धर्म

अहलेबैत हर प्रकार की गंदगी से पाक हैं, हज़रत इमाम हुसैन की शहादत दुनिया के स्वतंत्रता प्रेमियों और कमज़ोंरों की पूंजी और आदर्श है!

हुसैन बिन अली अहलेबैत और पैग़म्बरे इस्लाम के नाती ने अपने महाआंदोलन से पहले फ़रमाया था कि मैंने अत्याचार और भ्रष्टाचार करने के लिए आंदोलन नहीं किया है। मैंने केवल अपने नाना की उम्मत में सुधार के लिए आंदोलन किया है।

दुनिया में कोई भी इंसान हज़रत इमाम हुसैन की भांति आज़ाद व स्वतंत्र लोगों के दिलों में जगह नहीं रखता। हज़रत इमाम हुसैन आध्यात्म, निष्ठा, बहादुरी, साहस, न्यायप्रेम, अन्याय विरोधी और साथ ही अल्लाह की बंदगी के सर्वोत्तम आदर्श है। यहां पर हम हज़रत इमाम हुसैन की जीवनी और उनसे विचारों पर एक दृष्टि डालेंगे।

हज़रत इमाम हुसैन पैग़म्बरे इस्लाम के नाती, शियों के पहले इमाम हज़रत अली बिन अबी तालिब और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के बेटे हैं। उनका जन्म चौथी हिजरी क़मरी में पवित्र नगर मदीना में हुआ था।

इमाम हुसैन पैग़म्बरे इस्लाम के अहलेबैत में से एक हैं जिनके बारे में आयते तत्हीर नाज़िल हुई थी। इस आयत में कहा गया है कि अहलेबैत हर प्रकार की गंदगी से पाक हैं। आयते तत्हीर अहलेबैत की शान में नाज़िल हुई है। इमाम हुसैन के पास जो कुछ भी था उन्होंने सब कुछ अल्लाह की राह में लुटा दिया। शिया और सुन्नी मुसलमानों की एतिहासिक किताबों के अनुसार इमाम हुसैन जब पैदा हुए थे उसी समय पैग़म्बरे इस्लाम ने इमाम हुसैन की शहादत की ख़बर दी थी और उनका नाम हुसैन रखा था।

पैग़म्बरे इस्लाम ने इमाम हुसैन की शान में जो हदीसें बयान की हैं उनका उल्लेख शिया और सुन्नी दोनों की किताबों में हुआ है जिसकी वजह से शिया-सुन्नी दोनों उनका सम्मान करते और उनके प्रति श्रृद्धा रखते हैं।

हज़रत इमाम हुसैन अमवी शासक मोआविया के क्रियाकलापों पर कड़ी आपत्ति जताते थे। जिन चीज़ों पर कड़ी आपत्ति जताते थे उनमें से एक यज़ीद का मोआविया का उत्तराधिकारी होना था और इमाम हुसैन ने यज़ीद की बैअत नहीं किया। इमाम हुसैन यज़ीद को एक तुच्छ, पस्त, अत्याचारी, भ्रष्ट और सामाजिक व मानवता विरोधी व्यक्ति मानते थे। इमाम हुसैन ख़िलाफ़त को एक ईश्वरीय पद मानते थे और उनका मानना था कि समाज का अभिभावक पैग़म्बरे इस्लाम की भांति होना चाहिये और उन सबका निर्धारण पैग़म्बरे इस्लाम अपने स्वर्गवास से पहले ही कर चुके थे।

मोआविया के मरने के बाद यज़ीद ने बैअत लेने के लिए इमाम हुसैन पर बहुत दबाव डाला यहां तक कि उसने कहा कि अगर इमाम हुसैन बैअत न करें तो उनकी हत्या कर दी जाये।

अंततः हज़रत इमाम हुसैन यज़ीद और उसके मज़दूरों के भारी दबाव के कारण मदीना से मक्का चले जाते हैं। वह चार महीनों तक मक्का में रहते हैं। वहां पर कूफ़ा वासियों की ओर से इमाम हुसैन को बहुत पत्र मिलते हैं जिनमें लिखा होता था कि हम यज़ीद को शासक के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं और आप आइये और हम आपके हाथों पर बैअत करेंगे। इस प्रकार के अनुरोधों के बाद इमाम हुसैन ने मुस्लिम बिन अक़ील को अपना प्रतिनिधि व उत्तराधिकारी बना कर कूफ़ा भेजा। हज़रत मुस्लिम ने कूफ़ियों के समर्थन की पुष्टि की और इमाम हुसैन कूफ़ा रवाना हो गये। दूसरी ओर यज़ीद ने इमाम हुसैन का मुक़ाबला करने के लिए सेना भेज दी।

