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आदिपुरुष, आरएसएस के हिन्दुत्वादी एजेंडे को साऊथ इंडिया में स्थापित करने के लिए बनायीं गयी फ़िल्म है : रिपोर्ट Adipurush

Shiva Nand Yadav
@shivanandyadaw
बाबरी मस्जिद गिरने के बाद एक नाम बहुत मीडिया की सूर्खिंयां बटोर रहा था, वो था विनय कटियार का जो कुर्मी जाति और पिछड़े वर्ग के हैं। कट्टर पिछड़े हिन्दू कटियार ने अगड़े हिंदू अटल और अगड़े हिंदू आडवाणी से भी आगे बढ़कर कट्टर तरीके से कारसेवकों का नेतृत्व किया था। जब बाबरी मस्जिद गिराई जा रही थी।

इन्हें विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, भाजपा तथा संघ का इस कदर आशीर्वाद प्राप्त था कि इन्ही संगठनों ने कटियार को ‘बजरंगी’ कहकर संबोधित किया। उपाख्य में मिला ये नाम विनय कटियार को बहुत पसंद आया।

विनय कटियार को एक बार गोरखपुर में बोलते हुए मैंने सुना था। तब नितिन गडकरी भाजपा के अध्यक्ष थे और वो भी बतौर अध्यक्ष यहां मौजूद थे। यह बात आज के 13 या 14 साल पहले की है। कटियार मंच पर चढ़ते ही जनता से पूछा कि रावण की लंका में आग किसने लगाई? भीड़ ने जवाब दिया-: हनुमान जी ने। कटियार ने कहा कि, गलत कह रहे हैं आप लोग। और फिर भीड़ से पूछे कि हनुमानजी की पूंछ में कपड़ा किसने बांधा? भीड़ ने कहा रावण की सेना ने, उन्होंने फिर पूछा कि, तेल किसने डाला पूंछ पर? भीड़ ने कहा-: रावण की सेना ने। कटियार ने कहा कि पूंछ में आग किसने लगाई? भीड़ ने कहा-रावण की सेना ने। तब कटियार ने निष्कर्ष देते हुए कहा कि, “आग लगने के बाद हनुमानजी आग को बुझाने के लिए इधर-उधर दौड़ने लगे, जिससे लंका के घरों में आग लग गई और लंका जल गयी। अतः रावण ने ही अपनी लंका जलाई।” यह कहने के बाद कटियार अपनी भाषण की गाड़ी हिंदू-मुस्लिम की ओर मोड़ दिये।

कटियार सांसद भी रहे हैं। लेकिन भाजपा के हिंदुत्व में सवर्ण द्विज जातियों के नीचे ही शेष जातियों को रखा जाता है, चाहे वे कितने भी कट्टर हिन्दू क्यों न बन जायें। कटियार का सूरज भी उमा भारती की तरह अस्त होता गया। आजकल वो लाइमलाइट में भी नहीं रहते हैं।

कटियार के भाषणों को बहुत से रामकथा वाचक बाबाओं ने भी अपने अपने कथाओं में जोड़ना शुरू कर दिया। और आज के लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने भी फिल्म #आदिपुरूष में इसी संवाद (डायलॉग) को डाला है। जिससे शुक्ला की चारो तरफ थू थू हो रही है।

राजनीतिक जगत में जो हस्र विनय कटियार का हुआ है। फिल्म जगत में वही हस्र मनोज मुंतशिर शुक्ला का भी होने वाला है। अर्थात नफरत फ़ैलाने वाले मुंतशिर शुक्ला का भी सूरत अस्त होने वाला है।

Shiva Nand Yadav
(शोधछात्र, गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर)

Dr. Prachi Sadhvi
@Sadhvi_prachi
सावधान हिंदू औरतें और हिंदू लड़कियों मार्केट में अपने को धूप से बचाने के लिए हिजाब आ गए है हिंदू इलाको की दुकानों में, ये नही खरीदना है , आप दुप्पटा ही बांधना ना की ये हिजाब, दुप्पटा बांधने की झंझट से बचने के लिए आप ये हिजाब मत अपनाना*

फैशन के नाम पर तुम पर ये हिजाब थोपने की तैयारी है*

हिंदू व्यापारियों से निवेदन है की इस तरह के हिजाब ना बेचे


Praveen Kumar neopaney
@KumarNeopaney

Learn something from the legends
@manojmuntashir
. Stop justifying your mistakes. It’s disgraceful to see making fun in the name of Ram and Ramayana. Don’t ever say you can narrate Ramayana in any form as your way is shameful

 

यह गरीब का अंजीर है,, अंजीर जाति पौधा है इसको गुलरिया उम्र के नाम से हम लोग जानते हैं,, यह औषधि गुणों से भरपूर होता है,, पकने पर इसके अंदर कीड़े रहते हैं,, इसे बिना फोड़े साबुत खाया जाता है, इसका एक परीक्षित औषधि उपयोग यह है कि यदि किसी लेडीस को ब्लीडिंग हो रही हो तो एक गूलर को गाय के दूध में पीसकर के खला दिया जाए तो बिल्डिंग तुरंत रुक जाती है,, अब बरसात का मौसम आने वाला है कृपया खाली जगह में पेड़ जरूर लगाएं,, और पेड़ ऐसे लगाए जो पर्यावरण संरक्षण में सहायक हो और छोटे-छोटे कीड़े मकोड़ों गिलहरियों जंतुओं की काम आ सके,, जैसे कि गूलर शहतूत नीम पाकर लवेरा आदि,,
वृक्ष धरा के भूषण हैं
करते दूर प्रदूषण है ,,

