उत्तर प्रदेश राज्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस, सादाबाद कोतवाली के एसएचओ राकेश बाबू यादव के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया!

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की का शोषण तथा ब्लैकमेल करने के आरोपितों से मिलीभगत कर निष्पक्ष विवेचना न करने वाले हाथरस, सादाबाद कोतवाली के एसएचओ राकेश बाबू यादव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राकेश बाबू की ओर से विभिन्न आपराधिक मामलों में की जा रही विवेचना को उनसे लेकर दूसरे अधिकारी को सौंपने के लिए प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया है। कहा है कि जांच पूरी होने तक उन्हें किसी केस की विवेचना न सौंपी जाए। इसी क्रम में 26 अगस्त 22 को दर्ज प्रश्नगत एफ आईआर की विवेचना दूसरे अधिकारी के सुपुर्द करने तथा यथाशीघ्र विवेचना पूरी करने को भी कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने पीड़िता की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसका रिश्तेदार गौरव अपने दो दोस्तों के साथ हाथरस में एक कमरे में उसे ले गया। जहां उसे नशीला पदार्थ दिया गया। बेसुध होने पर बीडियो क्लिपिंग तैयार की और शारीरिक संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल करने लगा। तीनों ने उसके साथ छेड़छाड़ की।

पीड़िता की शादी होने के बाद भी ब्लैकमेल जारी रखा तथा धमकाते भी रहे । इतना ही नहीं उसके पति को वीडियो क्लिपिंग भी भेज दी। इस पर कोर्ट के माध्यम से सादाबाद कोतवाली में एफ आई आर दर्ज कराई गई है। विवेचना अधिकारी ने बयान दर्ज किए। जिस कमरे में पीड़िता को ले गए थे, उसके मकान मालिक को दोनों दोस्तों के खिलाफ बयान न देने की विवेचना अधिकारी ने धमकी दी।

मकान मालिक ने पोर्टल पर इसकी शिकायत की है। पुलिस ने दोनों दोस्तों के बारे में कहा, वीडियो में वे नहीं दिख रहे। इसलिए वे घटना स्थल पर नहीं थे। वैमनस्यतावश उन्हें फंसाया गया है। याची ने विवेचना अधिकारी की विपक्षियों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष विवेचना के लिए याचिका दायर की। विवेचक ने गौरव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करते हुए दोनों दोस्तों को छोड़ दिया।

याची की प्रोटेस्ट अर्जी मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दी । कोर्ट ने कहा, निष्पक्ष सही विवेचना से ही फेयर ट्रायल संभव है। विवेचना सच का पता लगाने तथा सुबूत इकट्ठा करने के लिए की जाती है। इसके आधार पर कोर्ट अपराध के आरोपी का विचारण करती है। जब विवेचना सही नहीं होगी तो फेयर ट्रायल नहीं हो सकता। विवेचना अधिकारी ने कानून के तहत मिली शक्तियों का दुरुपयोग किया है, ऐसे में उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।