अंततः सन् 61 हिजरी क़मरी में दोनों पक्षों का कर्बला में एक दूसरे से आमना- सामना हुआ परंतु कूफ़ा वासियों ने इमाम हुसैन के समर्थन का जो वचन दिया था उस पर वे बाक़ी न रहे और उन्होंने इमाम हुसैन को अकेला छोड़ दिया। एतिहासिक किताबों में बयान किया गया है कि यज़ीद ने जो सेना भेजी थी उसकी संख्या लगभग 30 हज़ार थी जबकि इमाम हुसैन के सैनिकों व साथियों की संख्या 72 थी परंतु इमाम हुसैन ने बातिल की बैअत नहीं की। 10वीं मोहर्रम को घमासान की लड़ाई हुई और इमाम हुसैन के चाहने वाले साथियों व सैनिकों ने अपनी बहादुरी व शूरवीरता का इतिहास रच दिया।

यज़ीद के सिपाहियों ने इमाम हुसैन और उनके साथियों पर पानी तक बंद कर दिया था और इमाम हुसैन और उनके वफ़ादार साथी भूखे और प्यासे शहीद हो गये और यज़ीद के राक्षसी सैनिकों ने इमाम हुसैन और उनके वफ़ादार साथियों के सिरों को उनके शरीरों से अलग कर दिया था और वे सब इन सिरों को यज़ीद के दरबार में ले गये।

हज़रत इमाम हुसैन ने अपनी शहादत से पहले एक पत्र में कहा था कि मैंने अत्याचार और फ़साद करने के लिए आंदोलन नहीं किया है मैंने केवल अपने नाना की उम्मत में सुधार के लिए आंदोलन किया है। मैं भलाई का आदेश देना चाहता हूं और बुराई से रोकना चाहता हूं और अपने नाना और बाबा अली बिन अबीतालिब की सीरत व आचरण पर चलता चाहता हूं।

पैग़म्बरे इस्लाम ने बारमबार इमाम हुसैन के बारे में फ़रमाया है कि हुसैन मुझसे हैं और मैं हुसैन से हूं। इस हदीस का पहला भाग पूरी तरह स्पष्ट है जिसमें आपने फ़रमाया है कि हुसैन मुझसे हैं जबकि दूसरे भाग का अर्थ यह है कि मेरा धर्म हुसैन की क़ुर्बानी से ज़िन्दा रहेगा ताकि मानवता अपने वास्तविक गंतव्य तक पहुंच जाये।

इमाम हुसैन और उनके वफ़ादार साथियों की क़ब्र इराक़ के पवित्र कर्बला नगर में है और आज दुनिया के लाखों लोग उनकी ज़ियारत के लिए कर्बला जाते हैं और हज़रत इमाम हुसैन की शहादत दुनिया के स्वतंत्रता प्रेमियों और कमज़ोंरों की पूंजी और आदर्श है

 

आशूरा महाआंदोलन, अमवियों की ग़ुमराही से अक़्ल और धर्म को बचाने के लिए इमाम हुसैन का प्रयास

ईरान के एक महान विद्वान और धर्मगुरू आयतुल्लाह जवादी आमूली का कहना है कि इमाम हुसैन ने इंसानों को जागरुक व बेदार होकर उपासना करने के लिए आमंत्रित किया ताकि इंसान अपनी ज़िन्दगी के समस्त मामलों में विशुद्ध धार्मिक शिक्षाओं का पालन कर सके।

इमाम हुसैन के आंदोलन के समय से लेकर आज तक दुनिया के बहुत से बुद्धिजिवी, विद्वान यहां तक कि सामान्य लोग यह सवाल करते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम के नाती और मुसलमानों के तीसरे इमाम, इमाम हुसैन ने जो महाआंदोलन किया उसका अस्ली कारण क्या था?

