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इसराइल के अंतरिम PM की कुर्सी संभालने जा रहे शख्स ने तुर्की की आपात यात्रा की : क्या है इसराइल का ‘ऑक्टोपस सिद्धांत’? : ईरान की चेतावनी!

 

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अगले सप्ताह इसराइल के अंतरिम प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने जा रहे शख्स ने तुर्की की आपात यात्रा की है. ये यात्रा ऐसे वक्त हुई है, जब वहां इसराइली पर्यटकों पर ईरानी एजेंटों के हमले की आशंका जताई गई है.

दरअसल, इस तरह के हालात एक दूसरे के कट्टर दुश्मन ईरान और इसराइल के शैडो वॉर के नतीजे हैं.

इसराइल और ईरान के बीच वर्षों से शैडो वॉर चल रहा है. दोनों ओर से एक दूसरे पर छिप कर वार होते रहे हैं.

ईरान का कहना है कि वह इसराइल को दुनिया के नक्शे से मिटा देना चाहता है. लिहाजा इसराइल उसे अपने खिलाफ सबसे बड़े खतरे के तौर पर देखता है.

ईरान इसराइल को एक ऐसे देश के तौर पर देखता है, जो अमेरिका के साथ खड़ा है और जो क्षेत्रीय ताकत के तौर पर उभरने की राह में उसका सबसे बड़ा रोड़ा है. इसराइल और ईरान के बीच तनाव ने 2020 में एक बेहद नाटकीय मोड़ ले लिया था.

उस वक्त ईरान ने इसराइल पर आरोप लगाया था कि उसने उसके न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फख्रजादा को मार डाला है. फख्रजादा उस वक्त तेहरान के बाहरी इलाके में कार चला रहे थे.

कहा जाता है उन्हें कथित तौर रिमोट कंट्रोल मशीनगन से मारा गया था. इसराइल ने इस हत्या में न अपना हाथ होने की बात स्वीकार की थी और न इससे इनकार किया था. फख्रजादा 2007 के बाद मारे गए ईरान के पांचवें न्यूक्लियर साइंटिस्ट थे.

‘न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस बारे में विस्तार से रिपोर्ट छापी है कि इसराइल ने इसे कैसे अंजाम दिया.

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एक दूसरे के खिलाफ हमलों का सिलसिला

हालांकि ईरानी इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद के पूर्व प्रमुख ने खुलासा किया था फख्रजादा ‘पिछले कई साल’ से निशाने पर थे. उनका कहना था न्यूक्लियर साइंटिस्ट के पास जो जानकारी थी लेकिन उसे लेकर मोसाद को काफी चिंता थी.

पश्चिमी देशों की खुफिया एजंसियों का मानना था कि फख्रजादा न्यूक्लियर वॉरहेड बना रहे गुप्त कार्यक्रम की अगुआई कर रहे हैं.

इस मामले के कुछ महीनों बाद ही जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए थे और उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से ईरान के साथ होने वाली सौदेबाजी छोड़ दी थी.

इस बीच, ईरान और इसराइल एक दूसरे के खिलाफ गुप्त ऑपरेशन चलाने में लगे थे.

इसराइल ने एलान किया था कि ईरान की ओर से अंजाम दिए जाने वाले एक कथित हत्याकांड की योजना को उसने ध्वस्त कर दिया है. वहीं ईरान ने इसराइल के अंदर एक ड्रोन हमले को लेकर बढ़-चढ़ कर दावे किए थे.

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दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप

दोनों देशों ने कथित तौर पर एक दूसरे के कार्गो जहाजों पर हमले के दावा किया था. पिछले सप्ताह ईरान ने कहा था इसके एक अंडरग्राउंड न्यूक्लियर साइट पर तोड़फोड़ की कार्रवाई में इसराइल का हाथ था.

कुछ दिनों पहले ही ईरान ने कहा था कि उसने मोसाद के साथ कथित संबंध के आरोप में तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाया था. इन लोगों पर ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या की योजना बनाने का आरोप है.

ईरान ने कहा है कि उसके यहां एक बाद एक कई रहस्यमयी हत्याएं हुई हैं. इन मौतों में दो एयरोस्पेस अधिकारियों की मौत भी शामिल है.

इन दोनों को ‘मिशन पर शहीद’ का दर्जा दिया गया है वहीं रक्षा मंत्रालय के इंजीनियर को औद्योगिक तोड़फोड़ का शहीद बताया गया है.

हालांकि इन मौतों के लिए इसराइल को दोषी नहीं ठहराया गया है.

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अब खुले में खेला जा रहा है हमलों का छिपा खेल

लगता है कि अब इसराइल और ईरान के बीच छिप कर चल रहे हमले और जवाबी हमले का ये खेल अब खुले में चलने लगा है. ऐपल टीवी के एक शो तेहरान में इसे हॉलीवुड ट्रीटमेंट भी मिल रहा है.

इस शो में दिखाया गया है है कि मोसाद का एक एजेंट ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्ड के सर्वोच्च सुरक्षा तंत्र में सेंध लगाने में सफल हो जाता है.

लेकिन कल्पना से परे वास्तविक हालातों पर बात करें तो विशेषज्ञों की इस बारे में अपनी राय है.

रिचर्ड गोल्डबर्ग पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में ईरान के जनसंहारक हथियार कार्यक्रम के खिलाफ व्हाइट हाउस नेशनल सिक्योरिटी के काउंसिल डायरेक्टर थे.

