धर्म

अल्लाह के ज़िक्र की बरकतें : ذکرِ الٰہی کی برکتیں

Farooque Rasheed Farooquee
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. अल्लाह के ज़िक्र की बरकतें
1- अल्लाह का ज़िक्र शैतान को भगाता है और उसकी ताक़त को कमज़ोर करता है।
2- अल्लाह का ज़िक्र दिल से फ़िक्र और ग़म को दूर करता है।
3- अल्लाह का ज़िक्र रूह में ख़ुशी और ताज़गी पैदा करता है।
4- अल्लाह का ज़िक्र दिल और बदन को ताक़त बख़्शता है।
5- अल्लाह का ज़िक्र रिज़्क़ हासिल होने का सबब बनता है।
6- यह ज़िक्र अल्लाह की महब्बत पैदा करता है और यही महब्बत इस्लाम की रूह और दीन का मरकज़ है।
7- अल्लाह के ज़िक्र में जितना इज़ाफ़ा होता है उतना ही अल्लाह से बंदा क़रीब होता है और जितनी अल्लाह के ज़िक्र से ग़फ़लत होती है उतना ही बंदा अल्लाह से दूर हो जाता है।
8- अल्लाह का ज़िक्र बंदे अल्लाह के लिए जो वहशत हो जाती है उसको दूर करता है। जब इंसान अल्लाह के ज़िक्र बिल्कुल ग़ाफ़िल हो जाता है तो उसके दिल पर अल्लाह की वहशत रहती है। यह वहशत अल्लाह के ज़िक्र ही से दूर होती है।
9- हर इंसान जो राहत में अल्लाह का ज़िक्र करता है अल्लाह मुसीबत के वक़्त उसको याद करता है।
10- अल्लाह का ज़िक्र अल्लाह के अज़ाब से छुटकारे का ज़रिया है।
11- अल्लाह के ज़िक्र की बरकत से ज़बान ग़ीबत, चुग़लख़ोरी, झूट और बेहूदा बातों से दूर रखती है।
12- अल्लाह का ज़िक्र क़यामत के दिन बंदे को हसरत से बचाता है।
13- अल्लाह के ज़िक्र में लगे हुए लोगों को उन सब चीज़ों से ज़्यादा मिलता है जो दुआएं मांगने वालों को मिलती हैं।
14- हमेशा अल्लाह का ज़िक्र करने के असर से बंदा अपने नफ़्स को भूलने लगता है और उसे सुकून नसीब होता है।
15- अल्लाह के ज़िक्र का नूर दुनिया में भी साथ रहता है, क़ब्र में भी साथ जाता है और आख़िरत में पुल-सिरात पर आगे-आगे चलता है।
16- इंसान के दिल में एक कोना है जो अल्लाह के ज़िक्र के अलावा किसी चीज़ से भी नहीं भरता। यह ज़िक्र दिल पर छा जाता है। अल्लाह का ज़िक्र करने वाला बग़ैर माल के ग़नी और बग़ैर किसी ख़ानदान या जमाअत के लोगों के दिलों में इज़्ज़त वाला बन जाता है।
17- ज़िक्र की वजह से अल्लाह का जो साथ नसीब होता है उस जैसा कोई साथ नहीं । न ज़बान उसको बयान कर सकती है और न ही क़लम। यह लज़्ज़त वही जान सकता है जिसको यह नसीब होती है।
18- ज़िक्र, शुक्र की जड़ है। जो अल्लाह का ज़िक्र नहीं करता वह शुक्र भी अदा नहीं करता।
19- दिल में एक ख़ास क़िस्म की सख़्ती है जो अल्लाह के ज़िक्र के अलावा किसी और अमल से नर्म नहीं होती।
21- अल्लाह ज़िक्र करने वालों पर फ़रिश्तों के सामने फ़ख़्र करते हैं।
22- ज़्यादा ज़िक्र करने से मुनाफ़िक़त से पाक होने का इत्मीनान होता है।
23- ज़िक्र जहन्नम के लिए आड़ है। अगर किसी बुरे अमल की वजह इंसान जहन्नम का हक़दार हो जाता है तो ज़िक्र दरमियान में आड़ बन जाता है।
24- अल्लाह के ज़िक्र में एक ख़ास क़िस्म की लज़्ज़त है जो दूसरे आमाल में नहीं पाई जाती।
25- जो शख़्स दुनिया में रहते हुए भी जन्नत के बागों में रहना चाहे वह ज़िक्र की मजलिसों में बैठे। अल्लाह के ज़िक्र की मजलिसें जन्नत के बाग़ हैं।
26- ज़िक्र आख़िरत को जो दूर है, क़रीब कर देता है और दुनिया को जो क़रीब है, दूर कर देता है।
27- अल्लाह का ज़िक्र दिल के लिए ऐसा है जैसे मछली के लिए पानी।
नोट : अल्लाह को याद करना, अल्लाह की तारीफ़ें बयान करना, अल्लाह की इबादत करना और अल्लाह को रूह में बसाकर उसकी मर्ज़ी के मुताबिक़ तमाम आमाल करना वग़ैरह ही अज़कार-ए-इलाही हैं।
अब कोई सांस पैग़ाम-ए-अजल लाती है
मेरी आवाज़ मेरे हम सुख़नों घड़ी दो घड़ी और
. पेशकश : फ़ारूक़ रशीद फ़ारुक़ी


