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इसराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष में आगे क्या होगा? ईरान क्या करेगा?? वीडियो & रिपोर्ट

Wajidkhan
@realwajidkhan
इज़राइल ने हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह को कैसे निशाना बनाया?

ईरानी जासूस ने इसराइल को पक्की खबर पहुंचाई है कि ईरान के अल-कुद्स ब्रिगेड के डिप्टी जनरल अब्बास निलुफरोशन हसन नसरल्लाह के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में पहुंचे हैं।

यह बैठक हिजबुल्लाह के वरिष्ठ कमांडर हुसैन सरवर की शहादत और भविष्य की कार्ययोजना को लेकर बुलाई जानी थी.

बैठक 30 मीटर भूमिगत एक सुरक्षित बंकर में बुलाई गई थी

जिसमें हसन नसरल्ला समेत कम से कम 12 वरिष्ठ अधिकारी और कमांडर मौजूद थे

इजराइल को जैसे ही सूचना मिली कि हसन नसरल्लाह महफिल में पहुंच गए हैं

तो इजराइल ने पहले से ही तैयार युद्धपोत भेजकर हमला कर दिया

फ्रांसीसी अखबार ले पेरिसियन की रिपोर्ट

लेबनान, सीरिया, यमन, इराक और गाज़ा में चप्पे चप्पे पर मोसाद ही नही अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोप और gulf के कई देशों के जासूस है। जो डबल एजेंट के रूप में भी काम करते हैं।

हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ नेता हसन नसरल्लाह की इसराइली हमले में मौत लेबनान के चरमपंथी संगठन के साथ इसराइल के संघर्ष में एक बड़ी घटना है.

ज़ाहिर तौर पर इसने क्षेत्र को एक बहुत ज़्यादा नुक़सान वाले व्यापक संघर्ष के और क़रीब ला दिया है, जिसमें ईरान और अमेरिका दोनों शामिल हो सकते हैं.

लेबनान के सबसे ताक़तवर हथियारबंद संगठन ‘हिज़्बुल्लाह’ के नेता हसन नसरल्लाह की इसराइली हमले में मौत हो गई.

इसराइल ने दावा किया था कि शुक्रवार की रात को हुए हमले में नसरल्लाह समेत हिज़्बुल्लाह के कई कमांडरों की मौत हुई है.

इसके काफ़ी देर बाद हिज़्बुल्लाह की ओर से इस ख़बर की पुष्टि की और कहा कि नसरल्लाह की मौत “दक्षिणी हिस्से में विश्वासघाती ज़ायनिस्ट हमले के बाद” हुई.

हिज़्बुल्लाह ने इसराइल के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही है.

इसराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष में आगे क्या होगा, यह मुख्य तौर पर तीन बुनियादी सवालों पर निर्भर करता है

हिज़्बुल्लाह क्या करेगा?

इसमें सबसे पहला सवाल हिज़्बुल्लाह से जुड़ा है वो अब क्या करेगा?

इसराइल के साथ अपने हालिया संघर्ष में हिज़्बुल्लाह एक के बाद एक बड़े नुक़सान से जूझ रहा है.

एक दर्जन से ज़्यादा कमांडरों की हत्या ने इसके कमांड ढांचे को ध्वस्त कर दिया है. पिछले दिनों पेजर और वॉकी टॉकी धमाके ने इसके संचार तंत्र को नुक़सान पहुंचाया है.

इसके अलावा इसराइली हवाई हमलों में हिज़्बुल्लाह के कई हथियार नष्ट कर हो चुके हैं.

अमेरिका में मौजूद मध्य पूर्व मामलों के सुरक्षा विशेषज्ञ मोहम्मद अल-बाशा कहते हैं, “हसन नसरल्लाह की मौत के अहम नतीजे होंगे. इससे संगठन में अस्थिरता पैदा हो सकती है और थोड़े समय के लिए इसकी राजनीतिक और सैन्य रणनीतियों में बदलाव आ सकता है.”

लेकिन यह उम्मीद करना कि इसराइल का यह कट्टर विरोधी संगठन अचानक हार मान लेगा और इसराइल की शर्तों पर शांति के लिए आगे बढ़ेगा, यह ग़लत साबित हो सकता है.

हिज़्बुल्लाह ने पहले ही यह लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है. उसके पास अभी भी हज़ारों लड़ाके हैं, जिनमें से कई के पास हाल ही में सीरिया में जंग लड़ने का अनुभव है और वो बदला लेने की मांग कर रहे हैं.

