नई दिल्ली: आतँकवाद के नाम पर गिरफ़्तार अब तक दर्जनों मुस्लिम नोजवानों को अदालत से रिहाई मिल गई है और उनपर लगे हुए तमाम आरोप बेबुनियाद और झूठे साबित हुए हैं,पुलिस या एजेंसी ने शक की बुनियाद पर इनको गिरफ़्तार करके ज़िन्दगी के क़ीमती और गोल्डन पीरियड को काल कोठरी की दीवारों में गुज़ारने पर मजबूर किया होता है।
ऐसी ही एक कहानी चौदह साल बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में बन्द रहे मोहम्मद आमिर खान की है जिनको अदालत द्वारा बेकसूर करार दिए जाने के बाद बाइज्जत बरी किए जाने के साथ ही शनिवार को दिल्ली पुलिस की तरफ से उन्हें 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है।
मालूम हो कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
(एनएचआरसी) ने आमिर की रिहाई के बाद मीडिया में छपी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार को 4 दिसम्बर 2015 के दिन नोटिस जारी कर 5 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा था। ज्ञात हो कि दिल्ली पुलिस ने आमिर को दिसम्बर 1997 में आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार किया था, लेकिन जनवरी 2012 को अदालत ने उन्हें बेकसूर करार देते हुए बाइज्जत बरी करने का हुक्म दिया था।
रिहाई के बाद मीडिया में छपी खबरों पर नोटिस लेते हुए एनएचआरसी ने गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार को मुआवजा देने को कहा था। गृह मंत्रालय के आदेश पर दिल्ली पुलिस की तरफ से आज 5 लाख रुपये का मुआवजा आमिर के खाता में सीधे डाला गया है।
आमिर ने इस मामले में एनएचआरसी की भूमिका पर खुशी का इजहार करते हुए कहा है कि हालांकि मुआवजा काफी कम है, लेकिन मैं एनएचआरसी को धन्यवाद अदा करता हूं कि उनके प्रयास से आज देश में पहली बार पुलिस के माध्यम से आतंकवाद के जुर्म में गिरफ्तार किसी व्यक्ति को रिहा होने के बाद मुआवजा प्रदान किया गया है। आमिर ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने जो बदनामी इस दौरान झेली है उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती है। अभी भी लोग उन्हें गलत निगाह से देखते हैं।
आमिर ने कहा कि उन्हें मुआवजा के रूप में जो रकम मिली है उसका एक हिस्सा जेलों में बन्द बेकसूरों की रिहाई के लिए और गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च करना चाहता हूं। उन्होंने रिहाई के बाद नए सिरे से जीवन यापन शुरू करने में मदद करने के लिए दिल्ली की सिविल सोसायटी को विशेष तौर से शबनम हासमी और हर्ष मंदर का शुक्रिया अदा किया है।