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस सवाल का जवाब जानने के लिए ईरान के महान विद्वान, धर्मगुरू, धर्मशास्त्री, दार्शनिक, रहस्यवादी, पवित्र क़ुरआन के व्याख्याकर्ता और शिया मुसलमानों के मरजये तक़लीद आयतुल्लाह अब्दुल्लाह जवादी आमूली के विचारों और भाषणों पर एक नज़र डालेंगे।

इमाम हुसैन के बुनियादी क़दम

आयतुल्लाह जवादी आमूली इस संबंध में कहते हैं कि इमाम हुसैन ने अमवियों की ग़ुमराही और बंधन से ईश्वरीय धर्म को मुक्ति दिलाने के लिए प्रयास किया ताकि धर्म और वास्तविकता के संबंध में लोगों की जानकारी को विस्तृत कर सकें। इस आधार पर उन्होंने एकेश्वरवाद की शिक्षाओं के विस्तार व प्रचार प्रसार की दिशा में प्रयास किया ताकि लोग बेदार व जागरुक होकर महान ईश्वर की उपासना करें।

इमाम हुसैन इंसान के पैदा होने के उद्देश्य के बारे में इस प्रकार फ़रमाते हैं महान ईश्वर ने इंसानों को इसलिए पैदा किया ताकि वे उसे पहचानें और जब उसके बंदे उसे पहचान जायेंगे तो उसकी उपासना व इबादत करेंगे और जब इंसान उसकी इबादत करेंगे तो अल्लाह के सिवा की इबादत करने से आवश्यकता मुक्त व बेनियाज़ हो जायेंगे।

इमाम हुसैन के कथन का यह मतलब नहीं है कि इंसान महान ईश्वर को पहचाने और नमाज़ पढ़े, रोज़ा रखे और कुछ न करे। यह अर्थ वास्तविक इबादत का एक भाग है। इंसान की ज़िन्दगी का हर गोशा व आयाम इबादत है। दूसरे शब्दों में इंसान चाहे तो अपनी ज़िन्दगी के हर पहलु को या कुछ पहलु को इबादत बना सकता है।

इमाम हुसैन ने इस प्रकार की बातों से इंसानों को बेदार व जागरुक करके महान ईश्वर की उपासना के लिए आमंत्रित किया ताकि अपने जीवन के समस्त आयामों में धर्म का अनुसरण करे और यह धर्म है जो इंसान को लोक- परलोक में सफ़ल बनाता है।

महाआंदोलन का आ पहुंचना

मोआविया के मरने के बाद उसका बेटा यज़ीद राजगद्दी पर बैठा। वह एक भ्रष्ठ और अपराधी जवान था। वह खुल्लम- खुल्लाह न केवल इस्लामी आदेशों की उपेक्षा व अवहेलना करता था बल्कि उनका मज़ाक़ भी उड़ाता था। आंदोलन के लिए बेहतरीन समय आ गया था। इमाम हुसैन ने भ्रष्टाचारी यज़ीद से मुक़ाबला करने का फ़ैसला किया। बहुत से लोगों ने इमाम हुसैन के फ़ैसले का विरोध किया परंतु इमाम हुसैन यज़ीद के मुक़ाबले में उठ खड़े होने पर बल देते थे।

इस आधार पर जब एक व्यक्ति ने इमाम हुसैन को उस समय की विषम व अनुचित स्थिति से अवगत किया तो इमाम ने उसके जवाब में फ़रमाया ईश्वर की सौगंद जब हमारे लिए कोई आश्रयस्थल नहीं है और कोई पनाहगाह नहीं है तो मैं कदापि यज़ीब बिन मोआविया की बैअत नहीं करूंगा।

इसी प्रकार जब वलीद ने इमाम हुसैन से यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा था तो इमाम ने फ़रमाया था कि यज़ीद एक भ्रष्ट आदमी, शराब पीने वाला, नफ़्से मोहरतमा की हत्या करने वाला, खुल्लम -खुल्ला बुराई करने वाला और मेरे जैसा उस जैसे की बैअत नहीं करेगा।

यहां पर यज़ीद जैसे व्यक्ति की बात नहीं है बल्कि हुसैनी सोच यज़ीद और उसके जैसे इंसानों की सोच से नहीं मिलती। जो इंसान महान ईश्वर की उपासना करता हो और उसने उसकी राह में अपनी जान व माल बेच दिया हो वह कभी भी ईश्वर के दुश्मन से समझौता नहीं करेगा।

