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आज जब मैं अपने कमरे में अकेली बैठती हूँ, तो सोचती हूँ कि…

Harish Yadav
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जवानी में संभोग हर लड़की की चाहत होती है, कोई इसे पा लेता है कोई नहीं क्यों कि ये शारीरिक जरूरत के साथ मानसिक जरूरत भी है आप किसी से प्यार करते हैं। तो उसके साथ अपने प्यार को अनंत सीमा तक ले जाने की औषधि है सेक्स एक साधारण-सी लड़की, जिसे कॉलेज में अपने सपनों की दुनिया मिली। उस वक्त मेरी जिंदगी में सबकुछ परफेक्ट लग रहा था। पढ़ाई, दोस्त, और सबसे बढ़कर राहुल। राहुल…वह नाम नहीं, मेरी दुनिया था।

पहली बार उसे कैंपस में देखा तो लगा, जैसे किसी फिल्म का हीरो हो। आत्मविश्वास से भरा, मुस्कुराता हुआ चेहरा और हर किसी के लिए मदद का हाथ बढ़ाने वाला। पता नहीं कब और कैसे, हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई। राहुल के साथ हर पल एक जादू जैसा लगता था। वह मेरी हर छोटी-बड़ी बात समझता, मेरे सपनों को सुनता, और उन्हें पूरा करने का वादा करता।

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कॉलेज की लाइब्रेरी में एक साथ पढ़ना, कैंटीन में चाय के कप साझा करना, और क्लास के बाद घंटों बातें करना—हमारी जिंदगी बस इन्हीं खुशियों से भरी थी। राहुल ने मुझसे कहा था, “सीमा, तुमसे शादी करके ही मेरा सपना पूरा होगा। हम साथ रहेंगे, हमेशा के लिए।” मैं भी उसके हर शब्द पर यकीन करती थी।

हमारा रिश्ता इतना गहरा हो गया कि हमने अपने प्यार को हर सीमा पार करने दिया। पहली बार जब राहुल ने मुझे करीब आने का कहा, तो मुझे थोड़ा डर लगा, लेकिन उसके भरोसे ने मेरे हर डर को दूर कर दिया। मुझे लगता था, राहुल तो मेरा ही है, फिर यह डर कैसा? मैंने उसे सबकुछ सौंप दिया, अपनी आत्मा, अपना शरीर, अपना विश्वास।

लेकिन हर बार जब मैं डरती कि कहीं कुछ गलत न हो जाए, राहुल मुझे समझाता। उसने ही मुझे इमरजेंसी पिल्स लेने को कहा था। मैं उसकी बात मानती रही। ये छोटी-छोटी गोलियां मुझे असुरक्षा से बचा रही थीं, या शायद मैं यही मानती थी।

कॉलेज खत्म हुआ और मेरे घरवालों को हमारे रिश्ते की खबर मिल गई। मैंने सोचा था, जैसे फिल्मों में होता है, राहुल आकर सब ठीक कर देगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेरे परिवार ने उसे सिरे से नकार दिया। वह दूसरी जाति का था, और मेरे घरवालों के लिए यह रिश्ता नामुमकिन था।

मैंने बहुत लड़ाई की, रोई, गिड़गिड़ाई, लेकिन मेरे माता-पिता ने मेरी एक न सुनी। और आखिरकार, मैंने हार मान ली। राहुल से दूर जाना मेरे लिए सबसे बड़ा दर्द था। मेरी शादी अजय से तय कर दी गई। अजय अच्छा इंसान था, लेकिन राहुल जैसा नहीं।

शादी के बाद मैंने खुद को नए जीवन में ढालने की कोशिश की। अजय मेरे साथ बहुत अच्छा व्यवहार करता था। वह मेरी हर जरूरत का ख्याल रखता, लेकिन मेरे दिल में राहुल की यादें अब भी ताजा थीं। मैंने खुद से वादा किया कि मैं इस रिश्ते को एक मौका दूंगी।


शादी के कुछ महीने बाद, जब मैं गर्भवती नहीं हो पाई, तो अजय ने डॉक्टर से मिलने का फैसला किया। मैं घबराई हुई थी, लेकिन उम्मीद थी कि सबकुछ ठीक होगा। डॉक्टर ने जब मेरी रिपोर्ट्स देखीं, तो उनका चेहरा गंभीर हो गया।

उन्होंने कहा, “आपकी फर्टिलिटी खत्म हो चुकी है। बार-बार इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल आपकी सेहत पर भारी पड़ा है।” मेरी दुनिया वहीं थम गई। मैंने अजय को सच बताया—राहुल के साथ मेरा रिश्ता, मेरी गलतियां।

अजय ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसके चेहरे की खामोशी सबकुछ बयां कर रही थी। वह मुझे देखता, जैसे मैं कोई अजनबी हूँ। वह मुझे न अपनाता, न ही छोड़ता। हमारा रिश्ता अब सिर्फ एक समझौता बनकर रह गया था।

