा कर लिया था.

सीरिया ने 1973 के योम किप्पुर युद्ध के दौरान गोलान हाइट्स को फिर से हासिल करने की कोशिश की, लेकिन वो असफल रहा.

दोनों देशों ने 1974 में युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए. तभी से दोनों देशों के बीच युद्धविराम रेखा पर संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल मौजूद है.

लेकिन इसराइल ने 1981 में इस क्षेत्र पर पूरी तरह से क़ब्ज़ा कर लिया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता नहीं दी है.

सीरिया लगातार कहता रहा है कि वो इसराइल के साथ तब तक कोई शांति समझौता नहीं करेगा जब तक इसराइल पूरे गोलान इलाके से पीछे नहीं हट जाता.

1967 के युद्ध के दौरान गोलान हाइट्स के अधिकांश सीरियाई अरब निवासी वहां से भाग गए थे.

गोलान क्षेत्र में अब 30 से अधिक इसरायली बस्तियां हैं, जिनमें क़रीब 20,000 लोग रहते हैं. 1967 के संघर्ष के ख़ात्मे के लगभग तुरंत बाद ही इसराइलियों ने ये बस्तियां बनानी शुरू कर दी थीं.

अंतरराष्ट्रीय क़ानून इन बस्तियों को ‘अवैध’ मानता है. इसराइल इससे सहमत नहीं है.

गोलान एरिया में बसे लोग लगभग 20,000 सीरियाई लोगों के साथ रहते हैं.

यहाँ रहने वाले सीरियाई लोग अधिकांश ड्रूज़ संप्रदाय से हैं, जो गोलान पर इसराइल का कब्ज़ा होने के बाद भी नहीं भागे थे.

क्या इसराइल का डर जायज़ है?

नेतन्याहू ने कहा है कि गोलान हाइट्स के बफर ज़ोन पर क़ब्ज़ा अस्थायी है, लेकिन वहां से सेना की वापसी सीरिया की अगली सरकार के व्यवहार पर निर्भर करेगी.

उन्होंने कहा, “हमारी इच्छा है कि हम सीरिया में उभर रही नई ताक़तों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाएं. लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम इसराइली राज्य और इसराइल की सीमा की रक्षा के लिए जो भी करना होगा करेंगे.”

लंदन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के डॉ. एचए हेलियर कहते हैं, “इसराइल को लगता है कि सीरिया के भीतर कोई विद्रोही गुट गोलान में घुसपैठ कर सकता है. इसकी संभावना ख़त्म करने के लिए वह और सीरिया की सरहद के भीतर जा रहा है.”

“हालांकि इसराइल ने पहले भी सुरक्षा उपायों के रूप में गोलान हाइट्स पर क़ब्जा किया था और फिर इसकी किलेबंदी भी की थी. वह फिर से ऐसा कर सकता है.”

इसरायली विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा है कि वे सीरियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले केवल अपने नागरिकों की रक्षा के लिए कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “इसलिए हम रणनीतिक हथियार प्रणालियों पर हमला करते हैं. मिसाल के तौर पर हमारे निशाने पर रासायनिक हथियार या लंबी दूरी की मिसाइलें और रॉकेट हैं ताकि वे चरमपंथियों के हाथों में न पड़ें.”

हालाँकि, प्रोफेसर अचकार कहते हैं, “सीरिया में रासायनिक हथियार इतनी अधिक मात्रा में नहीं हैं. वे केवल दो या तीन जगहों पर हैं. लेकिन इसराइल ने 300 से अधिक हवाई हमले किए हैं. इससे लगता है कि इसराइल सीरिया को बहुत कमज़ोर बनाने की कोशिश कर रहा है.”

उनका कहना है कि इसराइल बशर अल-असद को को जानता-समझता था लेकिन सीरिया में आगे किसको सत्ता मिलती है ये अनिश्चित है.

“इसराइली उम्मीद कर रहे हैं कि सीरिया लीबिया की तरह विद्रोही गुटों में बँट जाएगा. उन्हें डर है कि इनमें कोई कोई न कोई गुट इसराइल के प्रति दुश्मनी रखेगा.”

“बस इसराइल ऐसे ही किसी संभावित गुट के हाथों में सीरिया के रासायनिक और अन्य हथियारों को नहीं पड़ने देना चाहता.”

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जेरेमी हॉवेल
पदनाम,बीबीसी वर्ल्ड सर्विस