साहित्य

आज उसकी कोशिश, उसकी मुहब्बत, उसका गुरूर उसका यक़ीन जीत गया है….!!

Sukhpal Gurjar
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सूरी बहुत सिंपल सा इंसान है, जिंदगी बहुत नाप तौल कर बिताई है उसने। मेहनत से पढ़ाई की, मेहनत से नौकरी कर रहा है। लोगो से नर्म लहजे में बात करता है, फॉर्मल पैंट के नीचे स्पोर्ट शूज पहनता है। कोई बुरी आदत नही है सूरी के अंदर, बस कभी कभार अपने बचपन के दोस्त के साथ लिटिल लिटिल ले लेता है।

लड़की से बात करना तो दूर , नजर उठाकर देखा भी नही किसी को कभी सूरी ने। पहली बार एक लड़की को देखा, तानी जी को, देखते ही प्यार हो गया सूरी को। पर तानी जी की तो शादी हो रही है वो भी लव मैरिज। सूरी को दुख तो होता है पर वो नजर भर तानी जी को देखकर अपना दुख भूल जाता है।

रब को न जाने क्या समझ आया, सूरी के हाथो में तानी जी का हाथ थमा दिया।उसने पहली दफा जिसे देखकर प्यार किया था, वो उसकी हंसती खेलती नाचती फुदकती तानी जी थी। अभी जिसके साथ वो फेरे ले रहा है वो कुछ और हो सकती है पर उसकी तानी जी नही। सूरी को बहुत गुरूर है कि वो इतनी मुहब्बत करेगा तानी जी से कि वो सब भूल जायेंगी। उनकी पसंद के मुताबिक बना लेगा खुद को। पर ट्रेन से उतरते हुए जब वो तानी जी की तरफ हाथ बढ़ाता है तो तानी जी को सूरी के बढ़े हुए हाथ दिखते ही नही। सूरी जानता है ये शादी नही, सौदा है, समझौता है, वो अपनी अलमारी अपना कमरा सब तानी जी को सौंप कर बरसती में शिफ्ट हो जाता है।

सूरी रोमांटिक तो है पर डरता बहुत है, तानी जी के लिए गुलाब निकालकर वापस गुलदान में रख देता है। बंद कमरे में फिल्मों के हीरो की नकल की प्रैक्टिस करता रहता है ताकि तानी जी को इंप्रेस कर सके। पता नही कैसे ऑफिस वालो ने खुद से इनवाइट कर लिया तानी जी से मिलने के लिए, सूरी मना नही कर पाया। पर उसने तानी जी से कह दिया कि आपको परेशान नहीं होना है आप आराम कीजिए। तानी जी फिर भी उसकी इज्जत रखने के लिए उसके दोस्तो से मिलती है, सूरी बस इतनी मुहब्बत में ही खुश हो जाता है क्युकी इससे ज्यादा मुहब्बत की न तो उसे आदत है न ही जरूरत।


सारे जतन करने के बावजूद सूरी तानी जी की मुस्कुराहट लौटा नही पाया। सूरी को लगता है कि अगर वो इस ऐनक, ढीली ढाली शर्ट और आम से चेहरे को बदल लेगा तो तानी जी खुश हो जाएंगी। सूरी को पता है कि वो अब उस कहावत का हिस्सा है जिसमे एक परी है और एक बंदर। सूरी अपने दोस्त के पास जाता है जो लोगो की शक्ल संवारता है, वो उसकी शक्ल बदलने की कोशिश करता है, पर मूंछ कट जाती है।

