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असम : CAA/NRC को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा-इस क़ानून का विरोध करने वालों को शीर्ष अदालत में जाना चाहिए!

पिछले कुछ दिनों से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) एक बार फिर चर्चाओं में है। चार साल पहले यह कानून बना था लेकिन अब तक लागू नहीं हो पाया। गृहमंत्री अमित शाह सहित तमाम केंद्रीय मंत्री इस कानून को लेकर बयान दे चुके हैं। इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि इस कानून का विरोध करने वालों को शीर्ष अदालत में जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, “एक वर्ग सीएए का समर्थन कर रहा है। उनमें एक मैं भी हूं। लेकिन उसी समय असम में कई लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। हमें दोनों के नजरिए को देखना होगा। हमें सीएए का समर्थन या विरोध करने पर किसी की आलोचना नहीं करनी चाहिए। जो सीएए का विरोध कर रहे हैं, उन्हें असम में शांति भंग करने के बजाए सर्वोच्च न्यायालय में जाना चाहिए।”

#WATCH | On CAA, Assam CM Himanta Biswa Sarma says, “I support CAA. But at the same time, many people in Assam oppose it. We have to accommodate both points of view. We should not criticise anyone for supporting or criticizing CAA. Those who are opposing CAA should go to the… pic.twitter.com/Bs6AA17Vkf

— ANI (@ANI) March 2, 2024

नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। एक दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता पाने में आसानी होगी। बशर्तें ऐसे अल्पसंख्यक 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हों। इससे पहले भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी व्यक्ति का कम से कम 11 साल तक भारत में रहना जरूरी था। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत इस नियम को आसान बनाया गया है। नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल किया गया है।

सीएए किसी व्यक्ति को खुद नागरिकता नहीं देता है। इसके जरिए पात्र व्यक्ति आवेदन करने के योग्य बनता है। यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। इसमें प्रवासियों को वह अवधि साबित करनी होगी कि वे इतने समय भारत में रह चुके हैं। उन्हें यह भी साबित करना होगा कि वे अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हैं। वे लोग उन भाषाओं को बोलते हैं, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। उन्हें नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को भी पूरा करना होगा। इसके बाद ही प्रवासी आवेदन के पात्र होंगे।
यह कानून अभी तक इसलिए लागू नहीं हो सका, क्योंकि सीएए के तहत नियम बनाए जाने बाकी हैं।

राज्यसभा और लोकसभा में अधीनस्थ विधान पर संसदीय समितियों ने क्रमशः 31 दिसंबर, 2022 और 9 जनवरी, 2023 तक केंद्रीय गृह मंत्रालय को विस्तार दिया था। इसके बाद दोबारा से संसदीय समितियों ने विस्तार को मंजूरी दी थी। सीएए को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं। कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था। उस वक्त केंद्र सरकार इसे लागू करने का मन बना चुकी थी, लेकिन कोरोना के चलते सीएए अधर में लटक गया। इस मामले में शीर्ष अदालत में 200 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। इन सबके बीच केंद्रीय गृह मंत्री शाह यह कहते रहे कि सीएए हर सूरत में लागू किया जाएगा। कोरोना महामारी के कारण इस अधिनियम को लागू करने में देरी हुई।