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इसराइली सेना की कुख्यात कट्टरपंथी यूनिट नेतज़ाह यहूदा पर अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध, इसराइली नेता ग़ुस्से में : रिपोर्ट

इसराइली सेना की इस यूनिट के सैनिक धार्मिक हिदायतों के अंतर्गत काम करते हैं.

इसराइली सेना की यूनिट नेतज़ाह यहूदा पर प्रतिबंध की अपुष्ट ख़बरों के बाद इसराइली नेताओं ने ग़ुस्से का सख़्त इज़हार किया है.

एग्सियोम न्यूज़ वेबसाइट के मुताबिक अमेरिका ये क़दम नेतज़ाह यहूदा के मानवाधिकारों के उल्लंघन की ख़बरों के बाद उठा रहा है.

अगर वाकई इस यूनिट पर प्रतिबंध लगता है तो ये पहली बार होगा जब अमेरिकी प्रशासन इसराइली सेना की किसी यूनिट को प्रतिबंधित करेगा.

रविवार को इसराइली सेना ने कहा था कि उन्हें नेतज़ाह यहूदा पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

सेना ने अपने बयान में कहा था कि यहूदा एक लड़ाकू यूनिट है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत काम करती है.

सेना ने कहा है कि अगर इस बारे में कोई निर्णय लिया जाता है तो वे उसकी विवेचना करेंगे और किसी भी प्रकार की असाधारण घटना की जांच की जाएगी.

सूत्रों के मुताबिक अगर अमेरिकी विदेश विभाग नेतज़ाह यहूदा पर पाबंदी लगाता है तो इस यूनिट को अमेरिका से किसी भी प्रकार की सैन्य मदद या ट्रेनिंग नहीं दी जाएगी.

बीते कुछ महीनों में इसराइल में हारेदी यहूदियों को सेना की नौकरी से रियायत पर ग़ुस्सा बढ़ा है.

इसराइल में लगभग सभी नागरिकों को सेना में नौकरी करनी होती है. हर पुरुष को कम से कम तीन वर्ष और महिला को दो वर्ष नौकरी करना अनिवार्य है.

इसराइल के पब्लिक ब्रॉडकास्ट कॉरपोरेशन ने इसराइली अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि अमेरिका ने इस यूनिट के फ़लस्तीनियों पर हमलों के बारे में कई बार जानकारी मांगी है.

‘बेवकूफ़ी की इंतहा’

लेकिन इन ख़बरों पर इसराइली प्रधानमंत्री ने ग़ुस्से से भरा जवाब दिया है.

बिन्यामिन नेतन्याहू ने संभावित प्रतिबंधों को बेवकूफ़ी की इंतहा और नैतिकता का रसातल बताया है.

इसराइल के वॉर कैबिनेट मंत्री बेनी गांट्ज़ ने कहा है कि यूनिट पर प्रतिबंध एक ख़तरनाक मिसाल क़ायम करेगा.

अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में गांट्ज़ ने अमेरिकी से अपने संभावित निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा है.

गांट्ज़ ने कहा है कि नेतज़ाह यहूदा पर युद्ध के वक़्त प्रतिबंध इसराइल को नुकसान पहुँचाएगा.

उन्होंने कहा, “प्रतिबंध लगाने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि इसराइली सेना अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत काम करती है.”

इसराइल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इत्मार बेन-ग्वीर ने कहा है कि अगर अमेरिका प्रतिबंध लगाता है तो उन्हें इसराइल के बैंकों के ज़रिए फ़लस्तीनी प्रशासन को जाने वाले फंड्स रोक देने चाहिए.

उन्होंने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फ़लस्तीनी बैंकों पर सख़्त पाबंदियां लगाने का सुझाव दिया है.

इसराइली सियासतदानों की सख़्त प्रतिक्रियाएं

बेन-ग्वीर ने कहा है कि किसी भी प्रकार के प्रतिबंध इसराइल के दुश्मनों के हित में होंगे.

वॉर कैबिनेट मंत्री गादी आइज़नकोट ने संभावित प्रतिबंधों को मौलिक रूप से ग़लत बताते हुए कहा है कि वे इसे रोकने का पूरा प्रयास करेंगे.

इसराइल के वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोत्रिक ने इसे ‘बिल्कुल पागलपन’ बताया है.

इसराइल में विपक्ष के नेता येर लैपिड ने एक टिप्पणी में कहा कि सरकार की अवैध नीति और राजनीतिक विफलता का सबसे ज्यादा असर इजरायली सेना पर पड़ता है. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि इसराइली सेना पर पाबंदी ग़लत क़दम होगा जिसे ख़ारिज किया जाना चाहिए.

इसराइल की लेबर पार्टी के नेता मेराव मिखाइल ने नेतज़ाह यहूदा ब्रिगेड को भंग किए जाने की मांग की है.

उन्होंने कहा कि इस यूनिट के हिंसक और भ्रष्ट व्यवहार के क़िस्से वर्षों से सामने आते रहे हैं.

नेतज़ाह यहूदा ब्रिगेड में कौन भर्ती होता है?

रब्बी यिटज़ाक योसेफ़ के अनुसार कई हारेदी यहूदी इसराइली सेना में शामिल होने से इंकार कर देते हैं क्योंकि वे अपना वक़्त धार्मिक किताब तोराह को पढ़ने में बिताना चाहते हैं. तोराह हिब्रू बाइबल की पहली पांच पुस्तकों को कहते हैं.

हालांकि सभी हारेदी यहूदी युवक धार्मिक कॉलेजों में नहीं पढ़ते. इनमें कुछ शर्तों के साथ सेना में भर्ती हो जाते हैं.

