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तो आपका घर उसी दिन तितर-बितर हो जाएगा…
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ========== रजनी जब हड़बड़ाकर जागी, तो निग़ाहें सीधे घड़ी पर पड़ी. सात बज गए थे. दिव्या दरवाज़े के बाहर से ही रुआंसी होकर चिल्ला रही थी, “मम्मी, आप अभी तक सो रही हैं? मेरी स्कूल बस आने वाली है. अभी तक न तो मुझे नाश्ता मिला है और ना ही मेरे टिफिन […]
राष्ट्रीय चाटुकार बन गये….व्यंग्य-जयचंद प्रजापति
जयचंद प्रजापति · Allahabad · ============= व्यंग्य: राष्ट्रीय चाटुकार बन गये ………. कुछ साल पहले हमें चाटुकार होने की अनुभूति हुई। मिठास मिलने लगा। आनन्द की अनुभूति हुई। कुछ लोग कहे कि चाटुकार की फीलिंग से मतलब चटोरा….जी हुजूरी..हां हुजूरी..तलवे चाटना.. दुम हिलाना..आदि गुणों का होना होता है तो हमें लगा इस मामले में हम […]
“तुम्हें अकेले जीने की आदत डालनी ही होगी”
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ======= आज वृंदा को चैन की सांस आई है. आज उसे एक लम्बे अरसे के बाद सुकून मिला है. कितनी जद्दोज़ेहद करनी पड़ी है उसे अपनी बेटी को यहा लाने में. उफ़! दो बरस की लम्बी लड़ाई के बाद अन्ततः वह सफल हो ही गई, वरना श्रेष्ठा को मना लेना क्या आसान […]