जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से हुए जघन्य बलात्कार और हत्याकांड को सुलझाने वाली जम्मू-कश्मीर क्राइम ब्रांच की स्पेशल इंवेशटिगेशन टीम (एसआईटी) की एकमात्र महिला सदस्य और पुलिस अधिकारी श्वेतांबरी शर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि तमाम कठिनाइयों से भरे इस केस को सुलझाने में उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा। और कैसे वे केस के अंजाम तक पहुंचा सकीं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात डिप्टी एसपी श्वेतांबरी शर्मा जम्मू की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया, “उस आठ साल की मासूम बच्ची के जघन्य बलात्कार और हत्या में हमें जिन लोगों के शामिल होने का शक था, जैसे उनके रिश्तेदार और उनसे सहानुभूति रखने वाले जिनमें कई वकील भी शामिल हैं, उन्होंने हमारी जांच में अड़चन डालने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उन्होंने हमें अपमानित और परेशान करने की सभी हदें पार कर दीं। लेकिन हम अपने इरादों में आखिर तक डटे रहे।
जम्मू के कठुआ जिले में हीरानगर के रासना गांव से एक आठ साल की बच्ची 10 जनवरी को लापता हो गई। बच्ची के अपहरण होने के आरोपों के बीच पुलिस लड़की को खोजने में नाकाम रही। इस वजह से जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के एक सत्र की कार्यवाही बाधित हो गई। 17 जनवरी को बच्ची की लाश मिली।
जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा की 2012 बैच की अधिकारी श्वेतांबरी शर्मा ने बताया, “हमने कड़ी चुनौतियों के बीच काम किया। कई बार हम बहुत निराश हो गए। खास तौर पर जब हमे ये मालूम हुआ कि हीरानगर पुलिस स्टेशन के लोगों को केस दबाने के लिए रिश्वत दी गई है और उन्होंने पीड़ित लड़की के कपड़ों को धो दिया जिससे अहम सबूत मिटाया जा सके। इसके बावजूद हमने बलात्कार और हत्या की इस गुत्थी को पवित्र नवरात्र के दिनों के दौरान सुलझा लिया। मैं मानती हूं कि एक दैवीय हस्तक्षेप हुआ ताकि गुनहगारों को सजा मिल सके। मुझे विश्वास है कि दुर्गा मां का हाथ हमारे सिर पर था।”
जम्मू और कश्मीर सरकार ने 23 जनवरी को अपराध शाखा को जांच का जिम्मा सौंपा।
एसआईटी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अपराध शाखा जम्मू के रमेश कुमार जल्ला के अलावा पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) आलोक पुरी और सय्यद अहफदुल मुजताबा की देखरेख में काम करना शुरू किया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) क्राइम नावीद पिरजादा टीम का नेतृत्व कर रहे थे। जिसमें डिप्टी एसपी श्वेतांबरी, सब-इंस्पेक्टर इरफान वानी, इंस्पेक्टर केके गुप्ता और सहायक सब-इंस्पेक्टर तारिक अहमद शामिल थे।
अभियुक्तों के परिवारों और उनके समर्थकों द्वारा केस की जांच सीबीआई को सौंपने की मांगों के बीच, 9 अप्रैल को एसआईटी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत के सामने आरोपी के खिलाफ दो आरोप पत्र दाखिल किए जिसमें आठ आरोपियों को बलात्कार, हत्या, अपहरण, गलत तरीके से कैद रखना, आपराधिक साजिश और प्रमाणों को नष्ट करने का दोषी ठहराया गया।
धर्म और जाति के नाम पर छूट मांगी
श्वेतांबरी कहती हैं कि, “आरोपियों में से ज्यादातर ब्राम्हण थे, और अपने उपनाम पर ज्यादा जोर दे रहे थे। उन्होंने खासतौर पर मुझे प्रभावित करने की कोशिश की और कई जरिये से मुझ तक यह बात पहुंचाई कि हम एक धर्म और एक जाति से हैं और मुझे उन्हें एक मुस्लिम लड़की के बलात्कार और हत्या का दोषी नहीं ठहराना चाहिए। मैंने उन्हें बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक अधिकारी होने के नाते मेरा कोई धर्म नहीं है और मेरा एकमात्र धर्म पुलिस की वर्दी है।”
ब्लैकमेल किया, धमकी दी
श्वेताबरी बताती हैं कि, “जब सब चालें फेल हो गईं, उनके परिजनों और सहानुभूति रखने वालों ने मुझे हम मुमकिन तरीके से ब्लैमेल करने और धमकी देने पर उतर आए। उन्होंने लाठियां पकड़ी, नारे लगाए, तिरंगा के नीचे रैलियां निकालीं और कई गांवों में और आखिरकार कोर्ट तक हमारा रास्ता रोका। लेकिन हिम्मत और धैर्य के साथ हम डटे रहे अपना पूरे दृढ़ निश्चय, समर्पण और पेशेवर तरीके से अपना काम किया।”
इस महिला अधिकारी ने बताया कि जब उन्हें यह बात पता चली कि एक रिटायर्ड गिरदवार सांझी राम के निजी देवस्थान में बच्ची के बाद ऐसी बर्बरता की गई तो यह रोंगटे खड़े करनेवाला था। श्वेतांबरी ने बताया कि वह वे अधिकारी थीं जो मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में उस देवस्थान में घुसीं और सबूत जुटाए, जिसमें वहां पीड़ित के बिखरे पड़े बाल भी शामिल थे। बाद में फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशाला ने भी इस बात की पुष्टि की कि बालों के सैंपल उस आठ साल की बच्ची के थे।
सबसे ज्यादा भयावह पल
श्वेतांबरी ने बताया कि उनेके लिए वह पल सबसे ज्यादा भयावह था, जब अपने बेटे की उम्र की बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्या की बारीकियों के बारे में उन्हें आरोपियों से पूछताछ करनी पड़ी। यह भयावह था। लेकिन दुर्गा माता हमारे साथ थीं। उन्होंने मुझे साहस दिया और मैंने एसआईटी टीम के पुरुष सदस्यों की मौजूदगी में जांच से जुड़े वे सभी जरूरी सवाल किए।
जांच के बाद उन्होंने ये स्पष्ट किया कि देव स्थान के संरक्षक सांझी राम का बेटा विशाल जंगोटा मेरठ से बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रहा था अपनी हवस मिटाने के लिए आया था। उसे नवरात्र के पहले दिन और सांझी राम को नवरात्र के तीसरे दिन गिरफ्तार किया कर लिया गया।