नहाल हादेरी की शुरुआत 1999 में बतौर एनजीओ हुई थी. इसके सदस्य हारेदी यहूदियों के रब्बी होते हैं.

इस एनजीओ ने रक्षा मंत्रालय की मदद से कई हारेदी युवाओं को सेना में भर्ती करवाया.

इस सहयोग से इसराइली सेना में नेतज़ाह यहूदा ब्रिगेड का गठन हुआ. इसमें हज़ारों हारेदी सैनिक हैं.

नहाल हारेदी के मुताबिक हादेरी युवा अपनी जीवनशैली और धार्मिक सिद्धांतों का पालन करते हुए हारेदी यहूदी इसराइल सेना में प्रतिष्ठित पदों पर सेवाएं दे रहे हैं.

कहां तैनात है यूनिट

वर्ष 1999 में 30 हारेदी युवाओं की पहली यूनिट तैनात की गई थी. इसे नहाल हारेदी कान नाम दिया गया था. बाद में इसे नेतज़ाह यहूदा या बटालियन 97 का नाम दिया गया.

इस यूनिट की पहली तैनाती रामाल्लाह और जेनिन में हुई थी.

वर्ष 2019 में एक हिब्रू अख़बार ने लिखा था कि सेना ने इस यूनिट को रामाल्लाह से हटाकर जेनिन में तैनात किया है.

तब सेना ने कहा था कि यूनिट को ऑपरेशनल कारणों से हटाया जा रहा है.

महिला सैनिकों से दूरी बनाकर रखते हैं

दिसंबर 2022 में इसराइल ने नेतज़ाह यहूदा का तबादला वेस्ट बैंक में कर दिया था.

सेना ने इस बात से इंकार किया है कि ये क़दम यहूदा के व्यवहार की वजह से उठाया गया था.

उसके बाद से ही ये बटालियन उत्तर में तैनात है.

इसराइली मीडिया के अनुसार वर्ष 2024 की शुरुआत में इस यूनिट ने ग़ज़ा की जंग में हिस्सा लेना शुरू किया.

पूर्व इसराइली आर्मी कमांडर अविव कोचावी कहते हैं कि इस यूनिट को लेबनान, सीरिया और ग़ज़ा में भी तैनात किया जा सकता है.

इस वक्त नेतज़ाह यहूदा के करीब 1000 सैनिक या युद्ध लड़ रहे हैं या ट्रेनिंग ले रहे हैं.

इस यूनिट के सैनिक कुल दो साल आठ महीने की नौकरी करते हैं.

टाइम्स ऑफ़ इसराइल के अनुसार ये सैनिक महिला सैनिकों से दूरी बनाकर रखते हैं और उन्हें प्रार्थना के लिए अतिरिक्त वक़्त दिया जाता है.

अमेरिका क्यों लगाना चाहता है प्रतिबंध?

इस यूनिट पर 79 वर्षीय फ़लस्तीनी मूल के अमेरिकी नागरिक उमर असद को मारने का आरोप है. उमर की मौत जनवरी 2022 में हुई थी. उन्हें इसराइली सेना ने एक चेकपॉइंट पर गिरफ़्तार किया था.

असद के परिवार का आरोप है कि उन्हें सैनिकों ने हथकड़ी लगाई, मुंह में कपड़ा ठूंसा और ज़मीन पर गिरा दिया. उसी जगह पर उन्हें मृत पाया गया था.

इस मामले में जांच के बाद इसराइल डिफेंस फ़ोर्सज़ ने माना कि ये सेना की नैतिक विफलता थी जो स्थिति के ग़लत आकलन के कारण हुई और जिससे मानवीय गरिमा को ठेस पहुँची.

इसके बाद नेतज़ाह यहूदा के एक कमांडर को फटकार लगाई गई थी. यहूदा के एक कंपनी कमांडर और प्लाटून कमांडर को नौकरी से हटाया गया था.

इसके बाद सैनिकों पर एक आपराधिक मामला भी दर्ज हुआ था जिसे बाद में बिना सैनिकों को सज़ा दिये बंद कर दिया गया था.

इसराइली अख़बार हारेट्ज़ के अनुसार अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यहूदा के ख़िलाफ़ जांच 2022 के अंत में शुरू की थी. उस वक्त तक यहूदा के सैनिकों पर फ़लस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ कई हिंसक घटनाओं में शामिल होने की बात सामने आई थी.

सात अक्तूबर को शुरू हुए ग़ज़ा युद्ध के बाद अमेरिका तीन बार यहूदी बाशिंदों पर फ़लस्तीनियों की प्रताड़ना करने की वजह से पाबंदियां लगा चुका है.

लीएही क़ानून क्या है जिसके तहत लगेगा प्रतिबंध?

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार लीएही क़ानून के तहत उन विदेशी सरकारों को अमेरिकी मदद पर रोक लगती है जिन्होंने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया हो.

मदद पर प्रतिबंध में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय द्वारा दी जाने वाली ट्रेनिंग भी शामिल होती है. अगर विदेशी सरकार मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों को सज़ा देती है तो मदद बहाल की जा सकती है.

लीएही एक्ट उन विदेशी सैन्य यूनिटों पर लागू होता है जिन के बारे में मानवाधिकारों के उल्लंघन की पुख़्ता जानकारी होती है.

अमेरिकी सरकार यातना, हत्या, जबरन ग़ायब करने और कानून की आड़ में बलात्कार करने को मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन मानती है.

अगर इन अपराधों के आरोप साबित हो जाएं तो लीएही एक्ट लागू हो जाता है.

इस एक्ट का नाम 1990 के दशक में इसे पेश करने वाले सीनेटर पैट्रिक लीएही के नाम पर रखा गया है.

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अल्हारेथ अल्हाबाशनेह
पदनाम,बीबीसी न्यूज़ अरबी