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आतंकवादी संगठन, डार्क नेट, मेटावर्स और क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म जैसे डिजिटल तरीकों का फ़ायदा उठा रहे हैं : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध को लेकर चिंता जताई है। पीएम मोदी ने रविवार को कहा कि लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध, सामाजिक और भू-राजनीतिक तनाव उत्पन्न कर सकते हैं। एक इंटरव्यू में साइबर अपराध से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन कट्टरपंथ के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं और डार्क नेट, मेटावर्स और क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म जैसे उभरते डिजिटल तरीकों का फायदा उठा रहे हैं।

निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत
प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि साइबर अपराधों के सामाजिक, भू-राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं और इससे निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक का अनुमान है कि साइबर हमलों से 2019-2023 के दौरान दुनिया को लगभग 5.2 ट्रिलियन अमरीकी डालर का नुकसान हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव सिर्फ वित्त तक ही सीमित नहीं है। इसके सामाजिक और भू-राजनीतिक प्रभाव भी हो सकते हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं।

तकनीक का फायदा उठा रहे आतंकवादी संगठन
उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन कट्टरपंथ के लिए तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स की कमाई को आतंकी फंडिंग के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने नापाक इरादों के लिए डार्क नेट, मेटावर्स और क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म जैसे उभरते डिजिटल तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि साइबर आतंकवाद, ऑनलाइन कट्टरपंथ, मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर ड्रग्स और आतंकवाद तक धन पहुंचाने के लिए नेटवर्क प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है। साइबर स्पेस ने अवैध वित्तीय गतिविधियों और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बिल्कुल नया आयाम पेश किया है। उन्होंने कहा कि साइबर हमलों का देश के सामाजिक ताने-बाने पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

‘डीप फेक’ चिंता का विषय
मोदी ने कहा कि डीप फेक के प्रसार से अराजकता फैल सकती है और समाचार स्रोतों की विश्वसनीयता को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि फर्जी खबरें और ‘डीप फेक’ तकनीक का इस्तेमाल सामाजिक अशांति को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए, यह हर ग्रुप, हर देश और हर परिवार के लिए चिंता का विषय है।

यही कारण है कि हमने इसे प्राथमिकता के रूप में लिया है। बता दें कि, 13 दिसंबर, 2022 को संसद में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच भारत में 16 लाख से अधिक साइबर अपराध के मामले सामने आए हैं, जिसके बाद 32,000 से अधिक एफआईआर दर्ज की गईं।