सेहत

आलू,भाटा, टमाटर की तरकारी बहुत स्वादिष्ट होती है, भाटा के पकौड़े तो अहा!

अरूणिमा सिंह
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बैगन, ब्रिंजल नाम से ये जाना जाता है लेकिन हम पूर्वांचल वाले तो इसे भाटा कहते है।
किसी का कद छोटा ऱह जाये तो उसे ताना मारते थे कि —
भाटा बाढ़े न बियासे तो का बियाड़ो न होय (भाटा बढ़ न रहा वृद्धि नहीं हो रही तो क्या वो कड़ा भी नहीं हुआ होगा ) मतलब कद नहीं बड़ा हुआ तो क्या हुआ आयु बड़ी हो गई है तो अपरिपक्व भी नहीं होगा।
आलू,भाटा, टमाटर की तरकारी बहुत स्वादिष्ट होती है। भाटा के पकौड़े तो अहा! क्या ही कहने।
भाटा में आप कच्चा मसाला डालकर इसकी रसेदार तरकारी बनाये भात सँग खाये आंनद ही आ जायेगा।
आज सब्जी बनाने का मन नहीं है तो चूल्हे की आग में आलू टमाटर और लहसुन छीलकर भाटा में गोभकर (चुभोकर ) भून लीजिये। इसके बाद लहसुन मिर्च का चटपटा नमक पीसकर डालें हरी धनिया हरी मिर्च एक प्याज़ काटकर डालें बढ़िया घर का सरसों का कच्चा तेल थोड़ा ठीक ठाक मात्रा में डालें और खूब मसलकर भरता कर दें मतलब भरता बना लें। हर दिन की अपेक्षा आज फिर इस भरते सँग चार निवाले ज्यादा ही खायेंगे।
वैसे तो लिट्टी सँग चोखा मशहूर हो गया है परन्तु दाल भात सँग भरता या आलू बैगन का भुजिया हम पूर्वांचल वासियों का पसंदीदा भोजन है या यू कहें यही हमारी पहचान है।
बैगन की इतनी प्रजाति है की मत ही पूछिए।
गोल सफ़ेद अंडे जैसा, बैगनी रंग का गोल छोटा, बैगनी रंग का गोल बड़ा, बैगनी रंग का लम्बा, हरा रंग का गोल, हरा रंग का लम्बा, सफ़ेद रंग का लम्बा बैगन छोटे बड़े लम्बे गोल तमाम आकार प्रकार के बैगन आपको मिल जायेगे।
बैगनी रंग के गोल बड़े बैगन को भरते का बैगन कहते है इसे भूनकर पंजाब की तरफ सिर्फ बैगन का ही भरता बनता है।
बैगन भरकर भरवां बैगन भी बनते है।
बैगन ऐसी सब्जी है जो किसी को अतिपसंद होती है तो किसी को बिल्कुल नापसंद होती है।
बैगन को खरीदना भी अपने आप में एक कला है क्योंकि बिन कीड़े का बैगन खरीदना बड़ा मुश्किल काम है।
बैगन बाहर से आपको साफ सुथरा दिखेगा काटेंगे तो अंदर कीड़ा आराम फरमाता मिलेगा।
सो बैगन को चाहे जैसे बनाये खाये लेकिन खरीदते समय ध्यान से देखकर खरीदे।

शैड्यूल पोस्ट अरूणिमा सिंह