सूरी नए हुलिए में, तानी जी के सामने जाता है। उसे डर है कि तानी जी उसे पहचान न ले, पर कैसे पहचानेंगी? तानी जी ने कभी उसे निगाह उठाकर थोड़ी देर देखा ही कब है? सूरी उनको उनकी मजबूरी, लाचारी, बेबसी की याद दिलाता है। सूरी ने अब तक जितनी रात हीरो की एक्टिंग की प्रैक्टिस की थी, वो सब मिलाकर वो अब राज बनकर तानी जी के सामने खड़ा है। राज बनकर वो जिस तानी जी को देख रहा है वो उसके घर में रहने वाली तानी जी नही है। सूरी फैसला करता है कि वो राज बनकर तानी जी का दिल जीतेगा। क्या वो सही कर रहा है? पर उसके पास कोई रास्ता नही है ना, तानी जी सूरी से तो लड़ नही सकती है, सूरी को डांट नही सकती, सूरी के एहसान तले दबी तानी जी को राज ही इस दलदल से निकाल सकता है।सूरी को अच्छी तरह एहसास है कि वो दलदल है तानी जी की लाइफ का।

राज बनकर वो अपनी पुरानी तानी जी को पाकर खुश है, एक दोहरी जिंदगी जी रहा है वो पर उसे कोई परवाह नही है। क्युकी तानी जी सूरी के साथ गोलगप्पे नही खाती, न ही सूरी को बाइक पर पीछे बैठने के लिए कहेंगी।राज तानी जी को बारिश चखने के लिए कहता है, सूरी तानी जी से खिड़की बंद करने के लिए कहता है ताकि फर्श न खराब हो जाए। धीरे धीरे राज और सूरी के वजूद के बीच में पिसता सूरी इस लालच से बच नहीं पा रहा है कि राज बनकर ही वो अपनी तानी जी से मिल सकता है। पहले दिन डर डर कर राज बनने वाला सूरी अब राज का वजूद अपने ऊपर ओढ़ चुका है। उसकी बेमतलब बातो मे अब तानी जी को मतलब दिखने लगा है।

सूरी को अब राज से जलन हो रही है, वो जानता है कि दोनो एक है, पर तानी जी तो नही जानती ना। सूरी एक गुलाब रखने की हिम्मत नही जुटा पाया, राज पूरे अमृतसर की लाइट काट कर तानी जी को प्रपोज करता है। तानी जी राज को मना करती है तो सूरी खुश होता है, उसे लगता है कि अब वो सूरी बनकर ही तानी जी को जीत लेगा। पर जो तानी उसके पास है उसमे कोई रंग नहीं बचा है। वो राज बनकर तानी जी को मुस्कुराते देख चुका था, उसे सूरी के सामने बैठी तानी जी के फीके होंठ चुभते है।

किसी मेले में तानी जी जब जापान के स्टॉल पर रुकती है तो सूरी सुमो से लड़ जाता है जापान की टिकट जीतने के लिए।तानी जी से मिलने के बाद सूरी की जिंदगी बस इसी में सिमट कर रह गई थी, अगर उसे कुछ दिख जाए जिससे तानी जी खुश हो सकती है, वो सारी कोशिशें उस चीज को हासिल करने में लगा देता है।सुमो से पिटने के बाद सूरी के फटे होंठ पर दवा लगाते हुए जब तानी जी गुस्से में उसे डांटती है तो उसे एहसास होता है कि तानी जी के लिए अब भी वो एक कर्ज की तरह है। ऐसा कर्ज जिसकी किस्ते तानी जी अपनी खुशियों से चुका रही है। एक दिन फिल्म देखते हुए तानी जी अचानक से चली जाती है। सूरी का दोस्त फोन करता है, भाभी राज को ढूंढ रही है।सूरी को लग रह है कि उसके ऊपर किसी ने पूरी दुनिया का बोझ डाल दिया हो। उसे अपनी हार दिख रही है, वो खुद से हारने वाला है, और जो चीज हारने वाला है वो उसके लिए खुद से भी ज्यादा जरूरी है।