 

अमर सिंह देवड़ा उथमण
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जब पृथ्वीराज फिल्म बनाई गई थी तो निर्देशक लेखक पंडित चंद्र प्रकाश द्विवेदी, जो पहले वामपंथी हुआ करते थे, और जिनके विद्वान होने की बड़ी चर्चाएँ रहती हैं.
उन्होंने सबसे पहले पृथ्वीराज चौहान की जाति लोप कर दी और वहीं चंदरबरदाई जिनका असली नाम पृथ्वीराज भाट था उन्हें पृथ्वीराज भट्ट बना दिया.
पंडित चंद्रप्रकाश द्विवेदी संघ के साथ अपनी ट्यूनिंग में पूरी ऐतिहासिक फिल्म में मनमाने ढंगे से इतिहास के साथ बलात्कार करते रहे. और अपनी थोपते रहे.
भाट को भट्ट बना देना और शिखा का प्रतीक देना. और फिर पृथ्वीराज की जाति का लोप ऐसा कर देना मानों पृथ्वीराज कोई मिथकीय पात्र हों.
संघ और वामपंथ के भाईचारगी का यही रूप हमें पंडित मनोज शुक्ला “मुंतशिर” के साथ दिखता है. अभी दस वर्ष पूर्व तक वामपंथी रहे पंडित मनोज शुक्ला अब हिंदु बेच रहे हैं.
संघ के पंडित मोहन भागवत और पंडित इंद्रेश कुमार व वामपंथ के पंडित चंद्रप्रकार द्विवेदी और पंडित मनोज शुक्ला का यह कॉकटेल हिंदुत्व का कितना अपना है, यह तो आदिपुरुष स्पष्ट कर देती है.
पंडित मनोज शुक्ला “मुंतशिर” राम प्रसाद बिस्मिल का इतिहास मिटाकर उन्हें पंडित बनाकर अपने जियो तिवारी गाने में सान चुके हैं. चलिए उनको ये नहीं पता था.
लेकिन उनको इतना तो पता ही होगा कि हनुमान जी को उर्दू नहीं आती थी. साथ ही मेघनाद टैटू पार्लर गया था, यह तो किसी भी रामायण में नहीं लिखा है.
ऐसे में रामायण का यह विद्रूपीकरण क्या यूँ ही किया गया है? नहीं पंडित मनोज शुक्ला “मुंतशिर” ने यह संघ की लाइन पर ही किया है, इसके पीछे संघ का अपना एजेंडा है.
क्योंकि फिल्म से इतिहास सीखने वाले कई कूल डूड और डूडनी हैं. इसी के साथ ही विदेशों में जब यह फिल्म पहुँचेगी को रामायण उनको रोमन-इस्लामिक अधिक लगेगी.
तो संघ विदेशों में हिंदु को इस्लाम और क्रिश्चियन के साथ मिलाना चाहता है. इसीलिए आभूषणों के स्थान पर ग्रीक-रोमन योद्धाओं की कास्ट्यूम बनाई गई है.
राम को इमाम बनाना तभी ना संभव है जब हनुमान जी उर्दू में बाप की गाली देते दिखेंगे. और सीता जी, जगत जननी ना होकर लैला लगें.
संघ किसी भी तरह से हिंदु धर्म को मिटाकर अपने अनुसार का हिंदु स्थापित करना चाहता है. जिसके लिए वामपंथी पंडित चंद्रप्रकाश और पंडित मनोज साथ हैं.
यही है संघ और वामपंथ का भाईचारा जिससे वह हिंदु धर्म की मार्केट से कमाने के साथ ही, नैरेटिव पर इसको भारत से काट रहे हैं. कहानी में आग लगा रहे हैं.
उर्दू बोलते हुए, गाली बकते हुए हनुमान जी, जिहादी अधिक लगते होंगे बनिस्पत रामदूत हनुमान के. इसी तरह रोमांस करती कृति, सीता लगती हैं या लैला?
संघ के हाथों से हिंदु धर्म को बचाइए नहीं तो संघ और जाने क्या-क्या करेगा. सोचिए यह फिल्म सेंसर बोर्ड से कैसे पास हुई? आभूषण के स्थान पर लेदर बेल्ट क्या कर रही हैं.
और यह फिल्म विदेशों तक जाएगी और आज ओटीटी का युग है तो जाएगी ही तो क्या संदेश देगीं? संघ ने यह सारा कुछ जानबूझकर प्लांट करवाया है.
संघ को मिटाइए नहीं तो संघ और वामपंथ के मूर्ख इस देश को चट कर जाएंगे. धर्म प्रयोग करने की चीज नहीं होती है. उसे उसी रूप में रखना होगा.
हनुमान उर्दू नहीं बोल सकते हैं, आभूषण का स्थान ग्रीक लेदर बेल्ट नहीं ले सकती हैं, सीता लैला नहीं हो सकती हैं, रावण टैटू पॉर्लर नहीं जा सकता है.
पंडित मनोज शुक्ला को बचाने के लिए संघ की ओर से फरमान जारी हो चुका है और हर संघी लेखक सारे दोष से इनको बचाने में लगा है. इसी से सोचिए क्या है इसके पीछे.
#तार्किकता_की_समझ