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आंतरिक संकटों से घिरे इस्राईली प्रधानमंत्री नेतनयाहू को उनके मंत्री गोइर की बड़ी धमकी : रिपोर्ट

इस्राईल की राष्ट्रीय सुरक्षा के मंत्री ने धमकी दी है कि अगर प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू फ़िलिस्तीनियों को लेकर अपनी नीति में बदलाव नहीं करेंगे, तो वह अपने पद से इस्तीफ़ा दे देंगे।

शनिवार को प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, ज़ायोनी शासन की राष्ट्रीय सुरक्षा के मंत्री इतामार बिन गोइर ने फ़िलिस्तीनियों के संबंध में नेतनयाहू की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि वह ग़ज्ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी संगठनों का मुक़ाबला करने के लिए गंभीर नहीं हैं।

इसके अलावा, गोइर ने वेस्ट बैंक में अल-ख़ान अल-अहमर के इलाक़े को ख़ाली कराने में विलंब को लेकर भी नेतनयाहू की आलोचना की।

कट्टर दक्षिणपंथी ज़ायोनी मंत्री ने धमकी देते हुए कहा कि अगले आठ महीनों में अगर इन मुद्दों को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई, तो वह अपने पद से इस्तीफ़ा दे देंगे।

इस्राईल की राष्ट्रीय सुरक्षा के मंत्री ने फ़िलिसतीनियों के घरों को ज़ब्त करने, पूर्वी बैतुल मुक़द्दस में उनके घरों को ध्वस्त करने और ज़ायोनी नागरिकों को हथियार देने जैसे मुद्दों को लेकर भी नेतनयाहू सरकार पर दबाव डालने की बात कही।

इस्राईल के आंतरिक संकटों से भागने के लिए क्या इस्राईली प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री लगातार दौरे कर रहे हैं?

ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने फ़्रांस और सूडान का दौरान एसे हालात में किया है कि बिनयामिन नेतनयाहू की सरकार पर भारी आंतरिक दबाव है।

नेतनयाहू के फ़्रांस दौरे के मौक़े पर ज़ायोनी विदेश मंत्री एली कोहेन ने सूडान की यात्रा की है। नेतनयाहू 2 फ़रवरी को तीन दिवसीय दौरे पर फ़्रांस गए जबकि कोहेन ख़ारतूम पहुंचे। यह दौरे एसे हालात में हो रहे हैं कि जब नेतनयाहू के विरोधियों ने हर शनिवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों का अभियान चला रखा है। हालात एसे हैं कि नेतनयाहू की सरकार गिर जाने की संभावना लगातार बनी हुई है।

नेतनयाहू का फ़्रांस दौरा मुख्य रूप से ईरान विरोधी लक्ष्यों पर काम करने और फ़िलिस्तीनियों के साथ जारी झड़पों के मसले पर चर्चा के लिए है। पिछले एक महीने में फ़िलिस्तीनियों के साथ इस्राईल का तनाव बहुत बढ़ गया है। फ़िलिस्तीनियों ने इस्राईली सेना की बर्बरबा का जवाब देते हुए ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों को निशाना बनाया जिसके नतीजे में 10 ज़ायोनी मारे गए। इन हालात में इस्राईल ने ईरान के इस्फ़हान नगर में रक्षा मंत्रालय की फ़ैक्ट्री पर ड्रोन हमला करके यह दिखाने की कोशिश की कि उसे ज़्यादा नुक़सान ईरान की वजह से हो रहा है।

इसमें तो कोई शक नहीं कि यूरोपीय देश विशेष रूप से फ़्रांस ज़ायोनी शासन के मुख्य समर्थकों में हैं। एलीज़े पैलेस में नेतनयाहू और फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां की मुलाक़ात में ईरान के ख़िलाफ़ ख़ूब बयानबाज़ी हुई। मैक्रां ने ईरान के उन्हीं के शब्दों में तेज़ रफ़तार परमाणु कार्यक्रम की आलोचना की और कहा कि ईरान की तरफ़ से इस प्रक्रिया के जारी रहने के ज़रूर कुछ नतीजे हैं। नेतनयाहू ने मशविरा दिया कि ईरान के ख़िलाफ़ अधिक कठोर प्रतिबंध लगाए जाएं और ईरान की पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स को आतंकी संगठनों की सूचि में शामिल कर दिया जाए।

नेतनयाहू पिछले 15 साल में ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री के रूप में काम करते हुए हमेशा इसी नुस्ख़े को आज़माते रहे कि जब ही आतंरिक समस्याएं गंभीर रूप धारण कर लें तो ईरान के ख़िलाफ़ और फ़िलिस्तीनी संगठनों के ख़िलाफ़ नए नए आरोप शुरू कर दिया जाएं ताकि आंतरिक दबाव कम हो।

एली कोहेन ने सूडान के दौरे में यह कोशिश की कि ख़ारतूम से तेल अबीब के रिश्तों को नए चरण में ले जाएं। उन्होंने दौरे से वापसी पर कहा कि जल्द ही सूडान के साथ एतिहासिक समझौते पर वाशिंग्टन में हस्ताक्षर होंगे। सूडान की अंतरिम सरकार ने भी इशारा किया है कि इस्राईली विदेश मंत्री से मुलाक़ात में सार्थक संबंधों के बारे में बातचीत हुई है।

ख़ारतूम से रिश्ते मज़बूत करने की कोशिशें तब जारी हैं कि जब 2019 में उमर अलबशीर की हुकूमत गिरने के बाद से सूडान गंभीर संकट में है। हालिया वर्षों में सूडान पूरी तरह अमरीका, ज़ायोनी शासन और सऊदी अरब के इशारे पर चलता रहा। यमन जंग में सूडान की शिरकत इसका सुबूत है। यमन की राजनैतिक परिषद के सदस्य मुहम्मद अलहौसी ने ज़ायोनी विदेश मंत्री की सूडान यात्रा पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सूडान इस समय यमनियों के क़त्ले आम में लिप्त है और इस्राईल से रिश्ते बढ़ा रहा है। उनका आतंकवाद बेनक़ाब हो चुका है।