आज जब मैं अपने कमरे में अकेली बैठती हूँ, तो सोचती हूँ कि अगर मैंने उस वक्त राहुल के प्यार में बहकर अपने भविष्य की इतनी बड़ी कीमत न चुकाई होती, तो शायद आज मेरी जिंदगी अलग होती।
राहुल का प्यार सच्चा था या नहीं, यह मैं आज तक नहीं समझ पाई। लेकिन मैंने जो सपने देखे थे, वे अधूरे रह गए। मेरी आरज़ू अधूरी रह गई।

अगर आप मेरी कहानी पढ़ रहे हैं, तो एक गुज़ारिश है—प्यार की गहराई में जाने से पहले अपनी पहचान और भविष्य को मत भूलिए। जीवन हमें कई मौके देता है, लेकिन हर मौका एक नई जिम्मेदारी भी लाता है।

विवाह के बाद सेक्स लाइफ में बदलाव की कहानी 📚

सगाई हुई थी तो पतिदेव के साथ गर्म गर्म संभोग के आगे दुनिया की सारी खुशियां मानो फीकी थी, एक स्त्री को स्त्री होने का एहसास तब होता है
विवाह के बाद सेक्स लाइफ में बदलाव की कहानी 📚

जब किसी को खूब प्यार करने वाला पति मिले, जो अपनी शारीरिक जरूरतों का ध्यान रखते हुए अपनी पत्नी को संतुष्ट रखने का पूरा ध्यान रखे, तो जिंदगी खुशियों से भर जाती है। मेरे पतिदेव भी ऐसे ही थे।

लेकिन समय के साथ हमारा सम्भोग जीवन में भी बदलाव आने लगे। विवाह को पाँच वर्ष होने को आए थे, लेकिन जहाँ पहले दिन में २-३ बार संबंध बनते थे, अब महीने में २-३ बार ही बनते थे। मेरे मन में नकारात्मक ख्याल आने लगे कि शायद मेरे पति का दिल कहीं और लग गया है।

मैंने इस बारे में उनसे खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि ऐसा कुछ नहीं है, बल्कि वे मुझे पहले से ज्यादा प्यार करते हैं, लेकिन सम्भोग में उनकी रुचि कम हो गई है। मैं घबरा गई और हमने डॉक्टर से सलाह ली। दो महीने तक हमारा काउंसलिंग हुआ।

हर सेशन में डॉक्टर सम्मोहन का सहारा लेते और जानने की कोशिश करते कि आखिर क्या हो रहा है। डॉक्टर ने समझाया कि मेरे पति अब वर्तमान से ज्यादा भविष्य के बारे में सोचते हैं। वे इस चिंता में रहते हैं कि मैं और हमारा परिवार सुरक्षित कैसे रहें। मेरी जरूरतों को पूरा करने के लिए वे अपने काम में और अच्छा करने का प्रयास करते हैं।

**ज्यादा काम सम्भोग में अरुचि पैदा करता है।** प्रतिदिन एक ही तरह से किया गया संभोग जीवन में उत्साह को खत्म कर देता है। परिवार की बढ़ती जिम्मेदारी के कारण वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पा रहे थे।

यह जानकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। जिस पति के बारे में मैं गलत सोच रही थी, वह वास्तव में हमारे भविष्य को सुधारने के लिए यह सब कर रहे थे।
लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि एक पत्नी की सिर्फ घर-गृहस्थी की जरूरतें पूरी करना ही पति का फर्ज नहीं है, बल्कि उसकी शारीरिक संतुष्टि का ध्यान रखना भी जरूरी है।

डॉक्टर ने मुझे सलाह दी कि मैं कुछ नया ट्राय करूं और संभोग की पहल खुद करूं। पति को यह भरोसा दिलाऊं कि चाहे कुछ भी हो, मैं हमेशा उनके साथ हूं। सिर्फ पैसे के लिए पत्नी नहीं हूं, बल्कि कर्तव्य और धर्म से भी पत्नी हूं।

जब पति को यह भरोसा हो जाएगा, तो हमारी जिंदगी पहले जैसी हो जाएगी। मैंने यह किया और हमारी लाइफ में खुशियाँ वापस आ गईं।
आजकल मैं देखती हूं कि हर पति-पत्नी के बीच एक समय बाद यह स्थिति आती है। यकीन मानिए, आपके पति आपकी भलाई के लिए अपनी शारीरिक और मानसिक संतुष्टि की कुर्बानी देते हैं और हमें इस बात का एहसास भी नहीं होने देते।

यह चीज उन्हें अंदर ही अंदर खोखला करती है। देर होने से पहले उन्हें संभालना आपकी जिम्मेदारी है।

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