जब मरवान ने इमाम हुसैन से यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा था तो इमाम ने उसके जवाब में भी फ़रमाया जब लोगों को यज़ीद जैसे शासक का सामना है तो इस्लाम को ख़ैरबाद व अलविदा कहना चाहिये। यानी जिसकी सोच और जिसका विचार मेरे जैसा होगा वह कभी भी अत्याचारी व ज़ालिम सरकार की बैतअ नहीं करेगा।

इमाम हुसैन पैग़म्बरों के वारिस हैं

इमाम हुसैन पैग़म्बरों के वारिस हैं और उनका मिशन वास्तव में पैग़म्बरों और ईश्वरीय दूतों का मिशन है। जिस तरह पैग़म्बरों को इंसानों की अक़्ल व बुद्धि को विकसित करने के लिए भेजा गया है उसी तरह इमाम हुसैन ने भी उसी मक़सद के लिए आंदोलन किया। इस आधार पर इमाम हुसैन ने जो आंदोलन किया उसके विभिन्न नतीजे व परिणाम सामने आये जिनमें से हम चार की ओर संकेत कर रहे हैं।

आंदोलन व शहादत ईश्वरीय प्रेम और वास्तविक ज़िन्दगी को बयान करने के लिए
इमाम हुसैन ने ईश्वरीय प्रेम को दिखाने व बताने के लिए पूरा प्रयास किया और लोगों को यह समझाने का प्रयास किया कि महान ईश्वर ने बंदों को प्रेम के आधार पर पैदा किया और वह उनके अस्तित्व को विकसित करना चाहता है और इंसानों को मुक्ति देना चाहता है।

2— इंसान और समाज की इज़्ज़त और प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन करना और शहादत देना

इमाम हुसैन के ज़माने में नैतिक व अख़लाक़ी सद्गुणों को अमवी परिवार ने बंधक बना लिया था। इमाम हुसैन ने अपने महाआंदोलन से सद्गुणों और धर्म को अमवी परिवार के बंधन से मुक्त कराया और अपनी अमर क़ुरबानी से इस्लामी समाज और सद्गुणों में नई जान फ़ूंक दी और इंसानों को इज़्ज़त, प्रतिष्ठा और दूसरे मानवीय सद्गुणों की याद दिला दी।

3 — पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत व परम्परा को याद दिलाने के लिए आंदोलन किया और शहादत दी

इमाम हुसैन ने कूफ़ा के लोगों के नाम एक पत्र लिखा

उस पत्र में इमाम हुसैन ने लिखा था कि पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत को मिटा दिया गया और बिदअतें प्रचलित हो गयी हैं। इमाम हुसैन ने अपने आंदोलन से ईश्वरीय शिक्षाओं, ईश्वरीय आदेशों की सीमाओं और पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत को दिखा व बता दिया और इन चीज़ों के भविष्य में ज़िन्दा होने का कारण बना।

4— पैग़म्बरों की राह को ज़िन्दा करने के लिए आंदोलन किया और शहादत दी

इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि महान ईश्वर ने पैग़म्बरों को इंसान की अक़्लों में विकास व निखार के लिए भेजा और पूरे इतिहास में अमवियों जैसी शक्तियां भी रही हैं जो लोगों की अक़्लों के विकास के मार्ग की बाधा थीं परंतु महान ईश्वर ने पैग़म्बरों को भेजा ताकि वे इंसानों की अक़्लों के विकास के मार्ग की रुकावट को दूर कर सकें। इमाम हुसैन ने अपने आंदोलन से लोगों को बताया कि बनी उमय्या हक़ पर हमल नहीं कर रही है और जो हक़ पर अमल नहीं कर रहा है और अक़्ल के शिखर पर नहीं पहुंच सकता।

जो समाज भी हक़ और हक़्क़ानियत पर अमल नहीं करता है वह भी अक़्ल के शिखर पर नहीं पहुंचेगा और वह दुनिया की चुनौतियों में फ़ंस जायेगा। क्योंकि हक़ का अनुसरण व अनुपालन करने के परिप्रेक्ष्य में ही अक़्ल परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचती है और यह कार्य अमवी जैसे अत्याचारी शासकों की हुकूमत में व्यवहारिक नहीं हो सकता।