विशेष

……..इमली व भूत ……

Asif Mansuri Shahi
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……..इमली व भूत ……
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किसी की तुर्श-रुई का सबब यही तो नहीं।
अचार लेमूँ अनार आम टाटरी इमली।।

इमली भारत में आदिकाल से होती आई,इमली और पीपल के पेड़ इंसान पक्षी पशु के साथ भूत प्रेत चुडैलों को भी पसंद है, फुरसत मिलने पर रात को अक्सर इमली के पेड़ से लटक कर लोगों को ये भूत प्रेत चुड़ैल डराते थे,ये ही प्रेतलोक का मनोरंजन का तरीका होगा,

मजे की बात ये है कि देश में चौदहवीं शताब्दी तक इमली का इस्तेमाल खाने के व्यंजनों में नहीं होता था,पुर्तगाली लोग आए तो लोगों ने उनसे सीखा, सांबर भी सत्रहवीं शताब्दी के आसपास पहली बार बना,

चौदहवीं शताब्दी के बाद ही खाने में इमली के इस्तेमाल का जिक्र है,बारहवीं सदी की किताब मनसोल्लास में भी तमाम व्यंजन तेल सामग्री का वर्णन है लेकिन इमली नहीं,

दक्षिण में सांबर या रसम में जरूर इस्तेमाल होने लगा,
कमाल की बात ये है कि जो इमली कुछ सौ साल पहले कब्ज की दवाई के रूप में इस्तेमाल होती थी आज स्वास्थ्य खराब होने के अंदेशे से दक्षिण के लोग भी रसम सांबर में खटास के लिए इमली की जगह टमाटर इस्तेमाल करते हैं,

शरीर में रक्तसंचार को बेहतर बनाने और आयरन की कमी को पूरा करने में इमली सहायक होती है, जिससे शरीर में लाल रक्त कोशि‍काओं का निर्माण अधि‍क होता है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है,

इमली में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स भी भरपूर मात्रा में होता है, जो मांसपेशियों के विकास के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद थाइमि‍न नसों के सुचारू रूप से क्रियान्वयन और मांसपेशियों के विकास में मदद करता है,

पहले समोसे पकौड़ी के साथ इमली की खटाई दी जाती थी जो एक चटनी होती थी,खटाई में इमली,आमचूर,गुड,सौंफ,सौंठ,मिर्च, काला नमक जीरा वगैरह होते थे,ये सारी चीजें समोसे पकौड़ी को पचाने में मदद करती थी,

आज लोग हरी हटनी के साथ टोमैटो सॉस मयोनिज के साथ समोसे खाते हैं,इसलिए आजकल समोसे पकौड़ी लोग लालच में खा जाते हैं,फिर खट्टी डकारें लेते हैं बोलते हैं अजीर्ण हो गया,

सिस्टम बनाया था बुजुर्गों ने समोसे,बड़े या आलू टिक्की खाने का,सबको अलग अलग चटनी के साथ खाते थे,

इसलिए छे समोसे खाकर भी लोग शाम को खाना फिर दबाकर खाते थे,कैफ भोपाली कह गए….

तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है।
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है।।