ذکرِ الٰہی کی برکتیں
١- اللہ کا ذکر شیطان کو دفع کرتا ہے اور اس کی قوت توڑتا ہے۔
٢- اللہ کا ذکر دل سے فکر و غم کو دور کرتا ہی۔
٣- اللہ کا ذکر دل میں فرحت، سرور اور انبساط پیدا کرتا ہے۔
٤- اللہ کا ذکر بدن اور دل کو قوت بخشتا ہے۔
٥- اللہ کا ذکر رزق حاصل ہونے کا سبب بنتا ہے۔
٦- یہ ذکر اللہ کی محبت پیدا کرتا ہے اور یہ محبت اسلام کی روح اور دین کا مرکز ہے۔
٧- یہ ذکر اللہ کا قرب پیدا کرتا ہے۔ جتنا ذکر میں اضافہ ہوتا ہے اتنا ہی قرب میں اضافہ ہوتا ہے اور جتنی ذکر سے غفلت ہوتی ہے اتنی ہی اللہ سے دوری ہوتی ہے۔
٨- اللہ کا ذکر لغزشوں اور خطاؤں کو دور کرتا ہے۔
٩- بندے کو اللہ سے جو وحشت ہو جاتی اس کو یہی ذکر دور کرتا ہے۔ غافل انسان کے دل پر اللہ کی طرف سے ایک وحشت طاری ہو جاتی ہے جو ذکرِ الٰہی ہی سے دور ہوتی ہے۔
١٠- ہر شخص جو راحت میں اللہ کو یاد کرتا ہے اللہ مصیبت کے وقت اس کو یاد کرتا ہے۔
١١- اللہ کا ذکر اللہ کے عذاب سے نجات کا ذریعہ ہے۔
١٢- اللہ کے ذکر کی برکت سے زبان چغلی، غیبت، بد گوئی، اور لغو گوئی سے محفوظ رکھتی ہے۔
١٣- اللہ کا ذکر قیامت کے دن حسرت سے محفوظ رکھتا ہے۔
١٤- اللہ کے ذکر میں مشغول رہنے والوں کو ان سب چیزوں سے زیادہ ملتا ہے جو دعائیں مانگنے والوں کو ملتی ہیں۔
١٥- جس قدر بخشش اور انعام کا وعدہ اللہ کے ذکر پر ہے اتنا کسی اور عمل پر نہیں۔
١٦- ذکر کا نور دنیا میں ساتھ رہتا ہے، قبر میں بھی ساتھ جاتا ہے اور آخرت میں بھی پل صراط کے آگے آگے چلتا ہے۔
١٧- آدمی کے دل میں ایک گوشہ ہوتا ہے جو اللہ کے ذکر کے علاوہ کسی چیز سے بھی نہیں بھرتا۔ ذکر دل پر چھا جاتا ت۔ ذکر کرنے والا بغیر مال کے غنی ہو جاتا ہےاور بغیر کنبہ اور جماعت کے لوگوں کے دلوں میں عزت والا بن جاتا ہے۔
١٨- اللہ کا ذکر آخرت جو دور ہے ، قریب کر دیتا ہے اور دنیا کو جو قریب ہے ، دور کر دیتا ہے۔
١٩- ذکر کی وجہ سے اللہ کی جو معیت نصیب ہوتی ہے اس جیسی کوئی معیت نہیں۔ نہ وہ زبان سے تعبیر ہو سکتی ہے نہ تحریر میں آ سکتی ہے۔ یہ وہی جان سکتا ہے جس کو یہ نصیب ہوتی ہے۔
٢٠- ذکر شکر کی جڑ ہے- جو اللہ کا ذکر نہیں کرتا وہ شکر بھی ادا نہیں کرتا۔
٢١- دل میں ایک خاص قسم کی سختی ہوتی ہے جو اللہ کے ذکر کے علاوہ کسی چیز سے بھی نرم نہیں ہوتی۔
٢٢- اللہ ذکر کرنے والوں پر فرشتوں کے سامنے فخر کرتے ہیں۔
٢٣- ذکر کی کثرت سے نفاق سے بری ہونے کا اطمینان ہے۔
٢٤- جو شخص یہ چاہے کہ دنیا میں رہتے ہوئے جنت کے باغوں میں رہے وہ اللہ کے ذکر کی مجالس میں بیٹھے۔ ذکر کی مجالس جنت کے باغ ہیں۔
٢٥- ذکر جہنم کے لئے آڑ ہے۔ اگر کسی بدعملی کی وجہ سے انسان جہنم کا مستحق ہو جاتا ہے تو ذکر درمیان میں آڑ بن جاتا ہے۔
٢٦- ذکر کرنے کی وجہ سے دل کا خوف وہراس دور ہو جاتا ہے۔ ڈر کے مقام پر اطمینان پیدا کرنے اور خوف کو زائل کرنے میں ذکر کو خصوصی دخل ہے۔
٢٧- اللہ کا ذکر دل کے لئے ایسا ہے جیسے مچھلی کے لئے پانی۔
نوٹ : اللہ کو یاد کرنا، اللہ کی تعریفیں بیان کرنا، اللہ کی عبادت کرنا، اللہ کو روح میں بسا کر اس کی مرضی کے مطابق تمام اعمال کرنا وغیرہ سب اذکار الہی ہیں۔
اب کوئی سانس پیغامِ اجل لاتی ھے
مری آواز مرے ہم سخنوں گڑھی دو گھڑی اور
پیشکش : فاروق رشید فاروقی