उनका कहना है कि ईरान के सुरक्षा तंत्र में किसी बड़ी घुसपैठ के बगैर मोहसिन फख्रजादा की हत्या मुमकिन नहीं थी.

‘स्ट्रैटेजिक सेंटर’

रिचर्ड गोल्डबर्ग का कहना है, “ये मानना होगा कि इस तरह भारी सुरक्षा से लैस ईरानी परमाणु संयंत्रों में घुसपैठ या उसके किसी प्रमुख व्यक्ति तक पहुंचे बगैर किसी भेदिये के संभव नहीं है.”

ईरान पर इस बात का शक जताया जा रहा है इस तरह के हमलों का बदला लेने के लिए इसने इस इलाके में अमेरिकी और इसराइली ठिकानों पर जवाबी हमले किए हैं.

कहा जा रहा है कि ईरान ने मार्च में इराक के कुर्दिस्तान में कथित तौर इसराइल का ‘स्ट्रैटेजिक सेंटर’ कहे जाने वाले ठिकाने पर हमला किया था.

ईरान समर्थित मिलिशिया की ओर से इराकी बेस पर मौजूद अमेरिकी सेना की टुकड़ियों पर हमला करने के आरोप हैं.

सप्लाई ले जाने वाले सेना के काफिले पर भी ईरानी हमले के आरोप लगाए जा रहे हैं.

क्या है इसराइल का ‘ऑक्टोपस सिद्धांत’?

बहरहाल एक अभूतपूर्व कदम के तौर पर इसराइल ने हाल में इंस्ताबुल में अपने नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे ये शहर छोड़ दें और तुर्की में किसी और शहर की यात्रा न करें.

उन्हें जल्द ही किसी खतरे का सामना करना पड़ सकता है. हो सकता है ईरानी एजेंट उन्हें नुकसान पहुंचाने की फिराक में हों.

इस बीच, अपना पद छोड़ने जा रहे इसराइली प्रधानंत्री नेफ्टाली बेनेट ने कहा है कि इसराइल अपना ‘ऑक्टोपस सिद्धांत’ लागू कर रहा है.

इसके तहत ईरानी क्षेत्र में उसके परमाणु, मिसाइल और ड्रोन कार्यक्रम खिलाफ छिपे ऑपरेशन में तेजी लाने की योजना है.

किसी तीसरे देश में ईरान की लिए परोक्ष तौर पर काम करने वालों पर हमले की बजाय इस रणनीति पर ज्यादा जोर दिया जाएगा.

ईरान की चेतावनी

तेहरान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और वियेना वार्ता में ईरान के न्यूक्लियर सौदे से जुड़ी टीम के मीडिया सलाहकार मोहम्मद मरांदी ने कहा, “पश्चिमी देशों की राजनीतिक सरपरस्ती में बेकसूर नागरिकों की हत्या इसराइली शासन के लिए कोई नई बात नहीं है. लेकिन दुर्घटनाओं और मौतों को भी अपना कारनामा बता कर वे राजनीतिक मकसद से अपनी क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है. लेकिन ईरान निश्चित तौर पर पलटवार करेगा, लेकिन अभी वह धैर्य रख रखा है.”

ईरान की इलिट कुद्स फोर्स ( यह रेवोल्यूशनरी गार्ड की विदेशी ऑपरेशन इकाई है) के प्रमुख जनरल इस्माइल क़यानी ने एलान किया है कि ईरान दुनिया में कहीं भी अमेरिका और इसराइल के खिलाफ आंदोलन का समर्थन जारी रखेगा.

दरअसल अमेरिका की ओर से क़यानी से पहले ईरान के कुद्स फोर्स के चीफ रह चुके कासिम सुलेमानी की एक ड्रोन हमले में हत्या के बाद ईरान ने यह एलान किया है. जनवरी 2020 में अमेरिका के इस ऑपरेशन से पूरी दुनिया में सनसनी फैल गई थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अगले कुछ दिनों में इसराइल और सऊदी अरब की यात्रा करेंगे. लेकिन बाइ़डन प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका को फिलहाल ईरान और इसराइल के बीच की लड़ाई चिंताजनक स्थिति में पहुंचती नहीं दिखती.

उन्होंने कहा, “ईरान और इसराइल के बीच यह टकराव लंबे समय से चल रहा है. दोनों धीमे-धीमे इस आंच को सुलगा रहे हैं. एक दूसरे पर चौंकाने वाले हमले नहीं कर रहे हैं. हम लंबे समय से ये देखते आ रहे हैं. लेकिन फर्क ये है कि जो कुछ पहले छिपे तौर पर चल रहा था उसे अब खुले में खेला जा रहा है.”

वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक डिफेंस फॉर डेमोक्रेसिज के सीनियर एडवाइजर रिच गोल्डबर्ग कहते हैं, “अमेरिका के गुप्त अभियान की अपनी सीमाएं हो सकती हैं. लेकिन दुनिया कोई बड़ा धमाका चाहती है. ऐसा धमाका जिसमें हम उठें तो हमें इसराइली हवाई हमले का शोर सुनाई पड़े.”

“लेकिन ये भी सच है कि वह शैडो वॉर को धीरे-धीरे सामान्य करता जा रहा है, जो बगैर कुछ कहे आसानी से न्यूक्लियर संयंत्रों पर सीधे हमले में बदल सकता है. दुनिया के बगैर ये कहे कि यह तो मिलिट्री अटैक है, इसे रोकना होगा.

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सुजेन किएनपोर

बीबीसी न्यूज़, दुबई