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“क़र्ज़”……जब सुहानी गर्भवती होने पर अपने घर पंजाब जा रही थी…
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============= ” कर्ज……. विवाह के दो वर्ष हुए थे जब सुहानी गर्भवती होने पर अपने घर पंजाब जा रही थी …पति शहर से बाहर थे … जिस रिश्ते के भाई को स्टेशन से ट्रेन मे बिठाने को कहा था वो लेट होती ट्रेन की वजह से रुकने में मूड में नहीं था […]
#कांटों_की_उलझन_क्या_जानों, तुम फूल बने हो, क़िस्मत है!
मनस्वी अपर्णा ============ एक नज़्म आप सभी की पेश ए ख़िदमत है जिसका उनवान है.. #कांटों_की_उलझन_क्या_जानों तुम फूल बने हो, क़िस्मत है! कांटों की उलझन क्या जानो पनपे हो सुख के साए में ये दुःख के बंधन क्या जानो इस महके संवरे गुलशन में है ख़ास तुम्हारी इक क्यारी माली ने सींचा है तुमको अपनी […]
साबरा का जिन्न : पतली गली में पंहुचने के बाद साबरा ने अपनी शलवार नीचे को सरकाई और,,,
मेरे धर से दो मकान आगे साबरा आकर रहने लगी थीं, कुछ महिनों बाद वह मेरे घर के बराबर वाले प्लाट में कच्ची कोठरी और आगे छपपर डाल कर रहने लगीं, उनके साथ मामू भी रहते थे, मामू साबरा के सगे मामू नहीं थे, बस उनको लोग मामू कहते थे, साबरा ने सब को बता […]