नई दिल्ली:जम्मू कश्मीर के कठुआ जनपद में 8 साल की मासूम आसिफ़ा के दुष्कर्म और हत्या मामले में जम्मू पुलिस ने 8 वकीलों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इन वकीलों ने कठुआ मामले में क्राइम ब्रांच को चार्जशीट दाखिल करने से रोकने की कोशिश की थी. इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों के काम में भी बाधा पहुंचाने की कोशिश की थी।
If any lawyer is found guilty in the case, we have the rights to cancel their license for a lifetime: Manan Kumar Mishra, Bar Council of India (BCI) chairman #Kathua rape and murder case pic.twitter.com/h3zVxvfIki
— ANI (@ANI) April 15, 2018
बता दें कि वकीलों के रवैये पर बार काउंसिल आॅफ इंडिया ने भी कल कदम उठाया है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया की पांच सदस्यीय टीम कठुआ पहुंचकर मामले की जांच करेगी. बीसीआई की ओर से तय किया गया है कि 5 सदस्यीय टीम कठुआ और जम्मू में जाकर जांच करेगी. टीम 20 अप्रैल को जाएगी. साथ ही देखेगी कि वहां बार एसोसिएशन के लोगों ने क्या किया, क्यों किया, क्या वो मिसकंडक्ट के दायरे में आता है. रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे।
बीसीआई चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा, ‘बैठक में हम लोगों ने फैसला लिया कि 5 सदस्यीय टीम इस केस की जांच करेगी। यह टीम कठुआ और जम्मू जाकर लोगों से बार असोसिएशन की प्रणाली के बारे में बात करेगी।’
Committee will give the report to us & we have to present it to SC on 19. We will request SC to give us additional two days time. We have asked Jammu Bar Association to immediately withdraw their strike: Manan Kumar Mishra, Bar Council of India (BCI) chairman #KathuaRapeCase pic.twitter.com/awzREagSAA
— ANI (@ANI) April 15, 2018
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीसीआई चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा, ‘इस मामले में अगर कोई वकील दोषी पाया जाता है, तो हमारे पास उसके लाइसेंस को आजीवन रद्द करने का अधिकार है।’
BCI chairman Manan Kumar Mishra says 5 member team would visit Kathua in Jammu and Kashmir.#ITVideo pic.twitter.com/0255OKZoGs
— IndiaToday (@IndiaToday) April 15, 2018
आपको बता दें कि बार असोसिएशन कठुआ ( बाक ) ने बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले के आठ आरोपियों का मुफ्त में मुकदमा लड़ने का अपना प्रस्ताव वापस ले लिया है। बाक अध्यक्ष कीर्ति भूषण ने शनिवार को कहा, ‘हमने इस मामले में मुफ्त में मुकदमा लड़ने के प्रस्ताव को वापस ले लिया है।आरोपी किसी भी व्यक्ति की सेवा लेने और अदालत में अपना बचाव करने के अधिकार का इस्तेमाल करने को स्वतंत्र हैं।’