साहित्य

इंतज़ार…कुछ लम्हे, कुछ बातें, कुछ मुलाक़ातें संजो कर रखी हैं तुम्हारे लिए…By-सुमन मोहनी

Suman Mohini
==============
इंतजार
कुछ लम्हे कुछ बातें कुछ मुलाकातें संजो कर रखी हैं तुम्हारे लिए
जब फुर्सत हो तुम्हें तो तुम आ जाना
सुन जाना कुछ मेरे मन की
कुछ अपने मन की सुना जाना
कर लेना मुझसे आंखे दो चार
कुछ समय मेरे साथ बिता जाना
बांट लेना कुछ दर्द अपना
कुछ मेरा भी दर्द कम कर देना
माना मसरूफ तुम बहुत हो
मसरूफ हम भी कम नहीं
सुकून के दो पल भी ग़र मिले
तो तुम इशारा मुझे कर देना
दौड़ी आऊंगी तुमसे मिलने के लिए
बस इतना तुम समझ लेना
माना दुनिया के झंझटों में मशगूल बहुत हैं हम
एक अर्से से एक दूसरे से दूर बहुत हैं हम
दिलों में मगर दूरियां कभी आ नहीं पायीं
एक पल भी तेरी याद को मिटा नहीं पायीं
खयाल को तेरे कभी जुदा नहीं कर पायीं
शायद इसी को सच्चा प्यार कहते हैं
सच्ची लगन और विश्वास कहते हैं
जो दूर रहकर भी ख़यालों में सदा बसा रहे
बात हो ना हो सदा पास बना रहे
समझ जाए बिन कहे दिल की बात वो
दूर ही से रखे खयाल वो
उसी की एक सच्चा ग़मखार कहते हैं
— सुमन मोहिनी