आंसुओ को बारिश की बूंदों की ओंट में छुपाए सूरी राज बनकर पहुंचता है। तानी जी राज से उसे इस दलदल से निकालने के लिए मिन्नते कर रही है।तानी जी राज के साथ भाग चलने के लिए कहती है।सूरी की दुनिया उसके सामने बिखर रही है पर वो राज बन के तानी जी के घुटनों पर बैठा रहता है। उस वक्त तानी जी उसकी आंखो में देख लेती तो शायद सूरी को पहचान लेती।

सूरी को तकलीफ तो होती है, पर वो ये हकीकत मान लेता है कि सूरी हार गया है और राज जीत गया है।

जिस दिन तानी राज के साथ भागने वाली है, उस दिन सूरी उनके साथ गुरुद्वारे जाता है। पहली दफा, सूरी अपने दिल की बात तानी जी के सामने खोलकर कहता है कि मैने रब से आपकी खुशी मांगी है आज, आप जो चाहती है वो आपको मिल जाए। तानी ताज्जुब से उस आम से इंसान को देख रही है, जिसे मुहब्बत के सिवा कुछ आता ही नहीं है। जिस दिन से ये इंसान जिंदगी में आया है कुछ न कुछ छोड़ता चला जा रहा है ताकि तानी जी। खुश हो। तानी सूरी की अच्छाई को समझती है, किसी और दुनिया में शायद उसे सूरी के अलावा किसी और से प्यार ही नही होता, पर इस दुनिया में सूरी तानी को उसके जख्मों की याद दिलाता है और राज मरहम है।

सूरी अब तानी जी की जिंदगी से निकलने की तैयारी कर रहा है, उसने घर उनके नाम कर दिया, खुद का ट्रांसफर दिल्ली करवा लिया है। ये चार दिन की जिंदगी जो उसे किस्मत से मिली थी, अब उसके हाथ से छूटने वाली है। उसके अंदर का मेल ईगो उसे बता रहा है कि परी बंदर से हाथ छुड़ाने वाली है। वो जल रहा है पर तानी जी उसके लिए रब है, अगर कोई रास्ता है जिससे तानी जी खुश हो तो सूरी आंख पर पट्टी बांधे, उम्र भर चलता रहेगा, जब तक उसके पांव चल सकते है। अपनी हार माने सूरी अब उस हादसे के इंतेजार में बैठा है जो उसके साथ होने वाला है। सूरी को इस बात का सुकून है कि तानी जी ने कुछ दिन टिफिन बनाया है उसके लिए, उसके स्कूटर की पिछली सीट पर तानी जी बैठी है। दूर दूर ही सही, पर एक छत के नीचे वो तानी जी के साथ रह चुका है।

अब तक किस्मत सूरी की कहानी लिख रही थी, और किस्मत ने ही यूटर्न ले लिया। तानी जी ने राज की जगह उसे चुन लिया। क्यू? वो तो राज के सामने कुछ भी नही? राज माचो है। पर तानी जी ने कहा था लड़कियों को माचो लड़के नही चाहिए, लड़कियों को वो लड़के चाहिए जिन्हे लड़की की खुशी से मतलब हो, उनकी मर्जी से मतलब हो। लड़कियों को वो लड़का नही चाहिए जो दुनिया उठाकर कदमों में रख दे, लड़कियों को वो लड़के चाहिए जो एक कंकर चुभने पर भी उनका पांव अपने हाथ में लिए जमीन में बैठ जाए। सूरी यही तो था, उसे तो रब दिखता है ना तानी जी में, पहले दिन पहले लम्हे से उसने रब मान लिया है। सूरी ने यही तो किया, जो मिला, जितना मिला सब तानी जी के हवाले। पहले दिन से ही इस चीज की कोशिश में लगा हुआ कि किसी तरह वो तानी जी के लायक बन जाए, किसी तरह वो तानी जी की मजबूरी की जगह उनकी मुहब्बत बन जाए। और आज उसकी कोशिश, उसकी मुहब्बत, उसका गुरूर उसका यकीन जीत गया है….!!