सेहत

आर्टिफिशेल इंटैलिजेंस के ख़तरे

 


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आर्टिफिशेल इंटैलिजेंस के प्रति सबको सचेत किया है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की संस्था डब्लू एचओ ने कृत्रिम बुद्धि के ख़तरों के बारे में पूरी दुनिया को सचेत किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आर्टिफिशल इंटैलिजेंस द्वारा बनाए गए रोबोट के प्रयोग के संदर्भ में कहा है कि कृत्रिम बुद्धि की तकनीक द्वारा बनाए गए उपकरणों के प्रयोग में बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए। इस अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के अनुसार आर्टिफिशल इंटैलिजेंस द्वारा बनाए गए रोबोट टैक्सट, आडियो या वीडियो के रूप में बहुत सी एसी ग़लत जानकारियां उपलब्ध करवा सकते हैं जिनकी पहचान करना आम लोगों के बस की बात नहीं है।

पिछले नवंबर में एआईबाॅट “चैटजीपीटी” के सामने आने के बाद से आर्टिफिशल इंटैलिजेंस के संभावित ख़तरों को लेकर उद्योग एवं शिक्षा जगत में इनके बारे में वार्ता तेज़ हो गई है।

इटली वह पहला पश्चिमी देश है जिसने आर्टिफिशल इंटैलिजेंस द्वारा निर्मित एक उपकरण के प्रयोग पर रोक लगाई। वर्तमान समय में अमरीका और चीन ही आर्टिफिशल इंटैलिजेंस या कृत्रिम बु्द्धि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस के जनक या गाड फादर मान जाने वाले डा.ज्याफ़्रे हिंटन का कहना है कि एआई तकनीक पूरी दुनिया के लिए गंभीर ख़तरा है। उन्होंने कहा कि अभी तो यह हमको वरदान दिखाई दे रही है लेकिन यह वास्तविकता नहीं है। डाक्टर ज्याफ्रें हिंटन कहते हैं कि एआई या आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस अब पूरी मानवता के लिए गंभीर ख़तरा बन चुकी है।