उनके पास अभी भी मिसाइलों का एक बड़ा ज़ख़ीरा है, जिनमें से सटीक निशाना लगाने वाले लंबी दूरी के हथियार हैं, जो तेल अवीव और इसराइल के अन्य शहरों तक पहुँच सकते हैं.

इससे पहले कि वो भी इसराइली हमलों में नष्ट हो जाएं, हिज़्बुल्लाह पर इसके जल्द इस्तेमाल करने का संगठन के अंदर से दबाव होगा.

लेकिन अगर वो इसराइल की हवाई सुरक्षा को मात देकर कोई सामूहिक हमला करते हैं, जिनमें आम नागरिक मारे जाते हैं, तो इस पर इसराइल की प्रतिक्रिया विनाशकारी हो सकती है.

उसके बाद इसराइल लेबनान के बुनियादी ढांचे पर कहर बरपा सकता है. यहां तक कि यह ईरान तक फैल सकता है.

 

 

ईरान क्या करेगा?

हसन नसरल्लाह की हत्या ईरान के लिए उतनी ही बड़ी चोट है जितनी हिज़्बुल्लाह के लिए. ईरान ने पहले ही नसरल्लाह की मौत पर पांच दिनों के शोक की घोषणा की है.

ईरान ने कई आपातकालीन सावधानी भी बरती हैं. उसने अपने नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई को भी छिपा दिया है, ताकि अगर उन पर हमला हो तो उन्हें बचाया जा सके.

जुलाई महीने में तेहरान के एक गेस्ट हाउस में हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हनिया की अपमानजनक हत्या के बाद ईरान ने अब तक कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की है.

अब नसरल्लाह की हत्या के बाद ईरानी शासन में मौजूद कट्टरपंथी किसी तरह की प्रतिक्रिया पर विचार कर रहे होंगे.

ईरान के पास मध्य पूर्व में उसके मित्र देशों के भारी हथियारों से लैस लड़ाक़ों का एक पूरा संगठन है, जिसे कथित तौर पर ‘प्रतिरोध की धुरी’ (एक्सिस ऑफ़ रेसिस्टेंस) कहा जाता है.

हिज़्बुल्लाह के अलावा यमन में हूती और सीरिया और इराक़ में भी कई संगठन हैं. ईरान उन्हें क्षेत्र में इसराइली और अमेरिकी ठिकानों पर हमले बढ़ाने के लिए कह सकता है.

लेकिन ईरान अपनी प्रतिक्रिया के लिए जो भी विकल्प चुनेगा वह संभवतः ऐसी जंग को भड़काने वाला होगा, जिसे वह जीतने की उम्मीद नहीं कर सकता है.

इसराइल क्या करेगा?

अगर हसन नसरल्लाह की हत्या से पहले किसी को कोई संदेह था तो अब ऐसा नहीं होगा.

इसराइल का स्पष्ट तौर पर अपने निकटतम सहयोगी अमेरिका सहित 12 देशों के प्रस्तावित 21 दिनों के युद्धविराम के लिए अपने सैन्य अभियान को रोकने का कोई इरादा नहीं है.

इसराइली सेना का मानना है कि अब हिज़्बुल्लाह उसके पीछे पड़ गया है इसलिए जब तक मिसाइलों का ख़तरा दूर नहीं हो जाता है, तब तक वह हमला जारी रखना चाहेगी.

इस वक़्त हिज़्बुल्लाह का आत्मसमर्पण भी संभव नज़र नहीं आता है. तो फिर इसराइल ज़मीन पर अपनी सेना उतारे बिना हिज़्बुल्लाह के हमलों के ख़तरे को कैसे दूर करेगा? जो इस संघर्ष के पीछे इसराइल का मक़सद है.

इसराइली रक्षा बलों ने इसी मक़सद से सीमा के निकट अपनी पैदल सेना के प्रशिक्षण का वीडियो फुटेज जारी किया है.

लेकिन हिज़्बुल्लाह ने पिछले युद्ध के ख़त्म होने के बाद से बीते 18 साल युद्ध के लिए प्रशिक्षण लेने में भी बिताए हैं. यानी ज़मीन पर जंग लड़ना इसराइल के लिए बहुत आसान नहीं दिखता है.

अपनी मौत से पहले अपने अंतिम सार्वजनिक भाषण में हसन नसरल्लाह ने अपने समर्थकों से कहा था कि दक्षिणी लेबनान में इसराइल का हमला “एक ऐतिहासिक अवसर” होगा.

इसका मतलब है कि आईडीएफ यानी इसराइली डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़ के लिए लेबनान में प्रवेश करना भले ही आसान होगा, लेकिन ग़ज़ा की तरह वहां से निकलने में उसे कई महीने लग सकते हैं.