Shyam Meera Singh
@ShyamMeeraSingh
आईएस स्मोकिंग (यश वर्मा) की हार्ट अटैक से असमय मौत हुई. जिसे कुछ लोगों ने उसके पुराने कर्मों की सजा भी कहा. वे तस्वीरें शेयर कीं जिनमें आईएस स्मोकिंग (यश वर्मा), दूसरे लोगों की मौत का मजाक उड़ाया करता था, हद तो तब कर दी जब उसने एक गाजा के एक पीड़ित बच्चे का भी मजाक उड़ाया, और किसी मृतक व्यक्ति के शरीर से अलग कटे हुए पैरों को ‘एक्स्ट्रा बड़ा पाव’ कहकर मजाक बनाया. उसकी एक पर्सनल आईडी भी थी जिसपर वो सिर्फ नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत को फॉलो करता था. कुछ लोगों ने इन स्क्रीनशॉट्स को शेयर करने वालों को भी जाहिल माना, और उन्हें गालियाँ दीं. इन तथ्यों के इतर तीन चार बातें हैं यहाँ, जिसे डिस्कस किया जाना चाहिए. पहला कि क्या हमें किसी मृतक व्यक्ति की मौत का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हर्ष मनाना चाहिए. जवाब है नहीं. किसी व्यक्ति की मौत हमारे लिए हर्ष का विषय नहीं हो सकती. अगर कोई मन के अन्दर भी ऐसा विचार ला रहा है तो वो विचार डरावना है. आखिर किसी की मौत का जश्न कोई कैसे मना सकता है?
दूसरा सवाल कि क्या हमें किसी मृतक व्यक्ति के पुराने कर्मों का मूल्यांकन करना चाहिए; इसे लेकर मेरा निजी तौर पर मानना है कि हाँ ये किया जा सकता है. क्योंकि आपकी जीवन मृत्यु आपकी निजी है, लेकिन आपके कर्म सिर्फ आपके कर्म नहीं हैं. आपके कर्म किसी समाज, व्यक्ति या समूचे देश के जीवन को प्रभावित करने वाले होते हैं. उनसे कोई और भी प्रभावित हो रहा होता है. समाज एक सामूहिक गठबंधन है. जिसमें आप अगर ऐसी चीजें करते हैं जो दोषी और निर्दोष का भेद नहीं करती. जो पीड़ित और शोषक का भेद नहीं करती, यदि आपके कर्म किसी की जिन्दगी तबाह करने वाले हो सकते हैं तो मृत्यु भी आपके उन कर्मों के मूल्यांकन से आपको छुट्टी नहीं दे सकती.