विशेष

आत्महत्या के बहुत से कारण होते हैं, इस समय दो कारण बहुत महत्वपूर्ण रूप से देखने को मिल रहे हैं

Lekhak Mukesh Sharma
=============
#स्प्रिंग_लोडेड_पंखे #मुकेश_शर्मा
आत्महत्या रोकने के लिए स्प्रिंग लोडेड पंखे लगाए जा रहे हैं ताकि कोई आत्महत्या का प्रयास करता है तब पंखा नीचे आ जायेगा और व्यक्ति की जान बच जायेगी।अब यह सलाह किसने दी कहना कठिन है क्योंकि इस प्रयास का कोई महत्व नहीं।यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करना चाहता है तब ऐसे पंखे पर क्यों लटकेगा जहाँ उसका मकसद पूरा न हो।यह ऐसे ही है जैसे छत पर आत्महत्या रोकने के लिए बाउंड्री वाल आठ फिट ऊँची कर दी जाये।ऐसे विचार दुर्घटना रोकने के लिए होते हैं इरादा रोकने के लिए कारण और निवारण पर जागरूकता की आवश्यकता है।

मरना कोई नहीं चाहता यह मन का विकार है जिसे सरकारों को समझना होगा।जब अपेक्षाएं आपको घेर लें और उनके सफल होने का मार्ग न मिले तब आप मानसिक विकार के शिकार हो जायेंगे।इसके लिए उस व्यक्ति से वार्ता की आवश्यकता है कि उसकी अपेक्षाएं हृदय से बाहर निकलकर अपना प्रदर्शन करें और यथार्थ उनसे लड़ने की ताकत पैदा करे।अक्सर हमारे मन का व्यवहार हमारी कमजोरी पर बदलने लगता है।जिस दिन आपको लगेगा कि कोई नहीं सब ठीक हो जायेगा मेरे साथ मेरा पूरा परिवार, सरकार, सिस्टम खड़ा है तब हारने का प्रश्न ही नहीं।ऐसा व्यक्ति कभी आत्महत्या जैसा विचार नहीं करेगा।

आत्महत्या के बहुत से कारण होते हैं जिनमें इस समय दो कारण बहुत महत्वपूर्ण रूप से देखने को मिल रहे हैं।एक तो नशा जिसकी भरपायी न होने और शारीरिक कमी के साथ आर्थिक तंगी में परिवारजनों की दूरी या भेद उस व्यक्ति को अंदर से नकारात्मक दिशा में ले जाता है।इस कारण पर नशे की लत छूट नहीं पाती और परिवार दुःखी होकर उसे उसके हाल पर छोड़ने के लिए विवश हो जाता है।दूसरा कारण इंटरनेट की दुनियाँ है।इसमें व्यक्ति को नहीं मालुम कि हमारा सामाजिक दायित्व व दायरा क्या है?उसे बिंदुओं में जो हाइलाइट मिलते हैं वह उन्हीं को सम्पूर्ण व्याख्या मान लेता है।जबकि असल जीवन में हमारा व्यवहार उन शीर्षक बिंदुओं से अलग बहुआयामी होता है।

शेष कारणों में धनाधारित व्यवस्था है जो धन को ही सर्वोपरि महत्व देती है।इसमें तरीके व व्यवस्थाओं का लोप हो जाता है तब हथकण्डों का साम्राज्य अति की दिशा में आगे बढ़ता है।तमाम अवैध धंधे इस कारोबार में अपनी किस्मत आजमाने के लिए अच्छे खासे समाज को लपूझन्ना बना देते हैं और बेबस समाज को उस सिस्टम के अत्याचार से बाहर निकलने का कोई मार्ग नहीं मिलता।यह स्थिति उपरोक्त दोनों कारणों की जनक है।जिस दिन इस असुरक्षा के प्रमाणपत्र को हटा दिया जायेगा और धनाधारित व्यवस्था के खिलाफ सामाजिक व्यवस्था का संवाद होगा उस दिन स्प्रिंग लोडेड पंखे लगाने का विचार नहीं आयेगा।वैसे ये विचार जिसका भी रहा हो वह व्यक्ति स्वयं संकुचित सोच वाला व्यक्ति होगा।क्योंकि वह नहीं जान पाया कि ऐसा व्यक्ति इनका प्रयोग क्यों करेगा?

आत्महत्या रोकने का एक ही उपाय है कि समाज में सकारात्मक संवाद की बचनियाद रखी जाये और इसे क्षतिग्रस्त करने वाले का स्टेटस देखना बंद हो।हर व्यक्ति अपने समाज व संस्थाओं से खुलकर बात करे और आभासी दुनिया में जिम्मेदारी की भूमिका जवाबदेह बने।धन की सबको आवश्यकता है लेकिन उसकी आमद के तरीके किसी बेबस का संवाद विक्षिप्त करने का कारण न बनें।