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असदुद्दीन ओवैसी ने संभल हिंसा पर कहा, धार्मिक स्थल का चरित्र और प्रकृति नहीं बदली जा सकती है, तो वहां की अदालत ने ढांचे का सर्वेक्षण क्यों कराया?

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संभल हिंसा को लेकर फिर से सवाल उठाए हैं और पूछा है कि उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद को लेकर दायर याचिका में पहुंच के अधिकार की मांग की गई थी, तो वहां की अदालत ने मस्जिद का सर्वेक्षण क्यों कराया? सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि ऐसे मुद्दे देश को कमजोर करते हैं, जबकि देश महंगाई, बेरोजगारी, किसान आत्महत्या जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

ओवैसी ने अदालत के आदेश पर उठाए सवाल

संभल की घटना पर रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘याचिका पढ़ने पर पता चला है कि इसमें पहुंच का अधिकार के तहत तक पहुंच का अधिकार है। अगर ऐसा है, तो अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया? यह गलत है।’ हैदराबाद के सांसद ने पूछा, ‘अगर पूजा स्थल अधिनियम के अनुसार, धार्मिक स्थल का चरित्र और प्रकृति नहीं बदली जा सकती है, तो फिर सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया गया?’ गौरतलब है कि हाल ही में एक अदालत ने राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका को भी स्वीकार कर लिया है। कई विपक्षी नेताओं ने अजमेर दरगाह पर विवाद पर गंभीर चिंता जताई है। इस पर ओवैसी ने कहा कि दरगाह 800 साल से मौजूद है और अमीर खुसरो ने भी अपनी किताब में इस दरगाह का जिक्र किया है।’

संघ प्रमुख के बयान पर कसा तंज

ओवैसी ने कहा कि ‘अब वे कह रहे हैं कि यह दरगाह नहीं है। यह सब कहां जाकर रुकेगा? प्रधानमंत्री खुद भी ‘उर्स’ के दौरान इस दरगाह पर चादर भेजते हैं। मोदी सरकार जब हर साल चादर भेजेगी, तो वह इस विवाद पर क्या कहेगी?’ ओवैसी ने कहा कि इस तरह के मुद्दे देश को कमजोर करते हैं और ये सब बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, चीन जैसी समस्याएं हैं, लेकिन ऐसे मुद्दों पर लोगों का ध्यान भटकाया जा रहा। गौरतलब है कि रविवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने घटती जनसंख्या वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत की कुल प्रजनन दर कम से कम 3 होनी चाहिए, जो वर्तमान 2.1 है। इस पर ओवैसी ने कहा, ‘अब आरएसएस वालों को शादी करना शुरू कर देना चाहिए। उनके (भाजपा) सांसद कहते हैं कि दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलना चाहिए! उन्हें एक नीति पर टिके रहना चाहिए।’

क्या है संभल विवाद

उल्लेखनीय है कि 19 नवंबर को संभल के सिविल जज की अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका पर संज्ञान लेते हुए संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का आदेश पारित किया था। अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका पर यह आदेश दिया, जिसमें दावा किया गया कि मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह बाबर ने 1526 में एक मंदिर को तोड़कर कराया था। अदालत के आदेश पर 24 नवंबर को एडवोकेट कमिश्नर ने मस्जिद का सर्वेक्षण किया और इसी दौरान इलाके में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की एक निचली अदालत को शाही जामा मस्जिद और उसके सर्वेक्षण के मामले में कोई भी निर्देश जारी करने से रोक दिया है और उत्तर प्रदेश सरकार को शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया।