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आस्ट्रेलिया में दो मुसलमान इदहाम नूरुद्दीन हूसीक व् आन इज़्ज़त अली बने मंत्री

आस्ट्रेलिया के इतिहास में एक नई घटना जुड़ी है और वह है दो मुसलमानों का मंत्रालय संभालना। बोस्नियाई मूल के इदहाम नूरुद्दीन हूसीक को उद्योग व विज्ञान मंत्रालय सौंपा गया है जबकि आन इज़्ज़त अली को शिक्षा और युवाओं के मामलों का मंत्रालय सौंपा गया है।

आन इज़्ज़त अली मिस्री मूल की हैं। आन इज़्ज़त अली आस्ट्रेलिया की संसद की सदस्य चुनी जाने वाली पहली मुसलमान महिला के रूप में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं।

प्रधानमंत्री एंटोनी अलबानियास की सरकार में कुल 23 मंत्री हैं जिनमें 10 महिलाएं और 13 पुरुष हैं। इतनी संख्या में महिलाओं को मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने पर भी प्रधानमंत्री की तारीफ़ हो रही है।

पहली बार मंत्रिमंडल में आस्ट्रेलिया की मूल निवासी मानी जाने वाली जाति की भी एक महिला को शामिल किया गया है। लिंडा बर्नी को मूल निवासियों के मामलों की मंत्री बनाया गया है।

आस्ट्रेलिया में मुसलमानों के अधिकारों के लिए काम करने वाले नेटवर्क ने प्रधानमंत्री के फ़ैसले का स्वागत किया है और इसे एतिहासिक बताया है और इसे देश के लोकतंत्र के लिए बहुत महान दिन क़रार दिया है। नेटवर्क का कहना है कि इस फ़ैसले से लोग लोकतंत्र के क़रीब आएंगे और उन्हें एहसास होगा कि वे राजनैतिक विमर्श और हिस्सेदारी में शामिल हैं।

इदहाम नूरुद्दीन हूसीक जिन्होंने पश्चिमी सिडनी के विश्व विद्यालय से शिक्षा ली है प्रधानमंत्री के पहले विदेशी दौरे पर उनके प्रतिनिधमंडल में शामिल थे। आस्ट्रेलिया में 6 लाख से अधिक मुसलमान बसते हैं।

इदहाम का कहना है कि प्रधानमंत्री ने दो मुसलमान मंत्रियों को सरकार में शामिल करके यह संदेश दिया है देश के सभी नागरिकों को अवसर दिया जाएगा चाहे उनका कोई भी धर्म और अक़ीदा हो। इससे सबके अंदर यह एहसास पैदा होगा कि वे समाज का अटूट हिस्सा हैं।

उन्होंने साथ ही कहा कि अभी एक चुनौती यह है कि कुछ वर्गों में इस्लामोफ़ोबिया और नफ़रत की भावना फैल रही है इसे रोका जाना ज़रूरी है। अलबत्ता उन्होंने कहा कि इस्लामोफ़ोबिया केवल आस्ट्रेलिया में नहीं है बल्कि दुनिया के अनेक देशों में फैल रहा है। हूसीक का मानना है कि पलायन करके आस्ट्रेलिया पहुंचने वालों की तीसरी और चौथी नस्ल काफ़ी सक्रिय है और राजनीति तथा दूसरे मैदानों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है जो अच्छी बात है।

हूसीक पहली बार 12 साल पहले सांसद चुने गए थे। उन्होंने क़ुरआन पर शपथ उठाई थी।